अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर कसा तंज। कहा- इतनी बुरी तरह..
अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर चारों तरफ़ से हो रही अमेरिका की किरकिरी
एक तरफ़ अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्ज़े के बाद वहां की सामाजिक व्यवस्था चरमरा रही है, तो दूसरी तरफ़ अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर वैश्विक बिरादरी में अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की भी किरकिरी हो रही है। जी हां पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी को कमजोर दिमाग का परिणाम का परिणाम बताया है।
If this is what it looks like… the Taliban hanging somebody from an American Blackhawk… I could vomit. Joe Biden is responsible.pic.twitter.com/muHLEi3UvK
— Liz Wheeler (@Liz_Wheeler) August 30, 2021
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका के इतिहास में कभी भी युद्ध से वापसी को इतनी बुरी तरह या अक्षमता से अंजाम तक नहीं ले जाया गया, जैसा जो बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका ने अफगानिस्तान से किया है। गौरतलब हो कि तालिबानियों ने अमेरिकी सेना को 31 अगस्त तक का अल्टीमेटम दे रखा था, लेकिन अमेरिका ने उससे पहले ही अफगानिस्तान छोड़ दिया है और डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान संयुक्त राज्य अमेरिका के काबुल से अपनी अंतिम सैन्य उड़ान भरने के बाद आया है।
बता दें कि ट्रंप ने कहा कि, “इतिहास में कभी भी युद्ध से वापसी को इतनी बुरी तरह या अक्षम तरीके से नहीं अंजाम तक पहुंचाया गया, जितना कि अफगानिस्तान से बाइडेन प्रशासन ने वापसी की है।” ट्रंप ने कहा कि तालिबान की अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी के साथ अमेरिकी युद्ध का अंत हो गया, जिसे 9/11 के हमलों के कुछ हफ्तों बाद शुरू किया गया था।
इसके आगे ट्रंप ने कहा कि, “सभी सैन्य उपकरणों को तुरंत संयुक्त राज्य अमेरिका वापस लाना चाहिए, जो कि करीब 85 बिलियन अमरीकी डॉलर के हैं।” उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा, “अगर इसे वापस नहीं किया जाता है, तो हमें फिर से सैन्य बल के साथ अंदर जाना चाहिए और इसे प्राप्त करना चाहिए। कम से कम बमों को वहां से बाहर निकालना चाहिए। किसी ने कभी भी ऐसी मूर्खता के बारे में नहीं सोचा था।” इतना ही नहीं ट्रंप ने इसे कमजोर दिमाग का परिणाम बताया।
गौरतलब हो कि ट्रंप के अलावा संयुक्त राष्ट्र में पूर्व शीर्ष अमेरिकी राजनयिक निक्की हेली ने इसे “शर्मनाक वापसी” बताया है। उन्होंने कहा कि, “जो बाइडेन ने अमेरिकी नागरिकों और अफगान सहयोगियों को एक आतंकवादी सरकार के शासन के भरोसे छोड़ते हुए अफगानिस्तान से अपनी शर्मनाक वापसी पूरी की। अगर उन्हें कुछ भी होता है, तो बाइडेन इसके दोषी होंगे।” इतना ही नहीं हेली ने कहा कि, “रूस और चीन न केवल अफगानिस्तान में जो बाइडेन की वापसी का आनंद ले रहे हैं, बल्कि वे इस पल को हथियाने के लिए भी तैयार हैं। जो बाइडेन की विदेश नीति अमेरिका के लिए विनाशकारी हो सकती है।”
वहीं अफगानिस्तान से वापसी पर रिपब्लिकन भाषण देते हुए, कांग्रेसी मार्क ग्रीन ने कहा कि यह एक अपमान है जिसके परिणामस्वरूप अब अमेरिकी जवानों का दुखद नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि, “हमारी प्रार्थना इन नायकों के परिवारों और प्रियजनों के साथ है। हमारे तथाकथित कमांडर इन चीफ अमेरिकियों, हमारे अफगान सहयोगियों और नाटो के सदस्यों को छोड़ रहे हैं जो केवल हमारी मदद के लिए अफगानिस्तान आए थे। हम नेतृत्व के संकट में हैं। राष्ट्रपति बाइडेन विफल रहे हैं।”
इसके अलावा हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सदस्य और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी के दिग्गज रिपब्लिकन कांग्रेसी ली ज़ेल्डिन ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी वापसी पूरी कर ली है। कई अमेरिकी अभी भी दुश्मन की रेखाओं के पीछे फंसे हुए हैं। अमेरिक के 85 बिलियन डॉलर के हथियार और उपकरण अब तालिबान के हाथों में है। वैसे एक बात तो तय है कि अमेरिका ने जिस तरीक़े से अपने सैन्य अभियान को अफगानिस्तान से ख़त्म किया है। उसके बाद उसकी विदेश नीति और राष्ट्रपति की नीतियों पर सवाल उठना लाज़िमी है और वही हो भी रहा है।