अध्यात्म

जन्मों-जन्म के पाप काट देती है निर्जला एकादशी, बस इन नियमों का रखें ध्यान मिलेगा पुण्य ही पुण्य

अगर एक साथ पाना है एक साथ 24 एकादशी का पुण्य तो निर्जला एकादशी का व्रत सच्चे मन से रखें

एकादशी के व्रत का काफी महत्व बताया गया है. हर महीने में ये दो बार किया जाता है. इस तरह सालभर में कुल 24 एकादशी के व्रत रखें जाते है. ज्ञात हो कि सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं. इस व्रत को शास्त्रों में मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत कहा जाता है. मगर ध्यान रखें इस व्रत को विधि विधान से करने पर ही इसका पूरा फल प्राप्त होता है. अगर आप महीने के दो व्रत नहीं रख सकते है तो आपको एक निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत तो अवश्य ही करना चाहिए. ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी भी कहा जाता है.

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इस साल ये निर्जला एकादशी व्रत 21 जून को आ रहा है. इस व्रत के नियम अन्य एकादशी व्रत के मुकाबले में ज्यादा कठिन होते हैं. लेकिन ये व्रत जितना कठिन होता है उतना ही ये प्रभावशाली भी होते है. जानिए इस व्रत से जुड़ी जरूरी जानकारी. कहा जाता है कि, महाभारत काल में राजा पांडु के घर में सभी सदस्य एकादशी का व्रत रखा करते थे. मगर भीम को भूखा रहने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. उनसे ये व्रत नहीं रखा जाता था. इस वजह से भीम काफी दुखी हुए और उन्हें लगने लगा कि ऐसा कर के वह भगवान विष्णु का निरादर कर रहे है.

इसके बाद भीम अपनी इस परेशानी को लेकर महर्षि व्यास के पास गए. वेदव्यासजी ने भीम को कहा कि आप मोक्ष पाना चाहते हैं तो एकादशी का व्रत करना बहुत जरुरी है. अगर आप दो एकादशी नहीं कर सकते है तो ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत निर्जला रहें. मगर इसके नियम काफी कठिन है. अभी नियमों का पूरी तरह से पालन करने पर ही आपको 24 एकादशियों का पुण्य मिल पायेगा. इसके बाद भीम तैयार हो गए और निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे. उसी समय से इस एकादशी को भीम एकादशी भी कहा जाता है.

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इस व्रत के नियम
इस व्रत के नियम भी काफी कठिन होते है. महर्षि वेदव्यास ने भीम को कहा था ये व्रत निर्जल रहकर किया जाता है. इसमें अन्न और जल दोनों से ही दूरी बनाकर रखनी होती है. केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुँह में जल डाला जा सकता है. इसके अलावा किसी भी तरह से जल आपके मुँह में नहीं जाना चाहिए. अगर जल चला जाता है तो ये व्रत भंग हो जाता है. आपको बता दें कि निर्जला एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन के सूर्योदय तक चलता है. व्रत के अगले दिन द्वादशी को सुबह में स्नान करके ब्राह्मणों को भोजन आदि कराने के बाद ही व्रत खोले. अपने सामर्थ्य के अनुसार दान भी अवश्य करें

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जानें मुहूर्त
निर्जला एकादशी तिथि : 21 जून 2021 , एकादशी तिथि शुरू : 20 जून को शाम 04 बजकर 21 मिनट से. एकादशी तिथि समाप्‍त : 21 जून दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक चलेगी. पारण का समय : 22 जून सुबह 5 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगा.

व्रत की विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद सभी काम से निवृत्त होकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद भगवान को पीला चंदन, पीले अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, वस्त्र और दक्षिणा आदि चढ़ाए. इसके बाद आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण भी करें. इसके बाद निर्जला एकादशी की कथा सुने या पढ़े.

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