रामजन्मभूमि परिसर से कुछ ही फासले पर स्थित मुहल्ला बाग बिजेसी की जिस भूमि की ख़रीदी के मामले को लेकर रविवार को सपा नेता एवं प्रदेश के पूर्वमंत्री तेजनारायण पांडेय उर्फ़ पवन पांडेय ने घोटाले का आरोप लगाया था, उस आरोप की हवा 24 घंटे के भीतर ही निकलने लगी। जी हाँ सपा नेता ने यह आधार बनाते हुए आरोप लगाया था कि जिस भूमि का इसी वर्ष 18 मार्च को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया, उस भूमि का एग्रीमेंट करने वाले रविमोहन तिवारी एवं सुल्तान अंसारी ने उसी तारीख को 10 मिनट पहले ही मात्र दो करोड़ रुपये में बैनामा कराया था।
मालूम हो कि इस आरोप के बाद मंदिर निर्माण और राम जन्मभूमि को लेकर तरह-तरह के बवंडर खड़े किए जाने लगे। सारा विपक्ष एकाएक एक सुर में बोलने लगा कि राम मंदिर निर्माण में बड़ा घोटाला हो रहा है। श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट पर लगे घोटाले के आरोप को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भगवान राम के नाम पर धोखा करना अधर्म है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘‘ श्रीराम स्वयं न्याय हैं, सत्य हैं, धर्म हैं। उनके नाम पर धोखा अधर्म है!”
श्रीराम स्वयं न्याय हैं, सत्य हैं, धर्म हैं-
उनके नाम पर धोखा अधर्म है!#राम_मंदिर_घोटाला— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 14, 2021
इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच की मांग तक कर डाली। वही अब जो इस मामले में सच्चाई निकलकर सामने आ रही। वह कुछ ओर ही बयां कर रही है। जी हां जिस जमीन को लेकर पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया था कि दो करोड़ की भूमि 18.50 करोड़ में एग्रीमेंट कराने के पीछे करोड़ों का घोटाला किया गया। उसकी सच्चाई यह निकलकर आ रही है कि संबंधित भूमि का चार मार्च 2011 को यानी आज से 10 साल पहले ही मो. इरफान, हरिदास एवं कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया था। इतना ही नहीं तीन साल बाद इस एग्रीमेंट का नवीनीकरण भी कराया गया। यह भूमि 2017 में हरिदास एवं कुसुम पाठक ने भूस्वामी नूर आलम, महफूज आलम एवं जावेद आलम से बैनामा करा ली और हरिदास एवं कुसुम पाठक से यह भूमि 17 सितंबर 2019 को रविमोहन तिवारी, सुल्तान अंसारी आदि आठ लोगों ने एग्रीमेंट करा ली और रविमोहन एवं सुल्तान अंसारी ने ही 18 मार्च को यह भूमि बैनामा करा ली।
वहीं पूर्व मंत्री जिस भूमि को दो करोड़ का बता कर उसे 18.50 करोड़ में क्रय किए जाने पर आपत्ति जता रहे हैं। अगर उसका तय सर्किल रेट चार हजार आठ सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भी देखें तो उसकी मालियत पांच करोड़ 79 लाख 84 हजार तय होती है। जबकि मालियत से इतर बाग बिजेसी एवं रामनगरी के आस-पास की जमीन का मौजूदा औसत मूल्य दो हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है और इस हिसाब से देखें तो ट्रस्ट ने संबंधित भूमि के लिए औसत मूल्य से भी काफी कम कीमत चुकाई गई है। संबंधित भूमि का क्षेत्रफल 12 हजार 80 वर्ग मीटर यानी एक लाख 29 हजार 981 वर्ग फीट है और इस हिसाब से ट्रस्ट ने 1423 रुपये प्रति वर्ग फीट से जमीन की कीमत अदा की है। ऐसे में कहीं न कहीं सिर्फ़ श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को बदनाम करने की चाल पूर्वमंत्री और सपा नेता ने चली। जिसका कौआ कान ले गया कि तर्ज पर बाक़ी विपक्षी नेता समर्थन करते भी दिखें।
बता दें कि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता के आरोप से साधु-संत आक्रोशित हो उठे हैं। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने कहा है कि, “तकनीकी आधार पर छिद्रांवेषण करने के लिए लोग स्वतंत्र हैं और उनकी संतुष्टि के लिए मामले की जांच भी कराई जा सकती है, ङ्क्षकतु ट्रस्ट की ईमानदारी और रामलला के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाना सरासर अनर्गल है। इतना ही नहीं निर्वाणी आणि अखाड़ा के महासचिव एवं हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत गौरीशंकरदास के अनुसार जो लोग मंदिर निर्माण में कदम-कदम पर बाधा डालते रहे और श्रीराम का अस्तित्व नकारने की साजिश रचते रहे, आज वे नए सिरे से कुचक्र रचने की फिराक में हैं। हालांकि ऐसी साजिश रचकर वे स्वयं के ही जाल में फंसने वाले हैं। तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंसाचार्य ने तो आरोप लगाने वाले पूर्व मंत्री को चेतावनी दी है कि वे आरोप साबित करें, नहीं तो उन पर एक हजार करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दायर कराया जाएगा। हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत राजूदास ने भी 50 करोड़ की मानहानि का मुकदमा करने की चेतावनी दी है।
वहीं सुल्तान अंसारी का कहना है कि किसी के साथ कोई धोखा नहीं हुआ है। सुल्तान अंसारी का कहना है कि, ” संबंधित भूमि के क्रय-विक्रय में न हमने और न ट्रस्ट ने कोई धोखा किया है। घपले का आरोप लगाने वाले अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि एक दशक पूर्व अयोध्या में जब जमीन की कीमत काफी कम थी, तभी हम लोगों ने दो करोड़ में संबंंधित भूमि का एग्रीमेंट कराया था। यह कहना गलत है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दी गई भूमि में जमकर मलाई काटी गई, जबकि सच्चाई यह है कि राम मंदिर में सहयोग को ध्यान में रखकर इस जमीन को बाजार भाव से काफी कम में एग्रीमेंट किया गया है।”
इसके अलावा रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने कहा है कि ट्रस्ट ने जो भी भूमि क्रय की है, वह बाजार भाव से कम मूल्य पर क्रय की गई है। जो राजनीतिक लोग इस संबंध में सवाल उठा रहे हैं, वह भ्रामक है और समाज को गुमराह करने के लिए है तथा राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित है। वैसे एक बात तो है जो विपक्षी दल राम के अस्तित्व को नकार सकते हैं, वह ऐसे घोटाले का फ़र्जी आरोप लगाए तो कोई बड़ी बात नहीं। वैसे जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी किया जाना चाहिए। ताकि ये देश मे रहकर देश की संस्कृति और सभ्यता से ही खिलवाड़ करने वालो की कलुषित मानसिकता एक बार फिर देश के सामने आ सकें।