हर काम में सफलता पाने का है अच्छा अवसर, 29 जून को करें दुनिया की सबसे शक्तिशाली साधना!
24 जून से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। 2 जुलाई तक गुप्त नवरात्रि चलती रहेगी। 3 जुलाई को दशमी है और गुप्त नवरात्रि की समाप्ति भी। जो लोग तंत्र साधना करना चाहते हैं, उनके लिए यह दिन बहुत ही खास है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में मां का पूजन गुप्त रूप से किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। तंत्र की साधना करने वाले गुप्त नवरात्रि में मां के नौ रूपों की साधना नहीं बल्कि दश महाविद्याओं की साधना करते हैं।
गुरु के मार्गदर्शन में ही करें माता की पूजा:
मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी को दश महाविद्याओं के रूप में पूजा जाता है। इस पूजा को करने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसे सिर्फ गुरु के मार्गदर्शन में ही किया जाए। अन्यथा इसके घातक परिणाम भी हो सकते हैं। दश महाविद्याओं में माता बगलामुखी आठवीं महाविद्या हैं। ऐसा माना जाता है कि इनके अन्दर सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति समाई है।
होगा बुरी शक्तियों का नाश:
कल बृहस्पतिवार के दिन अष्टमी है और माता बगलामुखी की पूजा की जानी है। कल के दिन माता बगलामुखी की साधना करने से शत्रुओं पर विजय, वाद-विवाद में विजय, बुरी शक्तियों का नाश और जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। पूजा करते समय पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं। पिली हल्दी लेकर उसका ढेर बनाएं और उसपर मां के स्वरूप के सामने दीपक जलाएं। मां के स्वरूप पर आप पीले वस्त्र भी अर्पित करें।
माता पीताम्बरा के नाम से भी जानते हैं मां बगलामुखी को:
बगलामुखी देवी के मन्त्रों का जाप करने से जीवन के सभी दुःख दूर हो जाते हैं। इन्हें माता पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है। माता को पीले रंग के वस्त्र धारण करना पसंद है, इसलिए इनकी पूजा करते समय पीले रंग की चीजों का प्रयोग किया जाता है। जब भी कोई माता बगलामुखी की साधना करे तो पीले वस्त्र पहनकर ही करे। माता बगलामुखी को पिला रंग और 36 की संख्या बहुत प्रिय है।
बृहस्पतिवार की रात में करें मां बगलामुखी की पूजा:
माता बगलामुखी के मन्त्रों के अक्षरों की संख्या भी 36 है। इसलिए इनके मन्त्रों का जाप 3600 या 36000 के क्रम में ही करना चाहिए। माता बगलामुखी की पूजा बृहस्पतिवार की रात को करें। माता बगलामुखी के मन्त्रों का जाप करने से पहले बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। बगलामुखी कवच का पाठ करने से व्यक्ति बड़े से बड़े तंत्र-मन्त्र के अभिशाप से बच जाता है। इससे ऊपरी बाधाओं का भी निवारण होता है। अगर किसी व्यक्ति को व्यापार में काफी नुकसान हो रहा है तो वह माता बगलामुखी के यंत्र-मन्त्र का जाप करे।
बगलामुखी कवच:
पाठ शिरो मेंपातु ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं पातुललाटकम । सम्बोधनपदं पातु नेत्रे श्रीबगलानने ।। 1
श्रुतौ मम रिपुं पातु नासिकां नाशयद्वयम् । पातु गण्डौ सदा मामैश्वर्याण्यन्तं तु मस्तकम् ।। 2
देहिद्वन्द्वं सदा जिह्वां पातु शीघ्रं वचो मम । कण्ठदेशं मन: पातु वाञ्छितं बाहुमूलकम् ।। 3
कार्यं साधयद्वन्द्वं तु करौ पातु सदा मम । मायायुक्ता तथा स्वाहा, हृदयं पातु सर्वदा ।। 4
अष्टाधिक चत्वारिंशदण्डाढया बगलामुखी । रक्षां करोतु सर्वत्र गृहेरण्ये सदा मम ।। 5
ब्रह्मास्त्राख्यो मनु: पातु सर्वांगे सर्वसन्धिषु । मन्त्रराज: सदा रक्षां करोतु मम सर्वदा ।। 6
ॐ ह्रीं पातु नाभिदेशं कटिं मे बगलावतु । मुखिवर्णद्वयं पातु लिंग मे मुष्क-युग्मकम् ।। 7
जानुनी सर्वदुष्टानां पातु मे वर्णपञ्चकम् । वाचं मुखं तथा पादं षड्वर्णा: परमेश्वरी ।। 8
जंघायुग्मे सदा पातु बगला रिपुमोहिनी । स्तम्भयेति पदं पृष्ठं पातु वर्णत्रयं मम ।। 9
जिह्वावर्णद्वयं पातु गुल्फौ मे कीलयेति च । पादोध्र्व सर्वदा पातु बुद्धिं पादतले मम ।। 10
विनाशयपदं पातु पादांगुल्योर्नखानि मे । ह्रीं बीजं सर्वदा पातु बुद्धिन्द्रियवचांसि मे ।। 11
सर्वांगं प्रणव: पातु स्वाहा रोमाणि मेवतु । ब्राह्मी पूर्वदले पातु चाग्नेय्यां विष्णुवल्लभा ।। 12
माहेशी दक्षिणे पातु चामुण्डा राक्षसेवतु । कौमारी पश्चिमे पातु वायव्ये चापराजिता ।। 13
वाराही चोत्तरे पातु नारसिंही शिवेवतु । ऊर्ध्व पातु महालक्ष्मी: पाताले शारदावतु ।। 14
इत्यष्टौ शक्तय: पान्तु सायुधाश्च सवाहना: । राजद्वारे महादुर्गे पातु मां गणनायक: ।। 15
श्मशाने जलमध्ये च भैरवश्च सदाऽवतु । द्विभुजा रक्तवसना: सर्वाभरणभूषिता: ।। 16
योगिन्य: सर्वदा पान्तु महारण्ये सदा मम । इति ते कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ।। 17
मां बगलामुखी यंत्र:
मंत्र साधना श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
इसके बाद आवाहन करें ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ
सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
ध्यान सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुदग़र पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
विनियोग ॐ अस्य श्रीबगलामुखी ब्रह्मास्त्र-मन्त्र-कवचस्य भैरव ऋषि:
विराट् छन्द:, श्रीबगलामुखी देवता, क्लीं बीजम्, ऐं शक्ति:
श्रीं कीलकं, मम (परस्य) च मनोभिलषितेष्टकार्य सिद्धये विनियोग: ।
न्यास भैरव ऋषये नम: शिरसि, विराट् छन्दसे नम: मुखे
श्रीबगलामुखी देवतायै नम: हृदि, क्लीं बीजाय नम: गुह्ये, ऐं शक्तये नम: पादयो:
श्रीं कीलकाय नम: नाभौ मम (परस्य) च मनोभिलषितेष्टकार्य सिद्धये विनियोगाय नम: सर्वांगे।
मन्त्रोद्धार ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्रीबगलानने मम रिपून् नाशय नाशय, ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवाञ्छितं कार्यं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
मंत्र ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।