मंदी के वायरस पर लगा जीडीपी के ग्रोथ का टीका, Indian Economy के अच्छे दिन
Indian Economy के अच्छे दिन, कोरोना काल के बीच पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फ़ीसदी GDP ग्रोथ...
कोरोना काल में वैश्विक स्तर पर सबसे ज़्यादा चिंता की लक़ीर खींचने वाली कोई बात अगर कोरोना के बाद थी। तो वह देश की जीडीपी ही थी। वैसे कोरोना काल में जीडीपी में गिरावट सिर्फ़ भारत में ही देखने को नहीं मिली थी, बल्कि इसका असर वैश्विक स्तर पर भी देखने को मिला था।
वहीं दूसरी तरफ़ हमारे देश में विपक्ष आएं दिन जीडीपी का मुद्दा उठाकर केंद्र सरकार को घेरने में लगा हुआ था। लेकिन अब जो ताज़ा ख़बर निकलकर सामने आ रही है। उसके मुताबिक अब इसमें सुधार दिखने लगा है। जी हां मंगलवार को सरकार की तरफ से जीडीपी के ताजा आंकड़े जारी किए गए। वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही यानी अप्रैल 2021 से जून 2021 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ में 20.1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
बता दें कि आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के पहली तिमाही में जीडीपी 32.38 लाख करोड़ रुपये रही है, जो 2020-21 की पहली तिमाही में 26.95 लाख करोड़ रुपये थी। यानी साल दर साल के आधार पर जीडीपी में 20.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं पिछले साल 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई थी।
गौरतलब हो कि एसबीआई की ईकोरैप रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी की दर 18.5 फीसदी रह सकती है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान था कि पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 21.4 फीसदी की दर दिखा सकती है। अभी सरकारी आंकड़ों के अनुसार जीडीपी ग्रोथ रेट 20.1 फीसदी है, जो रिजर्व बैंक के अनुमान के बेहद करीब है। बता दें कि जीडीपी की इतनी शानदार ग्रोथ रेट ये संकेत दे रही है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से सुधर रही है और ऐसे में यह कहीं न कहीं विपक्ष को आईना दिखाने का भी काम कर रही है, जो आएं दिन सिर्फ़ केंद्र सरकार पर आक्षेप लगाती रहती है।
क्या होती है जीडीपी…
बता दें कि ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। जीडीपी किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना है। अधिक जीडीपी का मतलब है कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी हो रही है। अगर जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार पैदा कर रही है। इसका यह भी मतलब है कि लोगों का जीवन स्तर भी आर्थिक तौर पर समृद्ध हो रहा है।
इससे यह भी पता चलता है कि कौन से क्षेत्र में विकास हो रहा है और कौन सा क्षेत्र आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है। चीन की इकॉनमी जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.9 फीसदी की दर से बढ़ी जबकि अप्रैल-जून तिमाही में इसमें 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। आख़िर में जानकारी के लिए इतना कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी फिर पटरी पर लौट आई है। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में शानदार जीडीपी के आंकड़े सामने आए हैं। जो कहीं न कहीं कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार के लिए एक अच्छी ख़बर है और विपक्ष के लिए नकारात्मक।