बॉलीवुड छोड़ ऋषिकेश चले गया था यह फेमस एक्टर, ढाबे में धोए बर्तन, पिता की मौत ने बदली ज़िंदगी
कई बार फ़िल्मी सितारों की जिंदगी में कुछ ऐसा होता है कि करियर में सब कुछ ठीक-ठाक चलने के बावजूद एक समय ऐसा आता है कि उनकी जिंदगी एक अलग मोड़ ले लेती है. फिल्मों में शानदार सफ़लता और नाम कमाने के बावजूद अचानक से वे फ़िल्मी दुनिया से दूर हो जाते हैं और उनकी हालत पहले से बदल जाती है. कई कलाकार इस बीच ऐसा काम करने लग जाते है जिसके बारे में जानकर उनके फैंस को तगड़ा झटका लगता है. जाने-माने अभिनेता संजय मिश्रा के साथ भी ऐसा ही कुछ हो चुका है.
संजय मिश्रा ने हिंदी सिनेमा की कई शानदार फिल्मों में काम किया है. 57 साल के इस अभिनेता की अदाकारी का हर कोई दीवाना है. छोटे-मोटे रोल करके ही सनी ने फ़िल्मी दुनिया में बड़ा नाम कमा लिया है. हालांकि आपको यह जाकर ताज्जुब होगा कि अच्छा-भला करियर चलने के बावजूद, फिल्मों में शानदार काम करने के बावजूद संजय उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक ढ़ाबे पर चाय बनाने और बर्तन धोने को मजबूर हो गए थे. आइए विस्तार से जानते है कि ऐसा क्यों, कब और कैसे हुआ था.
गौरतलब है कि संजय अपने पिता शंभूनाथ मिश्रा के बेहद करीब थे. उनके पिता एक पत्रकार थे और वे अपने पिता का काफी सम्मान करते थे. हालांकि जल्द ही संजय के पिता उनका साथ छोड़ गए थे. साल 2009 में संजय के पिता का निधन हो गया था तो इससे संजय को बड़ा झटका लगा और वे सदमे में चले गए.
पिता के निधन के बाअद संजय को मानो वैराग्य आ गया हो. वे एक अलग दुनिया में जा रहे थे. फ़िल्मी दुनिया से नाता तोड़कर वे निकल पड़े उत्तराखंड के ऋषिकेश. यहाँ पर अचानक से एक ढाबे पर उन्होंने काम करना शुरू कर दिया. कभी वे चाय बनाकर लोगों को पिलाते थे तो कभी ढाबे में बर्तन धोने का काम भी करते.
बताया जाता है कि अन्य किसी काम में संजय का मन नहीं लगता था और ऋषिकेश में अपने भरण-पोषण के लिए उन्होंने चाय बनाने और बर्तन धोने का काम हाथ में ले लिया था. इस काम से उनका गुजारा हो जाया करता था हालांकि उनकी किस्मत में दोबारा से फिल्मों में काम करना लिखा हुआ था.
संजय जब ऋषिकेश में थे तब हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक रोहित शेट्टी ने उन्हें फोन किया और बातचीत के दौरान रोहित ने संजय मिश्रा को काफी समझाया. इसके बाद संजय ऋषिकेश छोड़कर मुंबई आ गए. उन्होंने फिल्मों में दोबारा पारी की शुरुआत की और कई शानदार फिल्मों में काम किया. अब वे हिंदी सिनेमा के साथ बने हुए है.
संजय मिश्रा ने अभिनय की पढ़ाई कर रखी है. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग का कोर्स किया और फिर फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई का रुख किया. उनका डेब्यू साल 1995 में आई फिल्म ‘ओह डार्लिंग ये हैं इंडिया’ से हुआ था लेकिन उन्हें असली पहचान मिली फिल्म ‘आंखों देखी’ से. इसमें उनके बेहतरीन काम के चलते उन्हें फिल्मफेयर क्रिटिक अवॉर्ड फॉर बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
संजय मिश्रा के निजी जीवन की बात करें तो साल 2009 में अभिनेता ने किरण मिश्रा से शादी की थी. दोनों की दो बेटियां है जिनका नाम पल और लम्हा है.