दिल्ली में हुए दंगे पर कोर्ट ने कहा – किसी घटना की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि साज़िश का हिस्सा था दंगा
जानिए क्यों दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली दंगा था पूर्वनियोजित साज़िश का हिस्सा...
दिल्ली दंगों को लेकर मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने जो बातें कही वह सच में एक लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए चिंतित करने वाली हैं। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगे की पहले से योजना बनाई गई थी। यहां हिंसा किसी घटना के बाद अचानक से नहीं भड़की। गौरतलब हो कि कोर्ट ने इस मामले के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है।
कोर्ट ने कहा कि जो वीडियो फुटेज अदालत में पेश किए गए, उनमें प्रदर्शनकारियों का आचरण साफ दिखाई देता है। सरकार के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए दंगे सुनियोजित ढंग से कराए गए। इतना ही नहीं अदालत ने कहा कि सीसीटीवी (CCTV) कैमरों को नष्ट करना भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए एक पहले से की गई साजिश की पुष्टि करता है। वहीं दूसरी तरफ मालूम हो कि दिल्ली दंगे में 42 से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब 200 घायल हुए थे।
आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की ज़मानत खारिज़ करते हुए कोर्ट ने कही ये बात…
बता दें कि जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम के जमानत की अपील को खारिज कर दिया और उसी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दंगों के पूर्वनियोजित होने की बात कही। वहीं गौरतलब हो कि मोहम्मद इब्राहिम को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का इस्तेमाल सभ्य समाज के ताने-बाने को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जा सकता है। इब्राहिम को सीसीटीवी (CCTV) क्लिप में भीड़ को तलवार से धमकाते हुए देखा गया।
पुलिसकर्मियों पर हमले से जुड़ा हुआ है मामला…
वहीं बता दें कि यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग में दंगे के दौरान पुलिसकर्मियों पर भीड़ के हमले से जुड़ा हुआ है। हिंसा के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल के सिर में चोट लगने से मौत हो गई थी और एक अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गया था।
कोर्ट ने इसी महीने पुलिस को भी लगाई थी फटकार…
गौरतलब हो कि दिल्ली दंगे को लेकर इसी महीने दिल्ली की एक कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि बंटवारे के बाद के सबसे बुरे दंगे की जैसी जांच दिल्ली पुलिस ने की है, यह दुखदाई है। यह जांच संवेदनाहीन और निष्क्रिय साबित हुई है।
दंगे अपने निशान गए हैं छोड़, जो आज भी आते हैं नजऱ…
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग, खजूरी खास, बाबरपुर, जाफराबाद- सीलमपुर, मुख्य वजीराबाद रोड, करावल नगर, शिव विहार और ब्रह्मपुरी में उस दौरान ज्यादा हिंसा हुई थी। दंगे के बीच हुए दो समुदायों के बीच उपद्रव, आगजनी, तोड़फोड़ के निशान अभी भी मौजूद हैं। दंगे के बाद कुछ लोग तो सरकारी और गैर सरकारी सहायता से फिर से दोबारा पटरी पर लौट आएं हैं। लेकिन कुछ लोग अभी भी अपने काम को पूरी तरह शुरू नहीं कर पाए हैं।