जब लता मंगेशकर को दिया गया था जहर, चलना-फिरना हो गया बंद, 3 माह बेड पर रही
अपनी जान के दुश्मन को लता मंगेशकर ने छोड़ दिया खुला, सिंगर को दिया जहर, चली गई थी आवाज!
भारत रत्न से सम्मानित महान और दिग्गज़ गायिका लता मंगेशकर अस्पताल में भर्ती हैं. उन्हें मंगलवार को कोरोना हो गया था जिसके बाद लता जी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. फिलहाल वे अस्पताल में हैं और धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही हैं.
बता दें कि लता जी को कोरोना होने के साथ ही निमोनिया भी है. उनके स्वास्थ्य को लेकर हाल ही में अस्पताल की ओर से एवं उनकी भतीजी रचना शाह ने जानकारी दी है और बताया है कि अब लता जी की हालत ठीक है और वे पहले से बेहतर है.
लता जी से संबंधित यह ख़बर आते ही उनके फैंस भी चिंता में डूब गए और उनक लिए दुआ कर रहे हैं. वैसे आपको बता दें कि लता जी को दशकों पहले किसी ने मारने की साज़िश की थी और उन्हें खाने में जहर दे दिया गया था. लता जी भी यह बात जानती थी कि आख़िर कौन उनकी जान लेना चाहता था. आइए आपको इस किस्से के बारे में विस्तार से बताते हैं.
28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में जन्मीं लता मंगेशकर को ‘स्वर-साम्राज्ञी’, राष्ट्र की आवाज, सहराब्दी की आवाज, ‘भारत कोकिला’ आदि नामों से जाना जाता हैं. भारत के सबसे ऊंचे सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित हो चुकीं लता जी ने जो किस्सा हम आपको सुना रहे हैं वो उन्होंने खुद साझा किया था.
लता जी ने अपने एक साक्षात्कार में उनके साथ हुए एक दर्दनाक और भयंकर हादसे के बारे में बताया था. महान गायिका ने एक साक्षात्कार में बताया था कि, ‘हम मंगेशकर्स इस बारे में बात नहीं करते, क्योंकि यह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था.
साल 1963 में मुझे इतनी कमजोरी महसूस होने लगी कि मैं तीन महीने तक बेड से भी बहुत मुश्किल से उठ पाती थी. हालात यह हो गए कि मैं अपने पैरों से चल फिर भी नहीं सकती थी’.
लता जी से साक्षात्कार में यह पूछा गया कि क्या डॉक्टर्स ने उन्हें कह दिया था कि वह कभी नहीं गा पाएंगी? तो जवाब मिला कि, ‘यह सही नहीं है, यह मेरे धीमे जहर के इर्द-गिर्द बुनी गई एक काल्पनिक कहानी है.
डॉक्टर ने मुझे नहीं कहा था कि मैं कभी नहीं गा पाऊंगी. मुझे ठीक करने वाले हमारे पारिवारिक डॉक्टर आर पी कपूर ने तो मुझसे यह तक कहा था कि वह ठीक करके रहेंगे, लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूं कि पिछले कुछ सालों में यह गलतफहमी हुई है. मैंने अपनी आवाज नहीं खोई थी’.
लता जी का काफी लम्बा इलाज चला था और वे कई दिनों तक बिस्तर पर रहीं. वे बताती हैं कि, ‘इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि मुझे धीमा जहर दिया गया था. डॉ. कपूर का इलाज और मेरा दृढ़ संकल्प मुझे वापस ले आया. तीन महीने तक बेड पर रहने के बाद मैं फिर से रिकॉर्ड करने लायक तैयार हो गई थी’.
लता जी जानती थीं उन्हें किसने दिया जहर…
लता जी से यह सवाल भी किया गया था कि क्या वे इस बात के बारे में जानती थी कि उन्हें जहर किसने दिया था तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि, ‘जी हां, मुझे पता चल गया था. लेकिन हमने कोई एक्शन नहीं लिया. क्योंकि हमारे पास उस इंसान के खिलाफ कोई सबूत नहीं था’.
लता जी ने खुद के इस हादसे से स्वस्थ होने का श्रेय शायर मजरूह सुल्तानपुरी को भी दिया था. उनके मुताबिक, मजरूह साहब हर शाम घर आते और मेरे बगल में बैठकर कविताएं सुनाकर मेरा दिल बहलाया करते थे. वे दिन-रात व्यस्त रहते थे और उन्हें मुश्किल से सोने के लिए कुछ वक्त मिलता था. लेकिन मेरी बीमारी के दौरान वे हर दिन आते थे.
यहां तक कि मेरे लिए डिनर में बना सिंपल खाना खाते थे और मुझे कंपनी देते थे. अगर मजरूह साहब न होते तो मैं उस मुश्किल वक्त से उबरने में सक्षम न हो पाती’.