सिने में दर्द हुआ तो बिल्ली का पंजा समझ सो गया शख्स, डॉक्टर के पास गया तो निकली बन्दुक की गोली
‘बिल्ली के पंजे मारने’ और ‘बंदूक से निकली गोली लगने में जमीन आसमान का अंतर होता है। इन दोनों चीजों से मिला दर्द का लेवल भी काफी अलग होता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे बंदे से मिलाने जा रहे हैं जिसे बिल्ली के पंजे और बंदूक की गोली के दर्द में फर्क ही नहीं समझ आया। नेमीचंद नाम का यह शख्स राजस्थान के जालौर जिले में बिजली विभाग में लाइनमैन का काम करता है।
नेमीचंद एक रात अपने दोस्तों के साथ सो रहा था। तभी उसे अपने सिने में एक घाव दिखाई दिया। उसे लगा कि शायद बिल्ली पंजा मारकर चली गई है। लेकिन जब बाद में सच्चाई सामने आई तो उसके होश उड़ गए। उसके सिने पर जो घाव हुआ था वह बिल्ली के पंजे मारने से नहीं, बल्कि बंदूक की गोली लगने से हुआ था। लेकिन रात को नींद में नेमीचंद ये चीज समझ नहीं सका। वह तो जब डॉक्टर ने उसके घाव की जांच की और एक्स-रे करवाया तब उसे सच्चाई पता चली। उसके सिने में एक गोली धसी हुई थी।
यह घटना 16 सितंबर की बताई जा रही है। इस रात नेमीचंद घोड़े बेचकर सो रहा था। आधी रात को उसे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। उसे लगा कि शायद बिल्ली मुझे पंजा मारकर गई होगी, ऐसे में उसने इस दर्द को इग्नोर कर दिया। फिर अगले 7 घंटे तक वह अपने तीन दोस्तों के साथ कमरे में आराम से सोता रहा। हालांकि सुबह उसके एक साथी को कमरे में गोली का खाली खोखा मिला, इससे उसने अंदाजा लगाया कि जिसे वह ‘बिल्ली का झपट्टा’ समझ रहे थे असल में वह बंदूक से निकली गोली है।
आनन फानन में नेमीचंद को उसके दोस्त अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टर ने एक्स-रे में देखा कि नेमीचंद की रिब्स केव (पसलियों के बीच एक हिस्सा) में एक गोली फंसी है। फिर 17 सितंबर को डॉक्टरों ने नेमीचंद का ऑपरेशन किया। गोली को बाहर निकाल दिया गया। यह गोली दिल के निचले हिस्से में फंसी थी। गोली पसलियों पर सीधी नहीं लगी थी, बल्कि वह पसलियों और चमड़ी के बीच मांस में तिरछी जा घुसी थी। इस कारण वह शरीर में ज्यादा गहरी नहीं जा पाई।
इस मामले में हैरत की बात ये रही कि गोली कब और कैसे चली इसकी भनक नेमीचंद और उसके 3 साथियों में से किसी को नहीं लगी। कमरे में किसी के आने या जाने के कोई निशान भी नहीं थे। गोली किसने चलाई और कहां से आकर लगी इसे लेकर पुलिस भी सिर खुजा रही है। मामला संदिग्ध होने की वजह से नेमीचंद ने रानीवाड़ा पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज करवा दी। इसके आधार पर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू भी कर दी है। हालांकि अभी पुलिस भी कई सवालों में उलझी हुई है।
बंदूक की गोली नेमीचंद को कैसे लगी? यह गोली नेमीचंद ने खुद ही मारी या फिर उसे किसी ने जान बूझकर मारी? या फिर गोली दुर्घटनावश नेमीचंद को आकर लगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब पुलिस अभी भी खोज रही है।