पांच रुपए की नोट के साथ पटरी के पास मिली थी दीनदयाल उपाध्याय की लाश, मौत का कारण आज भी अस्पष्ट
दीनदयाल उपाध्याय की मौत की जांच के लिए गठित कमेटी ने कहा था कि मुगलसराय में जो कुछ भी हुआ वो किसी उपन्यास के जैसा
भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय का जन्म आज ही के दिन 1916 में हुआ था। बहुत ही कम उम्र में उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। इन मुश्किल हालात में उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और इसी दौरान 1937 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और 1967 में जनसंघ की कमान संभालने वाले दीनदयाल उपाध्याय की अगले साल ही, 10 फरवरी 1968 को रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
इस घटनाक्रम ने पूरे देश को चकित कर दिया। बता दें कि दीनदयाल सियालदाह एक्सप्रेस से लखनऊ से पटना जा रहे थे। रात करीब 2 बजे, ट्रेन मुगलसराय स्टेशन पहुंची और वो ट्रेन में मौजूद नहीं थे। स्टेशन के नजदीक ही उनकी लाश पड़ी मिली, उस दौरान उनके हाथ में 5 रुपये का नोट भी था। हालांकि आज तक यह पता नहीं चल सका कि उनकी मौत का असली कारण क्या था। ऐसे में जब आज हम दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मना रहे तो आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें…
बता दें कि दीनदयाल उपाध्याय की मौत को लेकर तत्कालीन सरकार ने इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी थी। उस वक्त जॉन लोबो सीबीआई (CBI) निदेशक थे। जिनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी के तौर पर थी। जांच मिलते ही लोबो अपनी टीम के साथ मुग़लसराय स्टेशन (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन) पहुँचें।
वहां लोबो इस मामले की जांच पूरी कर पाते, इससे पहले ही उन्हें वापस दिल्ली बुला लिया गया। इसकी वजह से आरोप लगे कि दीनदयाल उपाध्याय की मौत मामले की जांच की दिशा बदलने का प्रयास किया गया। वहीं बाद में सीबीआई की तरफ से इस मामले में निष्कर्ष रिपोर्ट दाखिल की गई और यह बताया गया कि दीनदयाल उपाध्याय की हत्या मामूली चोरों ने की, और उनका मकसद चोरी करना था।
वहीं इस रिपोर्ट के आधार पर 9 जून 1969 को एक अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, “इस मामले में अभी भी वास्तविक सच्चाई खोजी जानी है।” इस बयान के बाद से सियासी हलचल मच गई। जिसके बाद इंदिरा गांधी सरकार ने एक जांच आयोग गठित कर इस मामले को सौंपा। 23 अक्टूबर 1969 को गठित इस कमेटी के अध्यक्ष वाईवी चंद्रचूड़ थे। पांच महीने बाद इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, दीनदयाल उपाध्याय की मौत रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई।
इतना ही नहीं आयोग ने कहा कि, “मुगलसराय में जो कुछ भी हुआ वो किसी उपन्यास के जैसा रहा। मामले को लेकर कई लोगों का व्यवहार सामान्य नहीं था। जिससे संदेह पैदा होता है। ऐसी परिस्थितियों में सामान्य व्यवहार की उम्मीद की जाती, लेकिन मुग़लसराय की कुछ घटनाओं का ताना बाना अजीब तरह से बुना गया है।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि, “इस मामले में संदिग्ध परिस्थितियों का अंत नहीं है। इसकी वजह से धुंधलापन पैदा होता है, जिसका मक़सद असली सच को छिपाने जैसा है।”
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, शव के पास से वैध टिकट का मिलना, जिससे उनकी पहचान हो सके, शव को एक अस्थायी तरीके से रखा जाना, जिस कंपार्टमेंट में वो सफर कर रहे थे उसमें फिनायल की बोतल मिलना, ऐसे और भी कई सवाल परिस्थितियों को असामान्य बनाते हैं।
कुल-मिलाकर देखें तो एक कर्मठ और ईमानदार नेता को देश ने संदिग्ध परिस्थितियों में खो दिया और सबसे दुःखद बात यह है कि उनकी मौत का कारण आज भी रहस्य बना हुआ है। ‘न्यूज़ ट्रेंड’ एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन करता है और आशा करता है कि देश आगे भी दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों पर सदैव आगे बढ़ता रहे और कहीं न कहीं यही दीनदयाल उपाध्याय जी के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।