कृषि कानून निरस्त होते ही मुस्लिम नेताओं ने भरी हुंकार, सरकार से हुई CAA भी निरस्त करने की मांग
किसान आंदोलन के करीब एक साल के बाद मोदी सरकार और पीएम मोदी ने अपने तीनो कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है. शुक्रवार सुबह पीएम मोदी ने राष्ट्र के ना संबोधन दिया था इस दौरान पीएम मोदी ने अपने बड़े फ़ैसले पर बात की और बताया कि सरकार बीते साल लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेगी.
वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट करते हुए भी सरकार के इस फ़ैसले के बारे में जानकारी दी गई है. शुक्रवार सुबह PMO ने ट्वीट करते हुए पीएम के हवाले से लिखा था कि, ”आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.”
आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।
इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 19, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय के बाद किसानों ने इस पर खुशी जाहिर की है. साथ ही राजनीति और फ़िल्मी दुनिया से जुड़े लोग भी इस पर अपनी राय रख रहे हैं. किसी ने इस पर खुशी व्यक्त की तो वहीं किसी ने निराशा भी जताई. हालांकि अब सरकार के सामने एक नई चुनौती आ सकती है.
दरअसल, केंद्र ने अब जब एक साल के इंतज़ार के बाद अपने द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और रद्द करने का फैसला किया है तो अब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर एक बार फिर से नई राजनीति शुरू हो गई है. जिस तरह सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का ऐलान किया वैसे ही अब केंद्र सरकार से CAA रद्द करने की मांग हो रही है.
मुस्लिम नेताओं ने केंद्र सरकार से CAA निरस्त करने के लिए कहा है. जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने इसे लेकर की गई मांग में कहा कि, ‘हम अब सरकार से सीएए-एनआरसी जैसे अन्य कानूनों पर भी विचार करने का आग्रह करते हैं. हमें खुशी है कि पीएम ने आखिरकार किसानों की मांगों को मान लिया है.’
वहीं जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने कहा कि, ‘सीएए के खिलाफ हुए आंदोलन ने किसानों को कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया था. सीएए कानून भी वापस लेना चाहिए.’ जबकि मजलिस-ए-मुशावरत के प्रमुख नावेद हमीद ने यह कहा कि, ‘सीएए और यूएपीए सहित सभी कड़े कानूनों को वापस लेने की जरूरत है.’
गौरतलब है कि कृषि कानून पर जिस तरह से विरोध हुआ था वैसा ही विरोध CAA कानून को लेकर भी देखने को मिला था हालांकि मोदी सरकार अपने फ़ैसले पर अडिग रही थी लेकिन अब जब केंद्र ने कृषि कानून वापस ले लिए है तो CAA भी निरस्त करने की मांग उठने लगी है.