कार्तिक पूर्णिमा पर लगने जा रहा है सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण, जानिए कैसा रहेगा प्रभाव…
हमारे देश में मान्यताओं और परंपराओं का विशेष महत्व है। जी हां यहां पर चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण से भी मानव जीवन के प्रभावित होने की बात कही जाती है। बता दें कि चंद्र ग्रहण जब लगता है तो इसका प्रभाव देश-दुनिया के साथ मेष से मीन राशि तक पर भी पड़ता है। इतना ही नहीं नवंबर 2021 में लगने वाला चंद्र ग्रहण महत्वपूर्ण माना जा रहा है और चंद्र ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।
इस स्थिति में जानकारों का मानना है कि एक माह तक कुछ राशियों को विशेष सावधानी बरतनी होगी, तो आइए ऐसे में जाने कब लग रहा है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण…
बता दें कि इस साल के कार्तिक माह का शुक्ल पक्ष खगोलीय और ज्योतिष गतिविधियों की दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण है। इस माह में जहां एक ओर सूर्य और बृहस्पति आदि ग्रह राशि परिवर्तन कर रहे हैं तो वहीं इसी पक्ष में साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहण की घटना को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है और खगोलीय और ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन लग रहा है।
जानिए क्या होगी चंद्र ग्रहण की स्थिति और समय…
बता दें कि खगोलीय और ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन लग रहा है। ये ‘खग्रास चंद्र ग्रहण’ है। वहीं भारतीय समय के अनुसार ग्रहण सुबह 11 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन शाम को 05 बजकर 33 मिनट पर होगा। ऐसे में ग्रहण की अवधि लगभग 05 घंटे 59 मिनट तक होगी।
ये अब तक के सबसे लंबी अवधि के चंद्र ग्रहणों में से एक है। ये चंद्रग्रहण यूरोप, अमेरिका, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और ब्रिटेन में साफ दिखाई देगा। लेकिन भारत में यह ग्रहण शाम के समय अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल और क्या होगा इसका प्रभाव…
वहीं बता दें कि भारतीय ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। चंद्र ग्रहण के बाद सूतक काल की गणना की जाती है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही है। हालांकि 19 नवंबर को लग रहा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण एक उपछाया चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण का सूतक काल प्रभावी नहीं होता है। ये चंद्र ग्रहण भारत के बहुत कम हिस्सों में ही दिखाई देगा। इसलिए देश के लोगों पर इसका प्रभाव भी सीमित ही है। हालांकि वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में ग्रहण लगने के कारण कुछ राशियां और उनके जातकों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
क्या होता है उपछाया ग्रहण, जानिए…
मालूम हो कि चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। वहीं जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्र ग्रहण माना जाता है। उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है और ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।