जुराब से बने ग्लब्स और साधारण से दर्जी की सिली ड्रेस से मिस यूनिवर्स बनी थीं सुष्मिता
भारत की पहली मिस यूनिवर्स और हिंदी सिनेमा की बेहद लोकप्रिय एवं ख़ूबसूरत अदाकारा सुष्मिता सेन आज (19 नवंबर को) 46 साल की हो गई हैं. 19 नवंबर 1975 को सुष्मिता का जन्म आंध्रप्रदेश के हैदराबाद शहर में हुआ था. सुष्मिता ने फर्श से अर्श तक का शानदार सफ़र तय किया और वे लाखों लड़कियों की प्रेरणा बनी.
बता दें कि, चाहे बाद में सुष्मिता सेन की पहचान एक अभिनेत्री के रूप में हुई हों हालांकि वे हिंदी सिनेमा की अभिनेत्री बनने से पहले ही पूरी दुनिया में अपने नाम का परचम लहरा चुकी थी. दरअसल, साल 1994 में सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का ख़िताब अपने नाम किया था. इससे भी ख़ास बात यह थी कि वे इस ख़िताब पर कब्जा करने वाली पहली भारतीय महिला थीं.
महज 19 साल की उम्र में सुष्मिता सेन ने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम रोशन किया था. हालांकि एक्ट्रेस के लिए यह सफ़र भी आसान नहीं था. क्योंकि एक मामूली से दर्जी द्वारा सिली गई ड्रेस पहनकर उन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. वहीं जुराबों से बने हुए ग्लव्स उन्होंने पहन रखे थे. आइए आज आपको सुष्मिता के मिस यूनिवर्स बनने के पीछे की कहानी बताते हैं.
मिस यूनिवर्स बनने के बाद सुष्मिता सेन ने खुद बताया था कि उन्होंने एक साधारण दर्जी से सरोजनी नगर से अपनी ड्रेस सिलवाई थी. एक्ट्रेस ने यहां तक भी कहा था कि इस प्रतियोगिता में पहनने के लिए उनके पास गाउन खरीदने के पैसे नहीं थे. जैसे-तैसे वे इस प्रतियोगिता में पहुंची और फिर इतहास रच दिया.
एक बार सुष्मिता सेन एक टीवी रियलिटी शो में पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने मिस यूनिवर्स बनने से पहले आने वाली परेशानियों के बारे बात की थी. तब उन्होंने बताया था कि, प्रतियोगिता के लिए 4 कॉस्ट्यूम की आवश्यकता थीं. ऐसे में उन्हें अपने कपड़े एक साधारण से दर्जी से सिलवाने पड़े थे. जो कि मुख्य रूप से पेटीकोट सिलने का काम करता था.
जुराब से बनाए थे ग्लब्स…
जानकारी के मुताबिक़, अभिनेत्री को कपड़े बनवाने के लिए काफी कुछ करना पड़ा था. बता दें कि एक्ट्रेस का विनिंग गाउन फैब्रिक से बना था. कहा जाता है कि उनकी मां ने बचे हुए कपड़ों से उस ड्रेस का जुराब बनाया था. इसके बाद जुराब से ही सुष्मिता के लिए ग्लव्स बनाए गए थे.
इरादों से हुई थी जीत हासिल…
चाहे सुष्मिता सेन के पास पैसों की कमी थीं हालांकि उन्होंने ख़िताब अपने नाम करने के बाद कहा था कि ख़िताब जीतने के लिए पैसों नहीं बल्कि इरादों की आवश्कया होती है और मैंने इरादे से ही जीत हासिल की है.
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सुष्मिता सेन पहले जितनी ख़ूबसूरत थीं उनकी वो ख़ूबसूरती अब भी बरकरार है. अपनी ख़ूबसूरती से ही पहले तो सुष्मिता ने हर किसी का दल जीत लिया था. वहीं इसके बाद उन्होंने अपनी हाजिर जवाबी से भी ज्यूरी का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने जवाब में कहा था कि, भारतीयों के लिए प्यार जीने की सबसे बड़ी पूंजी है और हमारे देश में हर धर्म का व्यक्ति भाईचारे के साथ रहता है. उनके ये जवाब सभी लोगों को काफी पसंद आए थे.