नीरज चोपड़ा के परिवार में इंतजार में बहनें, रक्षाबंधन के लिए की है खास तैयारी, दादी करेंगी स्वागत
टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले एथिलीट नीरज चोपड़ा के गांव खांडरा में जश्न का माहौल है। नीरज ने भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता है। ऐसे में पूरा देश नीरज के गोल्ड मेडल लाने पर खुशियां मना रहा है, वहीं नीरज का परिवार और गांव का हर एक सदस्य भी जश्न में डूबे हुए हैं। ऐसे में नीरज की दादी और बहने उनके स्वागत के लिए खास तैयारी कर रही है। नीरज की दादी का कहना है कि, जब उनका पोता घर आएगा तो वह अपने हाथ से चूरमा बनाकर उसे खिलाएंगी, वहीं बहनों ने भी नीरज के लिए रक्षाबंधन पर खास तैयारी करके रखी है। उनका कहना है कि इस बार का राखी का त्यौहार सबसे अलग होगा।
नीरज की बहन गीता और सरिता ने कहा कि, “नीरज ने गोल्ड मेडल जीतकर रक्षाबंधन पर उन्हें बहुत ही कीमती तोहफा दिया है। ऐसा तोहफा जो किसी बहन को नहीं मिल सकता। इसे हम क्या बल्कि पूरा देश कभी नहीं भूल पाएगा। यह तोहफा दुनिया का सबसे अहम तोहफा है।” जबकि नीरज की दादी मां ने कहा कि, “मेरे बेटे ने जो कमाल कर दिखाया वह करीब उसके 11 साल की मेहनत है। उसने कई सालों तक मेहनत की है और पसीना बहाया है। ऐसे में आज पूरा गांव उसके जयकारों से गूंज रहा है, तो इस खुशी के मौके पर वह आज अपने पोते के लिए उसका मनपसंद खाना बनाएंगी।”
इसके अलावा नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा ने कहा कि, “मेरे बेटे ने ना सिर्फ अपने पिता का बल्कि पूरे देश का नाम गर्व से ऊंचा किया है। हम सुबह से ही टीवी ऑन कर के बैठे थे और हमारे आस पड़ोस के लोग भी हमारे घर पर ही मैच देख रहे थे। जैसे ही नीरज ने भाला फेंक में गोल्ड मेडल अपने नाम किया हमारी आंखों से खुशी के आंसू निकल गए।”
वहीं नीरज चोपड़ा की कामयाबी के बाद उनके चाचा भीम चोपड़ा ने कहा कि, “नीरज को उसकी मेहनत का फल मिला है। 1 साल से उसका मोबाइल बंद है। उसने बहुत कड़ी मेहनत की है। मैंने पहले ही कहा था कि गोल्ड मेडल तो म्हारे छोरे का ही है। फाइनल में 11 खिलाड़ियों पर मेरा भतीजा भारी पड़ा और इससे मैं बहुत खुश हूं।”
बता दें, नीरज चोपड़ा के गांव खांडरा में हर कोई खुशी से झूम रहा है। लोगों ने अपने-अपने घरों के सामने नीरज चोपड़ा की फोटो लगाई हुई है। गांव के हर चौराहे और सड़कों पर नीरज को देखने के लिए बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। जैसे ही नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया, पूरा गांव नीरज नीरज के नाम से गूंजने लगा। इसके साथ ही सभी लोग नीरज के लिए ‘गोल्डन ब्वॉय’ के नाम से जयकारे लगाने लगे।
इसके अलावा नीरज चोपड़ा के डीएवी कॉलेज में भी जश्न का माहौल रहा। कॉलेज के शिक्षक-छात्र जमकर सेलिब्रेशन करने लगे, इतना ही नहीं बल्कि नीरज के गोल्ड मेडल जीतने की खुशी में ढोल नगाड़े बुलाए गए और सभी छात्रों ने जमकर खुशी मनाई। नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले के खंडारा गांव के रहने वाले हैं। नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा एक किसान है जबकि मां सरोज देवी घर-गृहस्थी संभालती है। उनकी दो छोटी बहनें हैं जिनका नाम संगीता और सरिता है। नीरज चोपड़ा को उनके चाचा भीम चोपड़ा ने ही भाला फेंक फील्ड में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था।
बता दें, नीरज ने पहली बार में 87.03 जबकि दूसरी बार में 87.58 की दूरी पर भाला फेंका। तीसरी बार में उन्होंने 76.79 मीटर पर भाला फेंका लेकिन चौथी और पांचवी बार में वह फाउल हुए। इसके बाद छठी बार में उन्होंने 80 मीटर से ज्यादा दूर भाला फेंका। इस दौरान नीरज के 87.58 मीटर के रिकॉर्ड को कोई भी छू नहीं पाया। नीरज की ऐतिहासिक जीत पर हरियाणा समेत पूरा देश झूम रहा है।