दुनिया का एक ऐसा देश जहां लगती है दुल्हन की मंडी। अपनी मर्ज़ी से लोग चुनते हैं दुल्हन…
पैसे देकर इस देश में दुल्हन मंडी से सब्जी और फलों जैसे खरीदी जाती है दुल्हन। जानिए क्यों करते है लोग इस देश में ऐसा...
अभी तक आपने फ़ल मंडी, अनाज मंडी और सब्जी मंडी के बारे में सुना होगा, लेकिन हम आपसे कहें कि एक जगह ऐसी भी है। जहां लड़कियों की मंडी लगती है और वह भी इसलिए ताकि उन्हें बेचा जा सकें। तो शायद आप इस बात पर विश्वास न करें। आप विश्वास करें या न करें। यह अलग बात है, लेकिन यह सच है कि इस धरती पर एक देश ऐसा भी है। जहां लड़कियों की शादी मंडी में बिकने के बाद ही होती है।
भारतीय संस्कृति में तो कन्यादान को काफ़ी महत्व दिया गया है। साथ में शादी के लिए लड़कियों क बेचना समाज का बेहद घिनौना काम माना जाता है, लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां लड़कियों की शादी ही बाजार ( Bride Selling Market) में बिकने के बाद होती है। बता दें कि पहले लड़कियों को उनके माता-पिता ही दुल्हनों की मंडी में पहुंचते हैं।
इस मंडी (Weird Traditions Around The World) में दुल्हन के तमाम खरीदार होते हैं, जो उसकी बोली लगाते हैं। फिर माता-पिता सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले से अपनी बेटी का रिश्ता तय कर देते हैं।
शादी से पहले जिस देश में लड़कियों की मंडी लगती है। उस देश का नाम बुल्गारिया है। इस देश में एक जगह ‘स्तारा जागोर’ नाम की है। जहां पर हर साल में चार बार दुल्हनों ( Bride Market In Bulgaria) का बाजार सजता है। यहां आने वाले दूल्हे अपनी पसंद की दुल्हन खरीदकर उसे अपनी पत्नी बना सकते हैं। ये अनोखी परंपरा (Weird Traditions Around The World) बुल्गारिया के रोमा समुदाय (Roma Community In Bulgaria) में सालों से चली आ रही है।
यहां लड़कियों को 14 साल तक स्कूल से भी निकाल लिया जाता है और उसके बाद उन्हें कॉलेज भी नहीं भेजा जाता क्योंकि दु्ल्हनों की मंडी ( Bride Selling Market) में सिर्फ दो योग्यताएं होनी चाहिए। जिसमें पहली योग्यता यह है कि लड़की को घर का काम आता हो और दूसरी यह कि वो कुआंरी हो। यही वजह है कि दुल्हन की मंडी में आने वाली ज्यादातर लड़कियां नाबालिग ही होती हैं।
बता दें कि रोमा समुदाय के लोगों की संख्या अब बुल्गारिया में इतनी ज्यादा नहीं है, लेकिन इनकी गरीबी और दकियानूसी सोच इन्हें आगे बढ़ने भी नहीं दे रही। इस समुदाय की लड़कियों को भी इस परंपरा पर कोई खास आपत्ति नहीं होती, क्योंकि वे शुरू से ही इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार होती हैं।
बचकोवो मोनेस्ट्री के नज़दीक लगने वाले इस बाज़ार में नाबालिग लड़कियों का सौदा 300-400 डॉलर तक में होता है। न तो इन युवतियों को कभी कॉलेज की शक्ल देखने का मौका मिलता है, न ही वो घर-परिवार के अलावा कुछ सोच पाती हैं। दुल्हनों के बाजार में पहुंचने के लिए वे कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं और उनका खूबसूरत दिखना बेहद ज़रूरी होता है।
यहां मौजूद लड़के अपनी पसंद के मुताबिक लड़की चुनते हैं और उनके बीच बातचीत होती है। जिसके बाद बाज़ार में कोई लड़की पसंद आने के बाद लड़का उसे अपनी पत्नी मान लेता है और माता-पिता को इस शादी के लिए राज़ी होना पड़ता है।
लड़के और लड़की के बीच घर-परिवार और आमदनी पर बातचीत होती है, फिर परिवार वाले शादी की रकम तय करते और रिश्ता हो जाता है। गौरतलब हो कि लड़कियां इस बाज़ार में अकेले नहीं आतीं, हमेशा उनके साथ उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य ज़रूर होता है।
दुल्हनों का बाज़ार ‘कलाइदझी समुदाय’ की ओर से लगाया जाता है और यहां कोई बाहरी शख्स दुल्हन खरीदने नहीं आ सकता। लड़कियों को बेचने की ये परंपरा इन समुदायों की गरीबी और अभाव से जन्मी है, जिसे कोई खत्म नहीं कर पाया। हालांकि अब इस समुदाय की महिलाएं अगली पीढ़ी के लिए और खुलापन चाहती हैं।
लेकिन बिना शिक्षा के ये मुमकिन नहीं है और महिलाओं को यहां हायर सेकेंडरी की भी शिक्षा मुश्किल से ही मिल पाती है। ऐसे में आने वाले समय में बदलाव कैसे होगा। यह भी अपने आपमें बड़ा सवाल है? वैसे कुछ भी हो आज के आधुनिक युग में जब मानव समाज मंगल और चांद पर जीवन की संभावनाएं तलाश रहा। ऐसे में ये परम्पराएं कहीं न कहीं मानवीय समाज और उन वैश्विक सामाजिक-राजनीतिक संगठनों पर सवाल खड़ें करती हैं।
जो बात तो ग़रीबी और अमानवीय कृत्यों को रोकने की करती हैं, लेकिन वास्तविकता के धरातल पर उनके प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होते हैं।