अब आया स्वदेशी JVPC कार्बाइन राइफल, फायरिंग स्पीड 800 राउंड प्रति मिनट, आतंकियों की अब ख़ैर नहीं
आतंकियों की कमर तोड़ देगा JVPC कार्बाइन, ये क्षमता में जर्मनी और बेल्जियम की कार्बाइन को देती है टक्कर...
कानपुर (यूपी)! बदलते वैश्विक और आंतरिक मिज़ाज को देखते हुए रक्षा मामलों में आत्मनिर्भरता वक्त की मांग है और भारत भी लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा है। इसी के तहत देश को आतंकियों और नक्सलियों से महफूज रखने के लिए नई उपलब्धि हासिल की गई है। बता दें कि कानपुर स्थित स्मॉल आर्म्स फैक्टरी (एसएएफ) ने बहुप्रतीक्षित मारक हथियार ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि जेवीपीसी बनाने में सफलता पाई है और इसे अब लांच कर दिया गया है और इसे स्मॉल आर्म्स फैक्टरी ने ही लांच किया है।
वहीं जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के साथ ही पैरा मिलिट्री फोर्सेस ने भी इसमें रुचि दिखाई थी। वहीं लघु शस्त्र निर्माणी ने करीब 4500 जेवीपीसी की खेप कई चरणों में पूरी कर दी है जबकि अभी भी करीब पांच हजार
जेवीपीसी का निर्माण युद्धस्तर पर जारी है और जेवीपीसी की उपलब्धियों को देखकर माना जा रहा है कि जल्द ही सेना भी इसका आर्डर दे सकती है। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं इसकी खासियत और कुछ अन्य बातें…
दस हजार कार्बाइन बनाने की क्षमता…
बता दें कि लघु शस्त्र निर्माणी की क्षमता प्रतिवर्ष दस हजार जेवीपीसी बनाने की है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ जानकार बताते हैं कि इसे जरूरत पड़ने पर और भी बढ़ाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस, जम्मू पुलिस के साथ संसद, दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा में लगी सीआइएसएफ से करीब दस हजार जेवीपीसी का आर्डर मिला था।
इसमें पांच हजार तैयार कर ली गई हैं और बाकी का उत्पादन चल रहा है। वहीं संभावना जताई जा रही है कि मार्च 2022 तक नए आर्डर भी मिल सकते हैं। ऐसे में अगले दो माह में पूर्व में मिला आर्डर तेजी से पूरा किया जाएगा।
संयुक्त प्रयास से निर्मित हुई है जेवीपीसी…
वहीं बता दें कि लघु शस्त्र निर्माणी (एसएएफ) और एआरडीई पुणे के संयुक्त प्रयास से ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन को विकसित किया गया है। यह देश में विकसित एक कारबाइन है। विदेश से खरीदी जाने वाली कार्बाइन महंगी पड़ती थीं। जेवीपीसी की मारक क्षमता इसे जर्मन और बेल्जियम की कार्बाइन से खास बनाती है। वहीं इसकी मारक क्षमता 200 मीटर है।
बता दें कि इसका वजन तीन किलोग्राम है और इसे जरूरत पड़ने पर एक हाथ से भी फायर किया जा सकता है। इतना ही नहीं इसमें 30 राउंड फायर की स्टील मैग्जीन लगी हुई है, जिससे इसकी फायरिंग दर करीब 800 राउंड प्रति मिनट है। इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसकी गोलियां साढ़े तीन एमएम मोटी माइल्ड स्टील प्लेट को 100 मीटर की दूरी से भेद सकती हैं।
विदेशी तकनीक को टक्कर देती है ये जेवीपीसी…
बता दें कि जर्मनी ने ‘एचके’ और बेल्जियम ने ‘एफएन’ नाम से ऐसी ही कार्बाइनें बनाई हुई हैं और उनकी मांग कई देशों से आती रहती है। लेकिन अब भारत के पास पूर्णतया स्वदेशी तकनीक से बनी जेवीपीसी कार्बाइन है और ये जर्मनी की ‘एचके’ और बेल्जियम की ‘एफएन’ को टक्कर देगी। मालूम हो कि अपनी देशी कार्बाइन की मारक क्षमता 200 मीटर है।
कुछ खासियत जेवीपीसी की संक्षेप में…
1) यह बुलेट प्रूफ लक्ष्य व स्टील को भी भेदने में सक्षम है।
2) बिना मैगजीन के इसका वजन केवल तीन किग्रा है।
3) कारबाइन से 200 मीटर तक यह सटीक निशाना लगा सकती है।
4) कारबाइन में लोड होती 30 कारतूसों की मैगजीन।
5) इसका फायरिंग मोड मैनुअल व आटोमैटिक है।
6) यह नाइट विजन कैमरे से रात में भी सटीक निशाना लगाने से सक्षम।