राकेश टिकैत ने बीजेपी पर दिया विवादित बयान, कहा-UP चुनाव से पहले होगी हिंदू लीडर की हत्या
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा लंबे समय से प्रदर्शन किया जा रहा है। हालांकि अब इस प्रदर्शन ने राजनीति रंग ले लिया है और कई किसानों नेताओं द्वारा बीजेपी के खिलाफ बयान दिए जा रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ हाल ही में एक बयान दिया है। उन्होंने सिरसा में किसानों को संबोधित करते हुए कहा है कि बीजेपी से खतरनाक कोई पार्टी नहीं है और यूपी में चुनाव से पहले किसी बड़े हिंदू लीडर की हत्या हो सकती है।
दरअसल हरियाणा के सिरसा में किसान सम्मेलन में हिस्सा लेना के लिए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आए थे। इस दौरान उन्होंने यूपी में होने वाले चुनाव का जिक्र किया और कहा कि इस राज्य में चुनाव होने से पहले किसी बड़े हिंदू लीडर की हत्या होगी। टिकैत ने कहा कि इनसे बचकर रहना और ये किसी बड़े हिंदू लीडर की हत्या करवाकर देश में हिंदू-मुसलमान करके चुनाव जीतना चाहते हैं।
किसान नेता टिकैत ने आगे कहा कि बीजेपी से खतरनाक कोई दूसरी पार्टी नहीं है। इस पार्टी ने उन लोगों को घरों में कैद कर रखा है। जिन्होंने इस पार्टी को बनाया था। टिकैत ने कहा कि इस देश पर ‘सरकारी तालिबानियों’ का कब्जा हो चुका है। जिस SDM ने किसानों पर लाठियां चलवाईं उसका चाचा RSS में बड़े पद पर है। इन सरकारी तालिबानियों का पहला कमांडर करनाल में मिल चुका है। अगर ये हमें खालिस्तानी कहेंगे तो हम इनको तालिबानी कहेंगे।
इसके अलावा उन्होंने हरियाणा की मनोहर सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि सरकार की ओर से पहले से ही प्लानिंग की गई है कि जब तक किसान आंदोलन में 1500 से अधिक किसान नहीं मारे जाते तब तक कानून वापस नहीं होगा। अब तक 600 किसानों की मौत हो चुकी है। टिकैत ने दुष्यंत चौटाला सरकार को सलाह देते हुए कहा कि वो किसानों के बीच में न पड़ें। दुष्यंत चौटाला अपने काम करते रहें और दिन निकालें। किसानों और सरकार के बीच समझौता न करवाए।
राकेश टिकैत यहीं पर नहीं रुके और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी बयान बाजी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि पीएम की ओर से कहा गया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न ही फसलें दोगुने रेट पर बिकीं।
नीतियों को बताया गलत
वहीं सरकार की नीतियों पर टिकैत ने कहा कि देश की बड़ी कंपनियां कर्ज लेकर माफ करवा लेती हैं और फिर वही कंपनियां सरकारी संस्थान खरीद लेती हैं। अगर कोई किसान कर्ज लेकर न भर पाए तो उसका घर, जमीन तक नीलाम कर दी जाती है। कर्ज दस लाख का है। तो भी किसान की 50 लाख की जमीन बेची जाती है। ये किस तरह का कानून है। ये नीतियां जहां पर बनती हैं। वहां पर कोई भी ट्रैक्टर या हल चलाने वाला नहीं है।
राकेश टिकैत ने कहा कि जिस तरह से असम में चाय बागानों के किसानों को उद्योगपतियों ने बर्बाद किया है उसी तरह से अब हिमाचल के किसान बर्बाद होंगे। उन्होंने कहा कि किसान का गेहूं बिकता है 20 रुपये में और मॉल में आटे की कीमत 87 रुपये किलो होती है।।