विजय शेखर शर्मा : कभी खाने के लिए नहीं होते थे पैसे, फ़िर खड़ी कर दी पेटीएम जैसी बड़ी कंपनी…
सोच बड़ी हो तो मुश्किलें अपने आप छोटी पड़ जाती हैं। यही बताती है विजय शेखर शर्मा की सक्सेस स्टोरी...
विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma Biography) पेटीएम देश का सबसे बड़ा डिजिटल लेन-देन का प्लेटफॉर्म है। यह तो हम सभी को मालूम है। बता दें कि यही पेटीएम कंपनी 2021 के अंत तक पब्लिक हो जाएगी। कंपनी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 22 हजार करोड़ का आईपीओ (IPO) लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। मालूम हो कि अगर यह लांचिंग सफ़ल रहती है तो ये भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ (IPO) होगा। इससे पहले कोल इंडिया ने 2010 में 15,475 करोड़ और रिलायंस पॉवर ने 2008 में 11,700 करोड़ रुपए के आईपीओ (IPO) लॉन्च किए थे। जानकारी के लिए बता दें जब एक कंपनी अपने स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे ‘इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स’ यानी आईपीओ (IPO) कहते हैं। Success story of Vijay Shekhar Sharma who is Founder of Paytm Wallet
बता दें कि बीते 31 मई 2021 को पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने एक ट्वीट किया। उन्होंने 10 साल पुराने एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उस ट्वीट में लिखा कि, “10 साल पहले, जब पेटीएम का ऐप्प भी नहीं आया था।” इतना ही नहीं उस स्क्रीनशॉट में लिखा था कि, “स्मार्टफोन कुछ भी कर सकता है। नया बिजनेस मॉडल भी तैयार कर सकता है।
” ऐसे में ये ट्वीट कहीं न कहीं यह दिखाता है कि शर्मा अपने समय से कितना आगे का विजन रखते हैं। ऐसे में आज हम बात पेटीएम के बिज़नेस या फ़िर उसके आने वाले आईपीओ की बात नहीं करने वाले। हम बात करने जा रहें विजय शेखर के निजी जीवन और उनके विज़न के बारे में। जिसने उन्हें इतने बड़े साम्राज्य का मालिक बनाया। क्या आप सभी जानते है विजय शेखर शर्मा की जीवनी? नहीं न! तो आइए हम बताते है कि आख़िर कितनी मेहनत और लगन के बाद उन्होंने यह मुक़ाम हासिल किया है।
एक समय ऐसा भी था जब विजय शेखर शर्मा के पास खाने के लिए पैसे नहीं होते थे और आज शर्मा देश का सबसे बड़ा आईपीओ लांच करने की स्थिति में हैं। फिर ऐसा तो हुआ नहीं होगा कि शर्मा ने कोई जादू की छड़ी घुमाया और सब रातों रात हो गया। मालूम हो इसके पीछे विजय शेखर शर्मा की कड़ी मेहनत और बड़ी सोच है। जिसके दम पर उन्होंने यह मुक़ाम हासिल किया।
विजय शेखर का जन्म 07 जून 1998 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, सुलोम प्रकाश और आशा शर्मा के चार बच्चों में से तीसरे थे। उनके पिता सुलोम प्रकाश एक स्कूल शिक्षक थे और माता जी एक गृहणी थी.
पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के होम टाउन की बात करें तो वे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले हैं। इनके पिता एक स्कूल टीचर थे। 12वीं तक इनकी पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई। ग्रेजुएशन के लिए वो दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग चले गए और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। 1997 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एक वेबसाइट इंडिया साइट डॉट नेट (Indiasite.net) की स्थापना की थी और दो साल में ही इसे कई लाख रुपए में बेच दिया। यहीं से इनके एंटरप्रेन्योरशिप सफर की शुरुआत हुई। यह तो हुआ इनके जीवन का एक सुनहरा पक्ष की इन्होंने पैसा लगाया और एकाएक सक्सेस हो गए। आइए अब बात सिक्के के दूसरे पहलू की करते हैं।
मालूम हो कि विजय शेखर शर्मा के जीवन में एक ऐसा भी वक्त था जब वह खाने तक को भी मोहताज थे। जी हां किसी तरह पेटभर खाना मिल जाएं। उस दौरान वही इनका विज़न और सबकुछ रहता था। इसके लिए वो अक्सर अपने दोस्तों के पास किसी बहाने से पहुंच जाते थे ताकि खाना नसीब हो सके। इन सारी परेशानियों के बाद भी विजय ने मजबूती से अपनी लड़ाई लड़ी और कड़ी मेहनत कर आज उन्होंने 1 लाख करोड़ रुपये की कंपनी को खड़ा कर दिया। बहुत कम लोग ही विजय शेखर शर्मा के बारे में जानते होंगे लेकिन हम आपको बता दें कि अब वो एक बार फिर से अखबारों की सुर्खियों में हैं क्योकि वो यस बैंक को खरीदने की तैयारी में भी हैं।
फोर्ब्स मैगज़ीन के मुताबिक विजय शेखर शर्मा, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत जमीन से आसमान तक की उड़ान भरी है। वह आज करीब 18,460 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक के मालिक हैं। विजय शेखर शर्मा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि दुनिया में मोबाइल वॉलेट का चलन लाने में उनका एक अहम किरदार रहा है।
अंग्रेजी नहीं आना बनी थी गले की फ़ांस…
चूंकि विजय शेखर की 12वीं तक कि पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई है। इस कारण उन्हें दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। दरअसल, कॉलेज में विजय को अंग्रेजी बोलने में काफी दिक्कतें आती थी लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी और अंग्रेजी किताबों और दोस्तों की मदद से वह बहुत जल्दी अंग्रेजी बोलना सिख गए।
यूँ हुई पेटीएम की शुरुआत…
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय ने नौकरी तो शुरू की लेकिन उन्हें अपनी नौकरी में कोई दिलचस्पी नही थी। अक्सर रास्ते में उन्हें खुले पैसों की दिक्कत होती थी जिसके बाद उन्हें ख्याल आया कि आज के दौर में लोग स्मार्टफोन बहुत यूज़ करते है। फिर ऐसे में क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए। जिससे पैसों की लेन देन फ़ोन से ही हो जाएं। फिर क्या था विजय ने इस सोच को ध्यान में रखते हुए पेटीएम डॉट कॉम (PAYTM.COM) नाम की एक वेबसाइट बनाई और सबसे पहले वहां मोबाइल रिचार्ज के लिए सुविधा को स्टार्ट किया।
नोटबंदी ने बदल दी पेटीएम की किस्मत…
शुरुआती 6 सालों में पेटीएम के पास कुल 12.5 करोड़ कंज्यूमर ही थे। इसकी वजह भारतीय कंज्यूमर की नकदी पर निर्भरता थी। पेटीएम के लिए ये एक बड़ी चुनौती थी। पेटीएम को छोटी दुकानों और व्यापारियों के साथ जोड़ देने के बाद भी लेन-देन की संख्या काफी कम रही। 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे जब प्रधानमंत्री ने देश में 500-1000 रुपए की नोटों को गैरकानूनी-टेंडर
करार दिया, इसके बाद पेटीएम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद एक साल में पेटीएम पर 435 प्रतिशत ट्रैफिक बढ़ा, वहीं ऐप्प के 200 प्रतिशत डाउनलोड बढ़ गए। कुल ट्रांजैक्शन की बात करें तो वो 250 प्रतिशत तक बढ़ गया।
Success story of Vijay Shekhar Sharma who is Founder of Paytm Wallet