कहानी बजरंगबली के एक ऐसे मंदिर की जहां से प्रसाद घर ले जाने की नहीं है इजाज़त
रामभक्त हनुमान के इस मंदिर से प्रसाद घर ले जाने की नहीं है इजाज़त। जानिए पूरी कहानी...
हिन्दू धर्म में वैसे तो 33 कोटि देवी-देवताओं का ज़िक्र किया गया है, लेकिन इनमें से दो नाम ऐसे है। जिन्हें एक-दूसरे का पूरक मानते हैं। जी हां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और बजरंग बली एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं और जहां प्रभु राम होंगे, वहां पर भगवान हनुमान भी जरूर मिलेंगे। बता दें कि बजरंग बली को अनेक नामों से भी पुकारा जाता है। कहीं पर उन्हें भगवान हनुमान तो कहीं पर संकटमोचक कहा जाता है। इतना ही नहीं भारत में भगवान राम के सबसे बड़े भक्त बजरंग बली के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं और मान्यता है कि हनुमानजी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
गौरतलब हो कि ऐसा ही एक बजरंग बली का प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के दौसा में स्थित है। जिसे ‘मेहंदीपुर बालाजी मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। बता दें कि यह मंदिर राजस्थान के दौसा की दो पहाड़ियों के बीच स्थित है और इस मंदिर में सालभर भक्त आते हैं और यहां से खुश होकर जाते हैं।
जी हां मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में महाबली हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में विराजमान हैं और उनके ठीक सामने भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित है। बताया जाता है कि यहां आने वाले भक्तों के लिए एक खास नियम है। इस नियम के मुताबिक, दर्शन से कम से कम एक हफ्ते पहले से भक्तों को प्याज, लहसुन, नॉनवेज, शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए।
इतना ही नहीं धार्मिक मान्यताओं की मानें तो ऐसी मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बाद ऊपरी बाधाओं से लोगों को मुक्ति मिल जाती है और इससे छुटकारा पाने के लिए बड़ी संख्या भक्त यहां पहुंचते हैं। बता दें कि यहां पर प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की प्रतिमा भी स्थापित है। हर दिन प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी (कीर्तन) किया जाता है। यह दो बजे होता है। यहीं पर लोगों के ऊपरी साये दूर किए जाते हैं। वहीं कहा यह भी जाता है कि हनुमानजी के इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर वापस आता है।
मंदिर से प्रसाद नहीं लाने की है मान्यता…
बता दें कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का एक और नियम है। मान्यता है कि यहां के प्रसाद को न तो खाया जा सकता है और न ही किसी को दिया जा सकता है। इसके अलावा प्रसाद को घर भी नहीं लाया जा सकता है। ऐसे में प्रसाद को मंदिर में ही चढ़ाया जाता है।
गौरतलब हो कि इस मंदिर से कोई भी खाने-पीने की चीज या सुगंधित चीज को अपने घर नहीं ला सकते हैं। अगर ऐसा करते हैं, तो ऊपरी साया आप और आपके घर वालों पर आ सकती है, ऐसी किवदंती प्रचलित है।