तो आज क्रिकेटर नहीं मछुआरे होते सुनील गावस्कर, चाचा की तेज नज़र ने बचा ली थी ज़िंदगी
विश्व क्रिकेट के महान बल्लेबाज रहे सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं. सुनील गावस्कर ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया है. सुनील गावस्कर का जन्म 10 जुलाई 1949 को हुआ था. वे भारत के सबसे सफ़ल बल्लेबाजों में से एक हैं.
सुनील गावस्कर भारतीय टीम की कप्तानी भी कर चुके हैं. वे टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे पहले 10 हजार रन पूरे करने वाले बल्लेबाज हैं. क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर और सफ़ल बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण समेत कई खिलाड़ी उन्हें अपना हीरो मानते हैं. सुनील गावस्कर जब बल्लेबाजी के लिए उतरते थे तो विपक्षी गेंदबाजों में ख़ौफ़ पैदा हो जाता था. सुनील गावस्कर के जन्मदिन के अवसर पर आज हम आपको उनसे जुड़े एक ऐसे किस्से के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में आपने पहले शायद ही कभी सुना हो.
महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने अपनी ऑटोबायोग्राफी (Autobiography) ‘सनी डेज’ (Sunny Days) में एक किस्से का जिक्र किया है और उन्होंने इस बात की जानकारी दी है कि वो कभी क्रिकेटर नहीं बन पाते और न ही ये किताब लिखी गई होती अगर उनकी जिंदगी में तेज नजरों वाले चाचा नारायण मासुरकर (Narayan Masurkar) नहीं होते.
बर्थमार्क के कारण बच गए गावस्कर…
गावस्कर ने अपनी किताब में बताया है कि उनके जन्म के दौरान उन्हें देखने के लिए अस्पताल में चाचा नारायण मासुरकर (Narayan Masurkar) आए थे. चाचा ने सुनील को देखा और उनके कान पर एक निशान भी देखा था.
चाचा अगले दिन सुनील को देखने के लिए फिर से अस्पताल पहुंचे थे और किसी दूसरे बच्चे को सुनील समझकर उन्होंने गोद में ले लिया. हालांकि उस बच्चे के कान पर निशान नहीं था. क्योंकि सुनील गावस्कर बदला गए थे और पूरे अस्पताल में उनकी तलाश की गई.
सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने अपनी ऑटोबायोग्राफी (Autobiography) ‘सनी डेज’ (Sunny Days) में आगे लिखा है कि पूरे अस्पताल में मेरी तलाश की गई और मैं एक मछुआरे की पत्नी के पास सोते हुए मिला था. गौकसकर के मुताबिक़ ऐसा शायद किसी नर्स की गलती की वजह से हुआ था. इस घटना को लेकर गावस्कर ने कहा है कि, ”अगर उस दिन चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता, तो शायद मैं आज वो मछुआरा होता.”
सुनील गावस्कर के क्रिकेट करियर पर एक नज़र…
सुनील गावस्कर के क्रिकेट करियर पर नज़र डालें तो उनका क्रिकेट करियर बहुत ही स्वर्णिम रहा है. सुनील गावस्कर ने वनडे क्रिकेट की तुलना में टेस्ट क्रिकेट में ख़ूब तहलका मचाया है. वे दुनिया के ऐसे पहले बल्लेबजा है जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रनों के आंकड़े को छूआ था. उन्होंने कुल 125 टेस्ट मैच खेलें थे और इस दौरान उनके बल्ले से कुल 10, 122 रन निकले थे. वहीं गावस्कर ने टेस्ट में कुल 34 शतक जमाए थे. उनका यह रिकॉर्ड मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने ध्वस्त किया था. जबकि वनडे करियर की बात करें तो सुनील गावस्कर ने कुल 108 वनडे में एक शतक सहित 3092 रन बनाए थे.
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सुनील गावस्कर ने कमेंटेटर के रूप में काम किया और उनका यह सफ़र अब तक जारी है.