इन पांच बातों को लेकर पुरुष को कभी नहीं होना चाहिए शर्मिंदा, जानिए क्यों…
ये बात हैं काफ़ी कॉमन इसलिए इन बातों पर शर्मिंदा होने का नहीं बनता है कोई तुक
हर सिक्कें के दो पहलू होते हैं। यह हम सभी को पता है। ऐसे में समाज में कुछ पुरुष और स्त्री ऐसे भी होते हैं। जो ग़लत कामों से बाज़ नही आते। वह ग़लत से महा ग़लत काम कर सकते। अगर उन्हें इस चीज़ से फ़ायदा हो, लेकिन इसका मतलब यह तो कतई नहीं कि पूरा पुरुष समाज या स्त्री समाज उस बात को लेकर शर्मिंदा हो। आख़िर जिसने ग़लत किया है। शर्मिन्दा तो उसे होना चाहिए लेकिन कई बार होता ऐसा है कि कोई व्यक्ति ग़लत कर बैठता है, लेकिन उसके लिए शर्मिंदा पूरा समाज होता है। वहीं ग़लत करने वाला व्यक्ति मौज से अपना जीवन जीता है।
इतना ही नहीं क्या आपने कभी पुरुष होने की वजह से शर्मिंदगी महसूस की है? या आपको लगा हो कि, आपका मर्दाना स्वभाव, और उससे जुड़ा हुआ व्यवहार आपको एक असंवेदनशील, मूर्ख या उससे भी बुरा, कोई खतरनाक शिकारी जानवर बनाते हैं? ऐसे पुरुषों की संख्या वाकई बहुत कम है जो अपराध या महिलाओं के प्रति बहुत बुरा व्यवहार करते हैं। जबकि अपने आसपास आप ज्यादातर ऐसे पुरुषों को ही देखते हैं जो कानून का पालन करने वाले हैं और महिलाओं के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करते हैं। सच्चाई भी यही है कि, कुछ पुरुष गलत काम करते हैं। वैसे ही कुछ महिलाएं भी करती है। दुर्भाग्य से दुनिया ऐसे लोगों से भरी हुई है जो, अपनी मनचाही चीज को हासिल करने के लिए कई तरह के जोड़-तोड़ करते हैं। इसी क्रम में वो दूसरों को चोट या नुकसान पहुंचाने से भी बाज नहीं आते हैं।
ऐसे में अगर आप पुरुष है और आप अपने गलत कामों के लिए शर्मिंदा हो न कि पुरुष होने के लिए। यही शर्मिंदगी महिलाओं को भी होनी चाहिए, अगर वो भी गलत करती हैं तो। लेकिन कई ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में पुरुषों को शर्मिंदा होने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। भले ही इन बातों को लेकर हमारा समाज और लोग और कितना भी क्यों न स्टीरियोटाइप बनाने की कोशिश करें। आइए आज हम आपको 5 ऐसी बातों के बारे में बताते हैं। जिनको लेकर पुरुषों को कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। भले ही समाज इसके लिए आपको कुछ भी क्यों न कहता रहें, क्योंकि आपने यह गाना तो सुना ही होगा कि, “कुछ तो लोग कहेंगे, लोग का काम है कहना।”
डर लगना (Being Scared)…
बचपन में यह डायलॉग तो लगभग हर किसी ने सुना होता है कि, कैसे लड़के हो? या फिर, लड़के होकर भी डरते हो? ये छोटी सी बात हमारे मन में इतना गहरा असर करती है कि पूरी जिंदगी वो लड़का सिर्फ अपनी असुरक्षा की भावना को छुपाए फिरता रहता है।
वो कभी किसी से नहीं कह पाता कि, “हां, मैं एक लड़का हूं और मुझे डर लगता है।” डरना बुरी बात नहीं है। बुरी बात है, उसे लोगों से या अपने करीबियों से कह न पाना। मन की गहराई में छिपी हुई बात से खतरनाक इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। यह तो सभी का कहना है।
ऐसे में आपके मन का वहम या कोई भी छोटी सी बात, कब आपके सामने पहाड़ की तरह खड़ी हो जाएगी, आप नहीं जानते हैं। इसलिए अगर डर लगता है तो डटकर उसका सामना कीजिए। और इसमें शर्मिंदगी की कोई बात नहीं है। बता दें कि दलेर मेंहदी जैसे लोग भी निक्टोफोबिया के शिकार हैं। यानि कि, उन्हें अंधेरे में जाने से डर लगता है। फिर हमें किसी बात का डर लगे तो उसे छिपाने और शर्मिंदा होने की क्या बात।
अपना स्पेस बनाए रखें (Wanting Space)…
सोचिए आप किसी रिश्ते में हैं और पार्टनर आपकी हर सेकेंड की एक्टिविटी के बारे में जानना चाहती है। यहां तक कि, आप क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं, किस कलर के शर्ट और जूते पहनेंगे, ये भी वही तय करती है। आप अपने दोस्त भी खुद नहीं चुन सकते, उन्हें भी वही चुनेगी। तो, यह मानिए कि आप गलत जगह हैं।
असल में, इन चीजों से ऊबकर आजादी चाहना कोई गलती नहीं है। हर इंसान का अपना स्पेस होना चाहिए। जिसमें अगर कोई एंट्री चाहता है तो उसे आपकी इजाजत लेनी पड़े। ऐसा स्पेस मेंटेन हर व्यक्ति को करना चाहिए। अगर आप ऐसी चाहत रखते हैं और इस टाइप के स्पेस को बिल्ड करने की कोशिश कर रहे हैं तो आप एकदम सही हैं। किसी को भी ये अधिकार नहीं होना चाहिए कि वो आपके रिजर्व स्पेस में एंट्री करे।
किसी को याद करना (Missing Someone)…
कई बार कुछ लोग हमारी जिंदगी से बहुत दूर चले जाते हैं। या फिर, लाइफ में ब्रेकअप जैसे मोमेंट आ जाते हैं। ये लम्हें जिंदगी को झकझोर कर रख देते हैं। इनसे बाहर निकलने के लिए भी इंसान को काफी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में किसी को बहुत ज्यादा याद करने को कमजोर समझना गलत है। ये उस इंसान या चीज के प्रति आपका लगाव और समर्पण भी हो सकता है। इस समर्पण से किसी इंसान का जुड़ाव ही उसके मन में इंसानियत की भावना का विकास करता है।
अगर इसके लिए कोई आपको कमजोर समझता है तो ये उसकी भूल है। आप कमजोर नहीं हैं। बल्कि आपके अंदर इंसानियत की रोशनी सामने वाले से कहीं ज्यादा बुलंदी से रोशन है। इसलिए आनंद मनाएं, दुख का शोक नहीं।
ईर्ष्यालु होना (Being Jealous)…
ईर्ष्या करना मानव का प्राकृतिक स्वभाव है। किसी की उन्नति को देखकर लोगों के मन में अक्सर ईर्ष्या की भावना का विकास होता है। ये बेहद स्वाभाविक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ही लोगों के मन में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित होती है। जो बहुत ही अच्छी बात है।
हर इंसान अपने मन में ग्रोथ के लिए एक आइडल की कल्पना करता है। उसे फॉलो करता है और उसकी सलाह पर अमल भी करता है। पूरे मनोयोग से कोशिश के बाद भी अगर कोई आपसे तेज आगे बढ़ रहा है तो जाहिर सी बात है कि, आपके प्रयासों में कमी है।
अगर आपके मन में प्रतिस्पर्धा की भावना ही न होगी तो आगे बढ़ने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकेगा। इसलिए, अगर आपके मन में ईर्ष्या जैसी भावनाएं हैं तो इसे सकारात्मक तरीके से ही ले और आगे बढ़ने की कोशिश करें।
किसी से मदद मांगना (Reaching Out For Help)…
इतना ही नहीं कई बार इंसान की जिंदगी में ऐसे पल आते हैं, जब उसे किसी से मदद मांगनी पड़ती है। इसमें संकोच नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि, किसी से ली गई मदद आपकी जिंदगी को नए सिरे से स्टार्ट करने में मदद करे। सामने वाला ज्यादा से ज्यादा मना ही तो करेगा। इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। परिस्थितियों पर विचार करें और उसके अनुसार ही फैसला करें। कई बार लोग छोटी सी मदद से ही आगे बढ़ने के नए रास्ते तलाश लेते हैं। इसलिए, अगर आपकी जिंदगी में मदद मांगने का मौका आए तो आगे बढ़ें और संकोच न करें, क्योंकि जीवन इसी का नाम है और मदद की ज़रूरत कभी न कभी हर व्यक्ति को पड़ती है। ऐसे में आशा करते हैं यह स्टोरी आप सभी को पसन्द आएगी। साथ ही साथ यह भी आशान्वित हूं कि जो भी पुरुष अभी तक उपरोक्त आदतों को लेकर अपने आपको शर्मिंदा महसूस करते थे और अब वे उस परिधि से बाहर निकलेंगे, क्योंकि यह जीवन है और ऐसे ही चलता है।