XXX फिल्मों को कहा गया ब्लू फ़िल्म और वेश्यावृत्ति के अड्डे को रेड लाइट एरिया। जानिए क्यों
रेड लाइट एरिया और ब्लू फिल्मों यानी की एक्स (X) फिल्मों से लगभग हर वयस्क परिचित है। इन दोनों का अर्थ क्या होता यह भी लोग भलीभांति समझते है। लेकिन क्या यह जानते है कि इनका नाम यह क्यों पड़ा? ये बात शायद ही गिने-चुने लोगों को ही पता हो। बता दें कि रेड लाइट एरिया एक ऐसा क्षेत्र होता है। जहां वेश्यावृत्ति का काम होता है। वहीं एक्स फिल्मों का मतलब यह है जिसमें अश्लील कृत्य का प्रदर्शन हो। आप सभी ने दिल्ली के जीबी रोड और पश्चिम बंगाल के सोनागाछी के बारे में तो सुना ही होगा। जो देश में वेश्यावृत्ति के लिए मशहूर जगह हैं। अब चलिए बात करते है कि वेश्यावृत्ति के व्यापार के लिए कैसे ये रंग जुड़ा गया और अश्लील फिल्में कैसे ब्लू फ़िल्म बन गई।
बता दें कि यह बात 1894 की है जब अमेरिका के एम्स्टर्डम में रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट नाम का एक इलाका हुआ करता था। कहते हैं यहां वेश्याघरों में खास तौर पर लाल रंग की लाइटें लगाई जाती थी। ताकि वेश्याओं का घर इलाके के बाकी घरों या दुकानों से हटकर दिख सके। इन दिनों इंटरनेट का जमाना नहीं हुआ करता था। इसलिए ये लोगों को इशारा करने का एक तरीका हुआ करता था। फिर क्या था। बस धीरे-धीरे इसी रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट के नाम पर वेश्यावृत्ति की जगह को रेड लाइट एरिया (Red Light Area) कहा जाने लगा। मालूम हो कि भारत के कुछ प्रमुख रेड लाइट एरिया में सोनागाछी, कमाठीपुरा, बुधवार पेठ के अलावा जीबी रोड इसके लिए प्रसिद्ध है।
सोनागाछी, कोलकाता…
बता दें कि देश के पूर्वी भाग के सबसे बड़े महानगर सोनागाछी को एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया माना जाता है। अनुमान के मुताबिक यहां कई बहुमंजिला इमारते हैं, जहां करीब 11 हजार वेश्याएं देह व्यापार में संलिप्त है। उत्तरी कोलकाता के शोभा बाजार के समीप स्थित चित्तरंजन एवेन्यू में स्थित इलाके में वेश्यावृत्ति से जुड़ी महिलाओं को बाकायदा लाइसेंस तक दिया गया है।
कमाठीपुरा, मुंबई…
फैशन, फिल्मों और बिजनेस का शहर मायानगरी मुंबई का एक इलाका कमाठीपुरा पूरी दुनिया के सबसे प्रमुख रेडलाइट एरिया में चर्चित है। बताया जाता है कि यह एशिया का सबसे पुराना रेडलाइट एरिया है। इस एरिया का इतिहास सन 1795 मे पुराने बॉम्बे के निर्माण से शुरू होता है।
बुधवार पेठ, पुणे…
पुणे का बुधवार पेठ स्थान भी देश के फेमस रेडलाइट एरिया में से एक है। यहां बड़ी संख्या में नेपाली लड़कियां देह व्यापार मे संलिप्त हैं।
जीबी रोड, दिल्ली…
राजधानी दिल्ली स्थित जीबी रोड का पूरा नाम गारस्टिन बास्टिन रोड है। यह राजधानी दिल्ली का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है, हालांकि इसका नाम सन 1965 में बदल कर स्वामी श्रद्धानंद मार्ग कर दिया गया था। इस इलाके का भी अपना इतिहास है। बताया जाता है कि यहां मुगलकाल में कुल पांच रेडलाइट एरिया यानी कोठे हुआ करते थे। अंग्रेजों के समय इन पांचों क्षेत्रों को एक साथ कर दिया गया और उसी समय इसका नाम जीबी रोड पड़ा था।
तो यह कहानी हुई रेड लाइट एरिया के इतिहास और वेश्यावृत्ति के अड्डे का नाम रेड लाइट एरिया क्यों पड़ा इसकी। अब बात (X) फिल्मों की। आख़िर क्यों इसे ब्लू फ़िल्म कहा गया। आइए जानते हैं यह।
एक्स फिल्में ब्लू फ़िल्म क्यों कहलाई?…
मालूम हो कि (X) फिल्मों को ब्लू फिल्म क्यों कहा जाता है। इसके पीछे कारण है। ब्लू रंग का (X) फ़िल्मों के साथ जुड़ने के पीछे कई कारण हैं। शुरुआती दौर में (X) फिल्में काफी सस्ती बनती थी। ब्लैक एंड वाइट फिल्मों को बनाने के लिए जिन रील का इस्तेमाल हुआ करता था, वो ज्यादा महंगी पड़ती थी और इसका इस्तेमाल ज्यादा लंबे समय तक नहीं किया जा सकता था, क्योंकि उसमें नीले रंग का कुछ शेड आ जाया करता था। ऐसे में (X) फिल्मों को बनाने वाले उसे हॉलीवुड से सस्ते दामों में खरीद लिया करते थे और फिर फिल्म शूट कर लेते थे, जब अंत में फिल्म बनकर तैयार होती थी तो, वह हल्की नीली दिखाई पड़ती थी। इसलिए लोग उसे ‘ब्लू फिल्म’ कहने लगे।
इतना ही नहीं, 50-60 साल पहले खत्म हो चुके पश्चिमी देशों के ब्लू लॉ (Blue Law) से भी ब्लू फिल्म का संबंध माना जाता है। ब्लू लॉ (Blue Law) के अंतर्गत कई तरह की चीजें आती थी, जैसे रविवार के दिन कई तरह के कामों को करने पर पाबंदी थी। जैसे शराब की ज्यादा बिक्री और (X) फिल्मों की शूटिंग पर भी ब्लू लॉ (Blue Law) का हस्तक्षेप था कहा जाता है कि ब्लू लॉ (Blue Law) के कारण भी इसे ब्लू फिल्म कहा जाने लगा।
वहीं इसके पीछे एक कारण और है कि 1969 में पहली (X) फिल्म बनी थी जिसका नाम था “ब्लू मूवी” इसमें काफी सीन दिखाए गए थे, इस फिल्म में टेक्निकली कुछ खराबी होने के कारण नीले रंग का दिखाई दे रहा था। अमेरिका के कई सिनेमाघरों में ये फिल्म प्रदर्शित हुई थी और तभी से ऐसी फिल्मों का नाम ब्लू फिल्म पड़ गया। ऐसे में आशा करते है कि इन दोनों नामों के पीछे का रोचक तथ्य जानकर आपको संतुष्टि अवश्य मिली होगी। हां विशेष बात अगर यह स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर करें ताकि अन्य भी इस रोचक जानकारी के बारे में अवगत हो सकें।