दारा सिंह की पुण्यतिथि पर भावुक हुआ बेटा, कहा- एक साधारण किसान के बेटे ने आसमान छुआ लेकिन..
किसान के बेटे थे दारा सिंह, फेमस होने पर भी जमीन से जुड़े थे
‘दारा सिंह (dara Singh)’ जब भी हम ये नाम सुनते हैं तो रिस्पेक्ट अपने आप ही बाहर निकल जाती है। इस बात में कोई शक नहीं कि वे अपने जमाने के अच्छे कलाकार और महान व्यक्ति थे। लोग उन्हें फिल्मों के अलावा निजी जीवन में भी बहुत पसंद करते थे। इसकी वजह उनका जमीन से जुड़ा व्यवहार होता था। इतनी सफलता पाने के बाद भी उन्होंने कभी घमंड नहीं किया। उन्होंने न सिर्फ हिन्दी और पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया, बल्कि की फिल्में प्रोड्यूस भी की। इसके अलावा उन्होंने फिल्मों में राइटर और डायरेक्टर की भूमिका भी निभाई।
दारा सिंह का चर्चित सीरियल ‘रामायण’ में ‘हनुमान जी’ का किरदार लोग आज भी याद करते हैं। वैसे अधिकतर लोग उन्हें अभिनेता के रूप में ही जानते हैं। लेकिन वह 500 कुश्तियों में जीत हासिल करने वाले ‘रुस्तम ए हिन्द’ भी थे। इसके अलावा वे राजनीति में भी सक्रिय थे। वे राज्य सभा के मेंबर भी थे। 19 नवंबर 1928 को अमृतसर में एक किसान के घर पैदा हुए दारा सिंह का निधन 12 जुलाई 2012 को हुआ था। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, तब उनकी उम्र 84 साल थी।
आज दारा सिंह हमारे बीच भले न हो लेकिन उनकी यादें आज भी दिलों में जिंदा है। खासकर उनके परिवार के लोग आज भी उन्हें दिल से याद करते हैं। खासकर उनका बेटा विंदु दारा सिंह का अपने पिता से खास लगाव था। हाल ही में पिता दारा सिंह की पुण्यतिथि पर उनके बेटे विंदु ने उन्हें याद करते हुए एक इमोशनल नोट शेयर किया। इस पोस्ट में उन्होंने दारा सिंह की एक पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर साझा की।
View this post on Instagram
अपनी इस पोस्ट में विंदु ने लिखा – बहुत सी अनमोल यादें हैं जिसमें से मैं किसी एक को नहीं चुन सकता। मेरे लिए उनके साथ बिताया हर लम्हा बेशकीमती था। वह सिर्फ मेरे पिता ही नहीं थे बल्कि एक अच्छे पति, दादा भी थे, जो काफी मजेदार थे। वे एक सम्मानित खिलाड़ी और एक अभिनेता थे, जिनके साथ हर कोई काम करना चाहता था। उनकी मौजूदगी हमेशा दिल को खुश कर देती थी, फिर भले वह किसी ईवेंट में कुछ मिनट के लिए ही आए हो।
विंदु आगे लिखते हैं – उनसे मिलने के लिए लोग हमेशा उत्सुक रहते थे। इसकी वजह ये थी कि वे कभी किसी फैन या शुभ चिंतक को मिलने से मना नहीं करते थे। वे सभी से एक विनम्रता और मुस्कान के साथ मिलते थे। उनमें न तो कोई घमंड था और न ही किसी बात की अकड़ थी, बल्कि वे प्यार, मेहनत और सादगी से ओतप्रोत थे।
विंदु ने आगे लिखा – एक साधारण किसान परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने आसमान को छुआ। वे बहुत फेमस हुए लेकिन फिर भी जमीन से जुड़े रहे। उन्होंने अपनी लाइफ ठीक वैसे ही जी जैसा वे जीना चाहते थे, फिर जब दुनिया छोड़ी भी तो अपने हिसाब से। 12 जुलाई 2012 यह दिन आज भी ऐसा लगता है मानो कल की ही बात हो। हमारे ऊपर उनकी आशीर्वाद हमेशा है। अब उस दिन का इंतजार है जब हम दारा सिंह की बायोपिक लॉन्च करेंगे।’
वैसे दारा सिंह को लेकर आपके मन में कौन सी यादें सबसे अनमोल है? अपने जवाब कमेन्ट में जरूर दें।