देश में अजब-गजब लोगों और मामलों की जरा भी कमी नहीं है. एक ऐसा ही मामला केरल से सामने आया है. केरल के रहने वाले एक बुजुर्ग ने केरल हाई कोर्ट में अर्जी देकर कहा कि, उसके कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाई जाइ. इस बुजुर्ग ने याचिका दायर करते हुए दलील दी है कि जब मैंने अपने पैसे से कोरोना वैक्सीन लगवाई है और सरकार सभी को फ्री में कोरोना वैक्सीन नहीं दे पा रही है तो फिर सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर किस वजह से लगाई जा रही है.
यह बुजुर्ग केरल के कोट्टायम के रहने वाले है. उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल के साथ याचिका दायर कर कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर हटाने की मांग की है. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि, उनके व्यक्तिगत वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. वह यही नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि मुफ्त टीकों के स्लॉट में कमी होने के कारण उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लेने के लिए 750 रूपये देने पड़े. इसी वजह से वैक्सीन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाकर सरकार को वैक्सीन का क्रेडिट लेने का कतई हक़ नहीं है.
अपनी बात रखते हुए इस बुजुर्ग ने कोर्ट के सामने इजराइल, कुवैत, अमेरिका, इंडोनेशिया, फ्रांस और जर्मनी के भी टीकाकरण प्रमाण पत्र की कॉपी दिखाई. साथ ही कहा कि, इनमें किसी पर भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राष्ट्राध्यक्ष की फोटो नहीं लगाई है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए यह भी कहा कि यह केवल एक व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति की पुष्टि करने के लिए दिया गया एक सर्टिफिकेट है. इसलिए इस सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर का होना आवश्यक नहीं है. कुछ ऐसा ही दूसरे देशों के सर्टिफिकेट में किया गया है.
अब इस मामले में याचिका दायर होने के बाद केरल हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजकर इस मामले में दो हफ़्तों के अंदर जवाब तलब करने के लिए कहा है. इसके साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता पीटर म्यालीपराम्बिल ने अपनी याचिका में इस बात को भी खुलकर रखा कि, देश में चल रहे टीकाकरण अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बताया गया और इसका श्रेय पीएम मोदी को दिया गया. इसके चलते यूजीसी तथा केंद्रीय विद्यालयों ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद करते हुए उनके बैनर भी लगाए है.
इस याचिका में आरटीआई कार्यकर्ता ने इस बात का भी जिक्र किया कि, कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे अभियान को प्रधानमंत्री मोदी के मीडिया अभियान में बदला जा रहा है और यह एक चिंता का विषय है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि, इस अभियान को वन मैन शो और देश के टेक्स के रूप में आने वाले पैसे के खर्चे पर एक व्यक्ति को प्रोजेक्ट करते हुए दिखाया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, इस कोरोना टीकाकरण अभियान में प्रधानमंत्री मोदी को इतनी प्राथमिकता दी जा रही है कि लोगों के विचार भी इससे प्रभावित हो रहे है.