7 साल की मासूम बच्ची से 24 साल के युवक ने रचाई की शादी, आगे जो हुआ जान कर चौंकिएगा नहीं
राजस्थान में बाल विवाह जैसी प्रथा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। अक्षय तृतीया या आखा तीज पर ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिस पर नाबालिगों और मासूम बच्चों की शादियां करा दी जाती हैं। अब हाल ही में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। दरअसल यहां 24 साल के एक युवक की शादी 7 साल की बच्ची के साथ करा दी गई। खबर है कि, पुलिस ने दूल्हे पंडित सहित करीब 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
कपासन थाना अधिकारी हिमांशु सिंह राजावत के मुताबिक, बच्ची से शादी कराने के मामले में दूल्हा राकेश पुत्र हीरालाल माली, उसके बड़े भाई उदय राम माली, वहीं पंडित बंशीलाल पुत्र प्रेम शंकर ब्राह्मण के साथ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। जानकारी के मुताबिक, इन सभी लोगों ने मिलकर एक 7 साल की बच्ची का अपहरण कर उसकी शादी करीब 24 वर्षीय युवक राकेश माली के साथ करा दी थी।
जाने क्या है पूरा मामला?
पुलिस की जांच पड़ताल में पता चला कि, 24 साल के राकेश की शादी कहीं नहीं हो पा रही थी। ऐसे में पंडित ने उसे सलाह दी कि उसकी शादी नाता प्रथा के जरिए हो सकती है लेकिन इसके लिए युवक को पहले विवाहित होना जरूरी है। ऐसे में पंडित की सलाह पर परिजनों ने युवक की शादी 7 साल की बच्ची से कराने का फैसला किया। खबर के मुताबिक, पिछले महीने 18 जुलाई को युवक के परिजनों ने बच्ची के गांव के एक दंपति को पैसों का लालच देकर इस बच्चे के साथ शादी करने के लिए उन्हें तैयार कर लिया।
इसके बाद इन सभी ने मिलकर इस मासूम बच्ची का अपहरण किया और मंदिर में ले जाकर उसकी शादी राकेश से करा दी। इतना ही नहीं बल्कि शादी होने के बाद वापस बच्ची को उसके गांव में छोड़ दिया गया। जब बच्ची ने अपने साथ हुई घटना की जानकारी अपने माता-पिता को दी तो बच्ची के दादाजी ने कपासन थाने में यह मामला दर्ज कराया।
पुलिस ने बच्ची के गांव के कालूराम तेली और उसकी पत्नी राधा देवी का नाम दर्ज किया और बाद फिर अन्य आरोपितों की तलाश शुरू कर दी। इसके बाद कालूराम और उसकी पत्नी पकड़ा गए और फिर दूल्हे, उसके परिजनों और पंडित को पुलिस गिरफ्तार करने में सफल रही। मामले की जांच कर रही अधीक्षक गीता चौधरी के मुताबिक 1 महीने से कपासन थाना पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए जुटी हुई थी जो कि गुरुवार को पकड़े गए।
बता दे, राजस्थान का यह कोई पहला मामला नहीं है जो बाल विवाह से जुड़ा हो, इससे पहले भी चित्तौड़गढ़ से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें मासूम बच्चों के पांव में शादी की बेड़ियां डाल दी जाती है। एक सर्वे के मुताबिक, बाल विवाह की दृष्टि से चित्तौड़गढ़ जिला सबसे आगे माना गया है। शारदा एक्ट और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम को नजरअंदाज करते हुए चित्तौड़गढ़ और उसके आसपास के गांव में आखातीज जैसे त्योहार पर बाल विवाह कराए गए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, शारदा एक्ट के अनुसार जो कोई व्यक्ति बाल विवाह करवाता है, बच्चे के परिजन और पुजारी समेत सभी विवाह संपन्न करने कराने वाले व्यक्तियों को दोषी माना जाता है और उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। लेकिन चित्तौड़गढ़ में इस डर का जरा भी असर नहीं है।