पोस्ट ऑफिस में पड़ा है बिना दावे के 9000 करोड़ से अधिक धन, जानें इन पैसों का कहाँ होता है उपयोग
निवेश एक ऐसा जरिया है, जहां से आप बेहतरीन रिटर्न कमा सकते हैं और हर किसी की यही ख्वाहिश होती है कि वह अपने आगामी भविष्य के लिए कुछ बचत करके चले। ऐसे में आजकल पोस्ट ऑफिस में पैसे जमा करने का चलन बढ़ रहा है। वैसे भी भारत की आज भी एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी है, जो क्रिप्टो, शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में पैसों को निवेश करने से बचती है। ऐसे में वो निवेश के ऐसे विकल्पों की तलाश करते हैं, जहां पर बाजार जोखिमों का असर उनके पैसों पर न पड़े और रिटर्न भी अच्छा मिले।
इसके लिए वे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSS) और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम जैसी Post office Scheme की तरफ रुख करते हैं और ये कुछ ऐसी स्कीम होती हैं। जो समय से निश्चित आय वाले निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय होती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह काफी सुरक्षित होता है और डूबने के चांसेज भी काफी कम होते हैं।
लेकिन गौरतलब हो कि आज हम आपको इन स्कीमों में निवेश और उनके फायदे के बारे में नहीं बताने वाले, बल्कि आज बात किसी और मुद्दे की। आइए ऐसे में समझें पूरा विषय…
बता दें कि पोस्ट ऑफिस में पैसों का निवेश कई स्कीमों की तरह से लोग करते हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक समय बाद ऐसे अनगिनत निवेशक किसी कारणवश गायब हो जाते हैं। जिसकी वज़ह से कभी-कभी ये खाते सालों तक बिना दावे के रह जाते हैं।
वहीं एक आंकड़े की मानें तो पोस्ट ऑफिस में लगभग 9000 करोड़ से अधिक रुपए ऐसे ही पड़े हैं, जिसका कोई दावेदार नहीं है और यह कई कारणों से होता है। जिसमें बिना किसी को नॉमिनी बनाए खाताधारक का निधन, सीनियर सिटीजन का खाता भूल जाना आदि-आदि।
जानिए जिस सम्पत्ति का दावा नहीं होता, वो कहाँ जाती?…
बता दें कि ऐसे सभी खातों का पैसा वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष (Senior Citizens’ Welfare Fund) में भेज दिया जाता है और यह कोष भारत सरकार द्वारा 2016 को लांच किया गया था। वहीं मालूम हो कि Senior Citizens’ Welfare Fund के नियम के अनुसार दावा न की गई राशि डाकघर बचत खातों, आवर्ती जमा खातों, सावधि जमा खातों, मासिक आय योजना, वरिष्ठ नागरिकों सहित केंद्र सरकार की छोटी बचत और अन्य बचत योजनाओं से स्थानांतरित की जाती है।
वहीं बता दें कि वरिष्ठ नागरिक निधि नियम के अनुसार वैसा खाता जो चालू नहीं हैं या फिर निष्क्रिय हैं, वैसे संबंधित लोगों की जानकारी हासिल की जाती है और उन्हें हर वित्तीय वर्ष के 30 सितंबर से 60 दिनों के अंदर कम से कम दो बार टेलीफोन से, नोटिस भेजकर या ई मेल भेजकर सूचना दी जाती है।
वेबसाइट पर भी साझा की जाती है लावारिस खातों की जानकारी…
बता दें कि संस्थान जनता की सामान्य जानकारी के लिए तैयार की गई सूची को संबंधित कार्यालयों के नोटिस बोर्ड और संबंधित संस्थान की वेबसाइट पर भी कम से कम 60 दिनों की अवधि के लिए दावों को आमंत्रित करने के लिए पोस्ट करेगा। वहीं भारतीय डाक हर साल अपनी वेबसाइट पर ऐसे लावारिस छोटे बचत खातों की एक सूची जारी करता है।
कैसे प्राप्त करें लावारिस खातों की जानकारी…
वहीं बता दें कि आप लावारिस खातों की जानकारी चाहते हैं तो इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर जाएं और ‘बैंकिंग एंड रेमिटेंस’ पर क्लिक करें। इस पेज पर डाकघर बचत योजना का चयन करें। फिर सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड को सेलेक्ट करें। आपको बचत बैंक, पीपीएफ, किसान विकास पत्र आदि जैसे खातों के आधार पर एक सूची मिलेगी और एक बार जब आप खाते के प्रकार पर क्लिक करेंगे, तो आपको राज्यवार खाता विवरण मिल जाएगा।
कैसे काम करता है कल्याण कोष ?
वहीं आख़िर में बता दें कि कल्याण निधि नियमों के अनुसार संस्था (डाकघर) वार्षिक आधार पर दावा न की गई निधियों की पहचान करती है और प्रत्येक वर्ष 1 मार्च को या उससे पहले निधि में जमा करती है और संस्थानों द्वारा अंतरण शुद्ध आधार पर किया जाता है।