बुर्का पहन कर मुस्लिम महिला बेटे संग ठेले पर सब्जी बेच रही थी? वजह जानकर पसीज जाएगा दिल
इस कोरोना महामारी ने कई लोगों कि आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है। लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की कमाई का जरिया खत्म हो गया है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके घर कमाने वाला व्यक्ति ही कोरोना की भेंट चढ़ गया। ऐसे में इन घरों में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा है। महामारी के इस दौर में बहुत से लोगों ने मजबूरी में सब्जी बेचना शुरू कर दिया है। ये एक ऐसा धंधा है जो महामारी के दौर में भी चल रहा है।
हैदराबाद (Hyderabad) की सड़कों पर भी कई लोग सब्जियां बेचते हैं। लेकिन इन दिनों बुर्का पहने सब्जी बेच रही एक महिला की तस्वीर सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है। इस मुस्लिम महिला का नाम रेशमा बेगम (Reshma Begum) है। महिला के साथ उनका 4 साल का बेटा भी है। ये बेटा भी मां की सब्जी बेचने में मदद करता है। मां ठेला चलाती है तो बेटा लोगों को अपनी मासूम आवाज में सब्जी खरीदने बुलाता है। ये नजारा जिसने भी देखा उसका दिल पसीज आया। हर कोई यही जानना चाहता था कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक मुस्लिम महिला को बुर्का पहन, बेटे को गोद में लिए सड़क पर सब्जी बेचने निकना पड़ा।
दरअसल महिला के पति एक ऑटो ड्राइवर थे। 6 महीने पहले उनका इंतकाल हो गया। ऐसे में महिला के कंधों पर घर की जिम्मेदारी आ गई। उन्हें अपने 4 साल के बेटे का पेट पालने की चिंता सताने लगी। पहले तो महिला ने घर घर नौकरानी के रूप में काम किया, लेकिन फिर कोरोना वायरस के डर से उन्हें लोगों ने काम से निकाल दिया। इसके बाद महिला को मजबूरी में सब्जी बेचना पड़ रही है। हालांकि ऐसा करते हुए भी उसने अपने मजहब की मान्यताओं का ध्यान रखा और बुर्का पहन सब्जी बेचने लगी।
चुकी महिला अकेली है और बच्चे का ख्याल रखने वाला कोई नहीं, इसलिए उसका 4 साल का बेटा भी मां के साथ सब्जी बेचने जाता है। हालांकि महिला को इस काम का कोई अनुभव नहीं है। और कोरोना वायरस की वजह से उसका सब्जी बेचने का धंधा भी कोई खास नहीं चल रहा है। वह बताती है कि फायदा की बजाय कभी कभी नुकसान भी हो जाता है। महिला ने बताया कि कल ही उसने 1500 रुपए का सब्जी का स्टॉक खरीदा था। लेकिन उसका धंधा सिर्फ 750 रुपए का ही हुआ। उसमें भी सब्जी लाने में 100 रुपए भाड़ा लग गया।
महिला अपने पैरों पर खड़े रहने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन उसके लिए एक एक पैसे बचाना बड़ा मुश्किल हो रहा है। उसे अपने बेटे के भविष्य की चिंता सता रही है। हर मां की तरह उसका भी सपना है कि बेटे का भविष्य सुनहरा हो। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा कि इसके लिए पैसे कहां से आएंगे। बेटा जैसे जैसे बड़ा होता जा रहा है उसका खर्चा भी बढ़ता जा रहा है। महिला ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं अब क्या करूंगी।
वैसे महिला ने सरकार से भी मदद मांगी है। उसकी इच्छा है कि सरकार से कुछ मदद मिल जाए तो उसे और उसके बेटे को भूखा नहीं मरना पड़ेगा।