इन 7 खिलाड़ियों ने ग़रीबी से निकलकर छुआ है बुलंदियों को, एक के पिता तो करते थे फैक्ट्री में काम
भारत के लिए खेलने से पहले इन क्रिकेर्ट्स ने देखें हैं ग़रीबी वाले दिन
जब भी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की बात होती है। तो उनके खेल के बाद उनकी कमाई को लेकर ही चर्चा होती है। जी हां भारत में क्रिकेट का खेल सबसे लोकप्रिय खेलों में शुमार है और यही कारण है कि क्रिकेटरों पर लगातार पैसों की बारिश होती हैं। भारत के लिए खेलने के अलावा खिलाड़ी आईपीएल में भी हर वर्ष खेलते हैं। जिसकी वज़ह से उनकी आमदनी काफ़ी बढ़ गई है।
बता दें कि जब अधिकतर हम इन खिलाड़ियों के बारे में बात करते हैं तो यही सोचते हैं कि ये किसी रईस घर से निकलकर आएं होंगे? लेकिन क्या आपको पता है कि इन खिलाड़ियों के यहां तक पहुँचने की राह इतनी आसान नहीं होती। जी हां मालूम हो कि जो कई खिलाड़ी हमें अब काफ़ी अमीर दिखते हैं।
उनका बचपन काफ़ी ग़रीबी के दौर से गुजरा है। आइए आज हम आपको ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में बताते हैं। जिन्होंने गऱीबी से जंग लड़ते हुए भारतीय टीम में अपनी जगह बनाई…
रवीन्द्र जडेजा…
सर जडेजा के नाम से फ़ेमस इस भारतीय खिलाड़ी को कौन नहीं जानता? जी हां उनके फैंस देश-दुनिया हर जगह में हैं। लेकिन शायद ही सभी क्रिकेट प्रशंसकों को इस तथ्य के बारे में पता होगा कि भारतीय हरफनमौला खिलाड़ी, रवींद्र जडेजा का बचपन बेहद गरीबी में बीता था।
बता दें कि उनके पिता एक सुरक्षा गार्ड थे, जबकि उनकी माँ एक नर्स थीं। वे सरकारी क्वार्टर में रहते थे, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के कारण, जडेजा भारत के सबसे अच्छे ऑलराउंडरों में से एक बनें और अब हर कोई उनकी संपत्ति, घर और लाइफस्टाइल के बारे में जानता है।
एमएस धोनी…
वहीं इस सूची में चेन्नई सुपर किंग्स के एक अन्य खिलाड़ी और पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी शामिल हैं। ‘कैप्टन कूल’ के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले रांची के इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने फिल्म ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ के जरिए दुनिया को अपना सफर दिखाया।
बता दें कि 2011 के विश्व कप विजेता कप्तान की राह इतनी आसान नहीं रही हैं क्योंकि उनके पिता पिच क्यूरेटर थे, जो चाहते थे कि उनका बेटा टिकट कलेक्टर बने। वहीं पिता के सपनों को पूरा करने के लिए, धोनी ने रेलवे में भी काम किया। लेकिन आखिरकार, सब कुछ छोड़कर उन्होंने अपना सपना जिया और भारत के सबसे सफल कप्तान और बल्लेबाज बने।
भुवनेश्वर कुमार…
‘भुवी’ नाम ही क्रिकेट फैंस के लिए काफ़ी है। जी हां उत्तर प्रदेश के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने अपने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि उनके पास क्रिकेट खेलने के लिए उचित जूते तक नहीं थे। हालाँकि, उनके पिता और उनकी बहन हमेशा उनका समर्थन करते रहे और अब वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पेसरों में से एक हैं।
बता दें कि वह बीसीसीआई के साथ सालाना अनुबंध से मोटी कमाई करते हैं। इसके अलावा, उनकी आईपीएल फ्रैंचाइज़ी, सनराइजर्स हैदराबाद भी उन्हें मोटी फीस देती है।
इरफान और यूसुफ पठान…
पठान बंधुओं को आख़िर कौन सा क्रिकेट फैंस भूल सकता है। वहीं हम आपको बता दें कि पठान भाइयों के भारत के लिए खेलने से पहले उनके पिता 250 रुपये के वेतन पर काम करते थे। अपने बेटो के सपनो को पूरा करने के लिए पठान के पिता पुराने जूते लाकर खुद सिलते थे और अपने बेटों को देते थे।
इतना ही नहीं पठान बंधू टी-ट्वेंटी वर्ल्ड 2007 की चैंपियन टीम के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा दोनों खिलाड़ियों ने आईपीएल में काफी प्रसिद्दी प्राप्त की है, जिसके पीछे उनके पिता की भी अहम भूमिका रही है।
उमेश यादव…
भारत के तेज गेंदबाजों में शुमार उमेश यादव किसी पहचान के मोहताज़ नहीं। वह अपने मुश्किल भरे बचपन के कारण कभी हार न मानने की कला जानते हैं। उमेश के पिता एक कोयला फैक्ट्री में काम करते थे, जिन्होंने अपने परिवार को उचित भोजन उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष किया। फिर भी, उनके बेटे ने क्रिकेट के मैदान पर देश का प्रतिनिधित्व करने के अपने सपने को पूरा किया।
मुनाफ पटेल…
वहीं भारत की विश्व कप 2011 की विजेता टीम के सदस्य, मुनाफ पटेल भी बेहद ग़रीबी के दौर से बचपन मे गुजरे हैं। बता दें कि वे बड़ौदा के एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता के पास अपनी जमीन नहीं थी। इसलिए, उन्हें किसी और के खेत में काम करना पड़ा।
वहीं जब परिवार को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तो उनके रिश्तेदारों ने मुनाफ को अपने पिता के साथ हाथ बटाने की सलाह दी लेकिन, उनकी किस्मत को कुछ और मंजूर था और उन्होंने कड़ी मेहनत की। जिसके बाद वे क्रिकेटर बन गए।
हरभजन सिंह…
अगर आप क्रिकेट के शौक़ीन है तो ‘टर्बनेटर’ नाम तो सुना ही होगा। जी हां टर्बनेटर के नाम से मशहूर हरभजन सिंह खेल के तीनों प्रारूपों में सबसे सफल भारतीय गेंदबाजों में से एक हैं। हालाँकि, भज्जी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नाम बनाने से पहले गरीबी से जूझना पड़ा था।
एक बार वीरेंद्र सहवाग ने खुलासा किया था कि परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण हरभजन सिंह ने ट्रक ड्राइवर बनने की सोची थी। लेकिन, आखिरकार उनकी क़िस्मत और मेहनत रंग लाई जिसके बाद आज हरभजन सिंह किस जगह पर हैं, यह हम और आप सभी जानते हैं।