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कोरोना पर बड़ी भविष्यवाणी: जानिए कब पीक पर होगी कोरोना की तीसरी लहर, कब होगा इसका अंत

एक्सपर्ट की माने तो देश में कोरोना की तीसरी लहर जारी है। केस इतनी तेजी से बढ़ रहें कि एक बार फिर लोग घरों में कैद होने के लिए मजबूर हो गये हैं। हालांकि अभी संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लगा है, लेकिन कई तरह की पाबंदियां लग चुकी हैं। लॉकडाउन के बिना भी लोग खुद बाहर जाने से बच रहे हैं। सवाल है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर जारी है तो इसका पीक कब आएगा और इस तीसरी लहर का अंत कैसे होगा।

इन सवालों का जवाब जानने के लिए IIT कानुपर के एक्सपर्ट्स ने एक मॉडल बनाया है, इस मॉडल के जरिए इस बारे में जो नतीजे सामने आए हैं वो डराते भीं हैं और राहत भी देते हैं। आगे आपको इस मॉडल के बारे में विस्तार से बताएंगे।

IIT कानपुर का सूत्र (SUTRA) मॉडल

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IIT कानपुर के प्रोफेसर ने सूत्र मॉडल से अनुमान लगाया है कि कोविड-19 की तीसरी लहर का पीक देश में इसी महीने के आखिर में आ सकता है। सरकार समर्थित सूत्र मॉडल को लीड कर रहे प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि भारत में पीक होने पर 4 से 8 लाख केस रोज आ सकते हैं। अग्रवाल ने मैथमेटिक्स के जरिए वायरस के प्रसार का अनुमान लगाया है।

दिल्ली, मुंबई में जनवरी मध्य में पीक

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प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने यह भी कहा कि दिल्ली और मुंबई में जनवरी के मध्य में 50,000 से 60,000 केस रोज आ सकते हैं और सात दिन का औसत 30,000 केस रह सकता है। इस मॉडल ने यह भी संकेत दिए हैं कि अलग-अलग शहरों समेत पूरे देश में पीक आने के बाद तेजी से केसेज घटेंगे।

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देश में पीक कब आएगा?

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प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल कहते हैं कि पूरे भारत के लिए फिलहाल डेटा नहीं है लेकिन हम अनुमान लगा रहे हैं कि इस महीने के आखिर या अगले महीने की शुरुआत तक पीक आ सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय पैरामीटर वैल्यूज लगातार बदल रहे हैं, ऐसे में सटीक रूप से नहीं कहा जा सकता कि कितने केस आएंगे लेकिन इतना जरूर है कि 4 से 8 लाख केसेज रोज आ सकते हैं।

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मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि हमें तीन-चार दिन और इंतजार करना होगा और तब भारत में पीक का सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा, लेकिन वह दिल्ली और मुंबई में पीक के अनुमान को लेकर काफी आश्वस्त हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि एक हफ्ते में यहां पीक आ सकता है।

आगे आपको बताएंगे कि क्या इस बार बेड की कमी होने वाली है, केस कम होना कब शुरू होंगे, क्या रैलियों से फैलता है कोरोना और क्या लॉकडाउन लगाना सही है – इन सवालों पर एक्सपर्ट ने क्या कहा।

क्या बेड की कमी होने वाली है?

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उन्होंने आगे कहा, ‘कुल मिलाकर, इस लहर को काफी हद तक मैनेज कर लिया जाएगा क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम दिख रही है। हालांकि अगले कुछ हफ्तों में चीजें बदल भी सकती हैं। स्थानीय स्तर पर बेड की कमी पड़ सकती है। ऐसे में उचित देखभाल और योजना तैयार करने की जरूरत है।’ एक ट्वीट में उन्होंने कहा है कि पूरे भारत में 1.5 लाख बेड की जरूरत पड़ सकती है जबकि दिल्ली के लिए यह करीब 12,000 होगी।

क्या रैलियों से फैलता है कोरोना?

प्रोफेसर का यह भी साफ कहना है कि कोरोना केसेज के बढ़ने और चुनावी रैलियों का कोई सीधा संबंध दिखाई नहीं देता है। पिछले चुनाव के समय महामारी पर हुई स्टडी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चुनावी रैली महज एक वजह थी, इसके अलावा भी कई अहम कारण थे।

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पीक आते ही कम होने लगेंगे केश

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई में जितनी तेजी से केस बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से गिरेंगे भी। पूरे भारत में तो अभी ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ है। यह एक और महीना अभी लेगा और फिर केस घटने लगेंगे। उन्होंने कहा कि मार्च के मध्य में महामारी की तीसरी लहर काफी हद तक समाप्ति की ओर होगी।

क्या लॉकडाउन ठीक रहेगा?

लॉकडाउन के सवाल पर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि पहली लहर के समय सख्त लॉकडाउन ने संक्रमण की रफ्तार रोक दी थी। दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग राज्यों ने अलग-अलग रणनीतियां अपनाईं। जिन राज्यों ने हल्का या मीडियम लॉकडाउन लगाया, वे संक्रमण को फैलने से रोकने में कामयाब रहे।

इस तरह लॉकडाउन हेल्प तो करता है। लेकिन बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका पर भी बुरा असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन शहरों के लिए, जहां हम जनवरी के मध्य में पीक की उम्मीद कर रहे हैं, वहां लॉकडाउन की कोई जरूरत नहीं है।

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