13 जून को है रंभा तीज का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
13 जून को है रंभा तीज का व्रत, इस दिन पार्वती मां की पूजा करने से अप्सरा जैसी मिलती है सुंदरता
हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का व्रत आता है। इस साल रंभा तीज 13 जून, रविवार को आ रही है। इस दिन मां पार्वती और शिव जी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि ये व्रत रखने से स्त्रियों को सौभाग्य, यौवन और सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि अप्सरा रम्भा द्वारा भी यही व्रत किया गया था। जिसके कारण इस व्रत को रंभा तीज कहा जाता है। ये व्रत शादीशुदा महिलाएं जरूर रखती हैं।
रंभा तीज का शुभ मुहूर्त
रंभा तीज 13 जून को है। तृतीया तिथि का आरंभ 12 जून, शनिवार को रात्रि 20 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगा। तृतीया तिथि का समापन 13 जून, रविवार को रात्रि 21 बजकर 42 मिनट पर है।
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। साथ में ही व्रत भी रखती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार ये व्रत अप्सरा रंभा ने भी रखा था। इसलिए इन दिन इन्हें भी याद किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, ये व्रत करने वाली स्त्रियों का सौभाग्य उनके साथ ही रहता है और पति से प्यार बन रहता है। इस व्रत के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी की भी पूजा-अर्चना भी की जाती है। ऐसे करने से जीवन में धन की कमी कभी नहीं होती है।
कौन है रंभा अप्सरा
रंभा अप्सरा का वर्णन पुराणों में मिलता है। पौराणिक कथा के मुताबिक रंभा अप्सरा देखने में बेहद ही सुंदर थी और इनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। इन्हें पुराणों में सौंदर्य का प्रतीक माना गया है। रंभा तीज का व्रत रंभा अप्सरा को समर्पित हैं। कहा जाता है कि अपने यौवन को बनाए रखने के लिए रंभा अप्सरा ने ये व्रत किया था। इसलिए जो महिलाएं ये व्रत रखती हैं। उनकी सुंदरता बनीं रहती है और शरीर का आकर्षण कभी कम नहीं होता है।
रंभा तीज पूजा विधि
1. रंभा तीज वाले दिन सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई कर लें। उसके बाद स्नान करें और मंदिर को अच्छे से सजा लें। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बना लें।
2. फिर एक चौकी पर मां पार्वती और शिव जी की मूर्ति को स्थापित करें। एक दीपक जलाकर पूजा शुरू करें और व्रत रखने का संकल्प धारण करें। 5 घी के दिए बनाकर रखें और लाल चूड़ियों, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल, अक्षत और अन्य पूजा सामग्री मां को अर्पित करें।
3. इस दिन चूडियों की पूजा भी की जाती है। इसलिए चौकी पर आप लाल या हरे की की चूडियां भी रखें और इनकी पूजा जरूर करें।
4.मां की पूजा करें और ॐ ! रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते मंत्र का जाप करें। ये मंत्र आप कम से कम 101 बार पढ़ें।
5.पूजा पूरी होने के बाद घर में गंगा जल का छिड़काव भी करें।
6.अगर आप व्रत रखती हैं तो इस दिन फल और दूध ही पीएं। वहीं अगले दिन उठकर स्नान कर इस व्रत को तोड़ दें। व्रत तोड़ने से पहले पूजा जरूर करें। उसके बाद ही खाना खाएं ।