साईकिल पर ही दुल्हन ले आए DSP साहब, न ढोल-नगाड़े, न लाखों का खर्च, खजूर के पत्तों का बनाया सेहरा
आज के समय में शादी यानी कि लाखों का खर्चा, आगे निकलने की होड़ में आधुनिक चीजों का इस्तेमाल, बारात के लिए महंगी गाड़ियां आदि लोगों की प्रमुखता होती है. हालांकि इसी समय में जब एक अपनी दुल्हन को साईकिल पर बैठाकर घर लाए और खजूर के पत्तों का सहारा पहने तो आप इस पर क्या कहेंगे. ऐसा किया है मध्य प्रदेश के पृथ्वीपुर एसडीओपी संतोष पटेल (DSP Santosh Patel Viral Photo) ने.
इन दिनों मध्य प्रदेश के पृथ्वीपुर एसडीओपी संतोष पटेल की शादी की हर ओर चर्चा हो रही है. उनकी सादगी ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया है. आधुनिकता को पछाड़ते हुए उनकी शादी में हिंदुस्तान की पुरानी संस्कृति की झलक नज़र आई. बताया जा रहा है कि बारात से लेकर दुल्हन की विदाई तक हर रस्म ग्रामीण परिवेश और रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुई.
DSP की शादी में आधुनिकता के बीच संस्कृति और संस्कारों की अनूठी झलक देखकर लोग काफी खुश नजर आए. बता दें कि DSP पटेल पन्ना जिले के अजयगढ़ क्षेत्र के देवगांव के रहने वाले हैं. उन्होंने चंदला के गहरावन गांव की रहने वाली रोशनी से शादी की. यह शादी 29 नवंबर को हुई है.
सोशल मीडिया पर संतोष पटेल और रोशनी की शादी की तस्वीरें ख़ूब वायरल हो रही है. लोग संतोष पटेल की सादगी की ख़ूब तारीफ़ कर रहे हैं. बता दें कि, उन्होंने अपनी शादी में खजूर के पत्तों का सेहरा पहन रखा था. वहीं इसमें उनका साथ उनकी दुल्हन ने भी दिया. वे ठेट अंदाज में पल्ले की चुनरी में नजर आईं.
पहले पटेल अपनी दुल्हन को साईकिल पर बैठाकर गांव के मंदिर गए. वहां नवविवाहित जोड़े ने देवी पूजन किया और फिर पटेल ने अपने दादा-दादी के चबूतरे पर जाकर माथा टेका. DSP पटेल की इस सादगी के कायल उनके पिता जानकी प्रसाद पटेल भी हो गए. साथ ही उन्हें इस पर काफी हैरानी भी हुई. लेकिन बेटे के संस्कृति और परंपराओ के प्रति लगाव और जुड़ाव से वे काफी खुश भी नज़र आए.
संतोष पटेल ने अपने सादगी भरे अंदाज को लेकर कहा कि, ‘आज पुरानी पारिवारिक परंपराओ रस्मों पर भी आधुनिकता का रंग चढ़ गया है. हम अपनी परंपराओं-रीति रिवाजों से दूर होते जा रहे हैं. हमारी संस्कृति पीछे छूटती जा रही है. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर मैंने शादी में पुरातन सामाजिक वैवाहिक परंपराओं का पालन किया.’ उन्होंने कहा कि आज की शादी में लोग लाखो-करोड़ रुपये खर्च करते हैं लेकिन मैंने देश की परंपराओं और संस्कृति को फिर से जिंदा करने का प्रयास किया.