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24 घंटे ऑनलाइन गेम खेलता था बच्चा, फिर घरवालों के साथ खेला ऐसा गेम, देखकर पुलिस भी रह गई दं’ग

एक जमाना था जब बच्चे घर में कम और बाहर ज्यादा खेलते कूदते थे। लेकिन आज के इंटरनेट, ऑनलाइन गेम और सोशल मीडिया के जमाने में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। बच्चे दिनभर मोबाईल के अंदर घुसे रहते हैं। खासकर जो रोज ऑनलाइन गेम खेलते हैं उनकी हालत बहुत बुरी है। मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने की लत आपके बच्चे का जीवन तक बर्बाद कर सकती है।

ये उसे मानसिक रूप से बहुत प्रभावित करती है। अब मध्य प्रदेश के भोपाल शहर की यह अनोखी घटना ही ले लीजिए। यहां एक 12 साल के बच्चे ने अपने माता पिता के साथ एक ऐसा गेम खेला कि उसकी जान पर बन आई।

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दरअसल भोपाल में रहने वाला यह 12 वर्षीय बच्चा कक्षा आठवीं का छात्र है। उसे ऑनलाइन गेम खेलने का बड़ा शौक है। वह 24 घंटे इसी गेम में खोया रहता है। एक दिन उसे ऑनलाइन गेम खेलते-खेलते अपने परिवार के लोगों के साथ गेम खेलने का विचार मन में आया। वह 7 अक्टूबर की दोपहर घर से निकला और फिर वापस नहीं आया।

फिर कुछ समय बाद उसके पिता के मोबाईल पर एसएमएस आया कि आपका बच्चा किडनेप हो गया है। लेकिन ये मैसेज करने वाला कोई किडनेपर नहीं बल्कि खुद बच्चा ही था। वह अपने घरवालों के साथ अपने अपहरण का गेम खेलना चाहता था।

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बच्चे के अपहरण का मैसेज देख घरवालों पर जैसे अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सभी आनन-फानन में पुलिस के पास दौड़े। पुलिस ने भी बच्चे की तलाश शुरू कर दी। भोपाल के एसपी साईं थोटा ने परिवार से बच्चे का नंबर लिया। उन्होंने बच्चे को अपनी पहचान बताए बिना मैसेज भेजा। बातों ही बातों में उन्होंने बच्चे से दोस्ती कर उसकी लोकेशन जान ली। बच्चा ट्रेन से नीमच चला गया था। ऐसे में पुलिस ने वहाँ के रेल पुलिस को सूचना देकर बच्चे को बरामद कर लिया। बच्चे को वापस सही सलामत अपने पास देख परिवार की जान में जान आई।

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बच्चे ने ये भले अपने परिवारवालों के साथ गेम खेलने के लिए किया हो, लेकिन थोड़ी सी भी गड़बड़ होती तो बच्चे की जान पर आ बनती। वह अकेला इस उम्र में सफर कर रहा था। ऐसे में उसके साथ कोई भी हादसा हो सकता था या कोई सच में उसका अपहरण कर सकता था। ऑनलाइन गेम बच्चों के दिमाग पर किस कदर असर डालता है इस पर मनोवैज्ञानक चिकित्सक डॉ.

सुमित राय अपनी राय रखते हैं। वे बताते हैं कि ऑनलाइन गेम और सोशल मीडिया जैसी चीजों में डूबे रहने वाले बच्चे वास्तविक दुनिया से दूर हो जाते हैं। वह फिर ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया को ही अपनी असल जिंदगी में उतारने का प्रयास करते हैं।

बता दें कि अब तो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने भी ऑनलाइन गेमिंग को मानसिक बीमारी मान लिया है। यदि आपके बच्चे को भी ऑनलाइन गेम खेलने का शौक है तो उस पर नजर जरूर रखें।

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