जन्माष्टमी व्रत करने वाले लोगों को सूर्यास्त के बाद नहीं पीना चाहिए पानी, जानें क्या है वजह
हर साल भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष ये त्योहार 30 अगस्त 2021 को आ रहा है। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखने से कृष्ण जी हर कामना को पूर्ण कर देते हैं।
हालांकि इस दिन व्रत रखने से कुछ नियम भी जुड़े हुए हैं। इन नियमों का पालन व्रत रखते समय जरूर करना चाहिए। अगर इन नियमों के तहत व्रत नहीं किया जाता है, तो व्रत रखने का फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए जो भी लोग जन्माष्टमी का व्रत रखें, वो नीचे बताए गए नियमों का पालन जरूर करें।
सूर्यास्त के बाद ने पीएं पानी
जन्माष्टमी का व्रत काफी कठिन माना जाता है और सूर्यास्त के बाद पानी पीना वर्जित माना जाता है। इस व्रत में पूरे दिन पानी पीने की तो छूट होती है। लेकिन सूर्यास्त के बाद पानी नहीं पीया जाता है। जो लोग ये व्रत रखते हैं, उन्हें सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म के समय तक निर्जल रहना होता है। वहीं कृष्ण जी का जन्म होने के बाद ही पानी को पीया जा सकता है।
पूजा से पहले करें स्नान
जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। उसके बाद कृष्ण जी की पूजा की जाती है। इसके बाद दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण किया जाता है। वहीं शाम की पूजा से पहले फिर एक बार स्नान किया जाता है और इसके बाद पानी को ग्रहण नहीं किया जाता है।
जन्माष्टमी के दिन रसीले फलों का ही सेवन करना चाहिए। ये व्रत रखने वाले लोग तरबूज ककड़ी और खरबूजे जैसे पानी वाले फलों का ही सेवन करें। इसके अलावा सेब और अमरूद भी खा सकते हैं। व्रत के दौरान खट्टे फल का सेवन करें से बचें।
इस तरह से करें व्रत का संकल्प
व्रत रखने से पहले इस का संकल्प जरूर धारण करें। व्रत का संकल्प धारण करने के लिए आप सबस पहले कुश के आसन पर बैठें। इस दौरान पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करें। फिर हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, कुश और गंध लें। इनको हाथ में लेते हुए व्रत का संकल्प करें। अगर कोई मनोकामान है तो उसे मन में बोल लें। इसके बाद हाथ में ली इन चीजों को जमीन पर छोड़ दें। अब दीपक जलाकर पूजा करें और नीचे बताए गए मंत्रों का जाप करें।
आराधना का मंत्र:
ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिशां पते!
नमस्ते रोहिणी कान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्!!
संतान प्राप्ति के लिए मंत्र
पहला मंत्र देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते! देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः!!
दूसरा मंत्र-! क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः !!
विवाह का मंत्र
ओम् क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा.
रात के 12 बजे कृष्ण जी का जन्म करवाएं और भजन गाएं। वहीं अगले दिन उठकर नहा लें। फिर कृष्ण जी की पूजा करते हुए व्रत तोड़ने का संकल्प धारण करें।