आख़िर सोनिया गांधी ने क्यों राजीव गांधी की ताबूत से उठा ली थी एक माला? जानिए पूरी कहानी…
भले ही गांधी-नेहरू (Gandhi- Nehru Family) परिवार देश के आज़ाद होने के बाद से लगातार राजनीति में सक्रिय है, लेकिन एक दौर ऐसा भी था। जब सोनिया गांधी यह नहीं चाहती थी कि उनके पति यानी कि राजीव गांधी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएं। जी हां यह बात शायद ही कुछ लोगों को पता हो, लेकिन यह बात सच है कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) न तो ख़ुद राजनीति करना चाहती थी और न ही यह चाहती कि राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) राजनीति करें। इसके पीछे वज़ह जो भी हो, लेकिन एक वज़ह इंदिरा गांधी की हत्या होना भी शामिल है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाएं जाने के बाद भी वह बेहद चिंतित थी। पर इस के बाद राजीव गांधी की भी हत्या कर दी गई। आज हम सोनिया गांधी से जुड़ी ऐसी ही बातें आपसे बताने वाले। तो आइए शुरू करते हैं मुद्दे की बात…
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपनी आंख के सामने पहले संजय गांधी (Sanjay Gandhi) , फिर सास इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और अंत में अपने पति राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की मौत देखी थी। सोनिया के लिए ये किसी गहरे आघात से कम नहीं था। इंदिरा गांधी के मौत के बाद राजीव गांधी का राजनीति में आना सोनिया को बिलकुल पसंद नहीं था, लेकिन मां और बेटे के बीच में वह दरार बनकर नहीं खड़ी हुई। जिसकी वज़ह से राजीव गांधी राजनीति में आएं। बता दें कि सोनिया को लगता था कि राजीव के राजनीति में आते ही उनकी खुशियां खो जाएंगी और दुर्भाग्य देखिए कि आख़िर में सच वही साबित हुआ और सोनिया गांधी की खुशियां हमेशा-हमेशा के लिए छीन गई। राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया एकदम टूट गई थीं, लेकिन उन्होंने राजीव गांधी के ताबूत से आखिरी में एक मोंगेरे की माला उठा ली थी। क्या आप सभी जानते है सोनिया गांधी ने ऐसा क्यों किया था? नहीं पता तो चलिए हम बताते हैं।
मालूम हो कि जब सोनिया गांधी को यह पता चला कि मद्रास में राजीव गांधी की बम विस्फोट में मौत हो गई तो उनकी चीख से पूरा पीएम हाउस गूंज गया था। इतना ही नहीं उन्हे ‘अस्थमा’ का अटैक भी आ गया था। फ़िर भी उन्होंने अपनी बीमारी को नजरअंदाज किया और मद्रास राजीव के अंतिम दर्शन को जाने के लिए बेताब दिखी। प्रियंका गांधी उस वक्त मात्र 19 साल की थी और उन्होंने मां को संभाला और राजीव के सचिव जार्ज से कहा कि कृपया तुरंत मद्रास पहुंचने में उनकी मदद करें ।
जिसके बाद सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पूर्व विदेश सचिव टीएन कौल की कार से एयरपोर्ट गए और वहां से मद्रास के लिए निकल पड़े। मद्रास जब राजीव का परिवार पहुंचा तो अंधेरा ही था। इतना ही नहीं मद्रास राजीव के पुराने दोस्त सुमन दुबे भी पहुंचे थे। सोनिया ने उनसे राजीव को देखने की इच्छा जताई। इसके बाद सुमन के साथ सोनिया जब राजीव को देखने पहुंची तो वहां केवल दो ताबूत रखे हुए उन्हें दिखे। एक में राजीव का शव था तो दूसरे में उनके सुरक्षा अधिकारी प्रदीप गुप्ता का शव।
ऐसे में जो प्रियंका अब तक खुद को संभाले हुए थी, ताबूत देखकर खुद को रोक न सकीं और फूट-फूट कर रो पड़ीं। सोनिया गाँधी पर किताब लिखने वाले स्पेनिश जेवियर मोरो ने ‘द रेड साड़ी’ में लिखा है कि सोनिया ने देखा कि प्रदीप गुप्ता के ताबूत पर कोई फूल नहीं चढ़ें हैं। ऐसे में सोनिया ने तुरंत राजीव गांधी के ताबूत पर सजे मोंगेरे की एक माला उठा कर प्रदीप गुप्ता के ताबूत पर सजा दी थी।