इस्लामिक देशों ने शरणार्थियों से फेरा मुँह, भारत के अलावा ये देश अफगानियों को देंगें शरण…
तालिबान टेरर! पाकिस्तान समेत इन मुस्लिम देशों ने अफगानी नागरिकों को शरण देने से किया मना।
अफगानिस्तान आज की तारीख़ में संकट के दौर से गुज़र रहा है। वहां सिर्फ़ कहने को एक देश संकट की स्थिति से नहीं गुज़र रहा, बल्कि कहीं न कहीं संकट मानवता पर आन पड़ा है। बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के घुसने के साथ अफरातफरी का माहौल दिख रहा है।
तालिबान के सख्त कानूनों और सजाओं से बचने के लिए हजारों की संख्या में लोग दूसरे देशों में जाने के लिए सीमाओं और एयरपोर्ट पर इकट्ठा हो गए। कई लोग सैन्य विमानों के पीछे दौड़ते-भागते भी नजर आए हैं। इस बीच जहां अफगानिस्तान में युद्ध में शामिल कई पश्चिमी देशों ने अपनी सेना की मदद करने वाले अफगानों को शरण देने की बात कही है, वहीं भारत ने भी वहां फंसे लोगों को शरण देने के साथ सुरक्षित निकालने की बात कही है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अभी तक भारत के अलावा कई ऐसे देश हैं। जो अफगान नागरिकों की मदद के लिए आगे आए हैं। लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं। जिन्होंने मदद से साफ़ इनकार कर दिया है। वहीं इसमें दिलचस्प बात यह है कि जिन देशों ने शरणार्थियों को लेने से इनकार किया है। उनमें ज्यादातर देश अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता का स्वागत कर चुके हैं या काबुल में आगे स्थिति बेहतर होने की उम्मीद जता चुके हैं। ऐसे में आइए हम आपको बताते है कि अभी तक किन-किन देशों ने मानवता की ख़ातिर अफगान नागरिकों को शरण देने की बात कही और कौन कौन से देश न साफ़ मना कर दिया…
किन-किन देशों ने दिया अफगान शरणार्थियों को देश के भीतर आने की छूट…
1) ब्रिटेन…
बता दें कि जिन देशों ने अब तक अफगानिस्तान से निकलने वाले लोगों को शरण देने का ऐलान किया है, उनमें सबसे ताजा नाम यूनाइटेड किंगडम का है। द टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन ने तालिबान के शासन के डर से भागे लोगों को अपने शरणार्थी कार्यक्रम के समानंतर स्कीम के जरिए शरण देने की योजना रखी है। बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार तकरीबन 20 हजार अफगान शरणार्थियों को बसाएगी। इनमें से पांच हजार शरणार्थी पहले ही साल में यूके में बसाए जाएंगे। ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी कि अफगानिस्तान से भागकर आने वाली महिलाओं और अल्पसंख्यकों को ज्यादा से ज्यादा शरण दी जाए।
2) भारत…
वैसे भारत सदैव अतिथि देवों भवः की बात करता है और ऐसे में भारत ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को देखते हुए मंगलवार को घोषणा की थी कि यहां आने की इच्छा रखने वाले अफगान नागरिकों के लिए एक आपातकालीन ‘ई-वीजा’ जारी किया जाएगा। किसी भी धर्म के सभी अफगान नागरिक ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा’ के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और नई दिल्ली में उनकी अर्जियों पर कार्रवाई होगी।
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के दो दिन बाद यह घोषणा कर दी गई थी। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में कहा था कि अफगानिस्तान में फंसे अल्पसंख्यकों को भारत में तुरंत शरण देने के इंतजाम किए जाएंगे।
3) अमेरिका…
वहीं अफगान शरणार्थियों के लिए अमेरिका ने भी अपने द्वार खोल दिए है। अमेरिका के रक्षा विभाग ने अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए हजारों शरणार्थियों को बसाने का लक्ष्य रखा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इन शरणार्थियों को विस्कॉन्सिन में फोर्ट मैकॉय और टेक्सास के फोर्ट ब्लिस स्थित सैन्य ठिकानों पर रखा जाएगा। माना जा रहा है कि पहले चरण में ही अफगानिस्तान के 30 हजार नागरिकों को अमेरिका में बसाया जाएगा। इसके अलावा करीब 4 हजार आवेदकों और उनके परिवार जिनको अमेरिका में सिक्योरिटी क्लियरेंस नहीं मिली है, उन्हें अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद किसी तीसरे देश में बसाया जाएगा।
4) ताजिकिस्तान…
वहीं इन सबसे इतर दुनिया का एक छोटा देश ताजिकिस्तान भी शरणार्थियों की मदद के लिए आगे आ रहा है। ताजिक सरकार ने अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए जुलाई में ही एक लाख अफगान नागरिकों को शरण देने का ऐलान कर दिया था। अफगानिस्तान के पड़ोस में होने की वजह से बड़ी संख्या में सैन्य अधिकारी भी ताजिकिस्तान में शरण देने की मांग कर चुके हैं। वहीं इसके अलावा कनाडा और अल्बानिया जैसे देश भी अफगान लोगों को शरण देने के लिए आगे आ रहे हैं।
कौन से देश अस्थायी तौर पर शरण देने के लिए तैयार?…
हमने पहले बात की स्थायी रूप से अफगानियों को शरण देने वाले देशों की। अब हम बात करते हैं। उन देशों को जो अस्थायी तौर पर अफगानी नागरिकों को शरण देने की बात कर रहें हैं…
1) मैकेडोनिया…
इसमें उत्तरी मैकेडोनिया देश शामिल है। उत्तरी मैकेडोनिया ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अफगानिस्तान के लोगों को अस्थायी तौर पर शरण देगा। फिलहाल इस देश ने 450 लोगों को शरण देने की बात कही है, इनमें ज्यादातर पत्रकार, ट्रांसलेटर और छात्र शामिल हैं। इनमें आधे से ज्यादा अमेरिका के नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट (एनडीआई) नाम की अमेरिकी गैर-सरकारी संस्था के सदस्य हैं, जो कि अफगानिस्तान में रहकर काम कर रहे थे। फिलहाल सभी शरणार्थियों को उत्तरी मैकेडोनिया के होटलों में रखा जाएगा और उनकी देखभाल का खर्च अमेरिका और बाकी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं उठाएंगी।
2) कतर…
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी सरकार अफगान शरणार्थियों को पनाह देने के लिए कतर सरकार से भी चर्चा कर रही है। कतर से कहा गया है कि वह अमेरिकी सेना के साथ काम करने वाले लोगों को सुरक्षित रखे। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह डील साइन होती है, तो करीब 8 हजार शरणार्थी कतर के दोहा पहुंच सकते हैं।
3) युगांडा…
युगांडा ने भी मंगलवार को ही यह ऐलान किया है कि वह अमेरिका की मांग पर अफगानिस्तान के शरणार्थियों को लेने पर विचार कर रहा है। युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने कहा कि वे मौजूदा संकट में किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हैं। फिलहाल इस मामले पर बातचीत जारी है। बता दें कि युगांडा पहले ही दुनिया की सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी वाला देश है। यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक, फिलहाल इस देश में 15 लाख रिफ्यूजी रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर दक्षिण सूडान और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो से हैं।
किन देशों ने शरणार्थियों को लेने से किया साफ मना?
बता दें कि ज्यादातर इस्लामिक राष्ट्र अफगान शरणार्थियों को अपने देश में लेने से मना कर रहें हैं। आइए जानते है। इसमें कौन कौन से देश शामिल हैं…
पाकिस्तान…
अफगानिस्तान में मौजूदा संकट के लिए जिस देश को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, वह है पाकिस्तान। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन के दौरान तालिबान के लड़ाकों को सुरक्षित पनाह देने वाले पाकिस्तान ने अब वहां के नागरिकों को भी लेने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह चाहते तो हैं, लेकिन फिलहाल वे और शरणार्थियों को लेने की स्थिति में नहीं हैं।
उन्होंने इसकी पूरी जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र पर डालते हुए कहा कि यूएन को मदद के लिए आगे आकर अफगानिस्तान की सीमाओं पर कैंप लगाकर शरण मांगने वालों की मदद करनी चाहिए। इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी ऐसे ही बयान दे चुके हैं। बता दें कि पाकिस्तान के अलावा तुर्की, हंगरी, ईरान, उज्बेकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कई देश हैं। जो अफगान शरणार्थियों को देश के भीतर लेने से मना बोल चुके हैं।
जानिए ऐसे में क्या होगा अफगान शरणार्थियों का भविष्य?…
वहीं बता दें कि अफगानिस्तान की शरणार्थी समस्या आने वाले समय में पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में अनुमान जताया कि तालिबान के डर से करीब 4 लाख अफगान पहले ही अपने घर से भागकर विस्थापितों की तरह जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं। इनमें से अधिकतर अभी भी अफगानिस्तान में ही फंसे हैं। इसके अलावा अमेरिकी सेना के मिशन के दौरान 2020 के अंत तक करीब 29 लाख अफगान नागरिक घर में शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर हो गए थे।
बताया जाता है कि मई के बाद से करीब ढाई लाख अफगान अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं, इनमें से 80 फीसदी महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था- यूएनएचसीआर शरणार्थियों के रहने और उनके लिए जरूरतों की चीजें मुहैया करा रही हैं।