निर्जला एकादशी के दिन इस वजह से नहीं पीया जाता है जल, इस दिन जरूर करें ये काम
निर्जला एकादशी हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष को आती है। निर्जला एकादशी को बेहद ही उत्तम माना जाता है और इस दिन व्रत रखने से उसका फल जरूर मिलता है। इस साल 21 जून को निर्जला एकादशी आ रही है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और निर्जल रहकर इनका व्रत रखा जाता है। जिसके कारण इसे निर्जला एकादशी का जाता है। एकादशी तिथि से लेकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक ये व्रत चलता है और इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत कथा
निर्जला एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार एक बार भीमसेन ने व्यास जी को कहा कि वो भूखे नहीं रह सकते हैं। भीमसेन ने कहा कि वो दान कर सकते हैं, भगवान की विधि विधान से पूजा कर सकते हैं। लेकिन बिना भोजन के रहना उनके लिए मुमकिन नहीं है। लिहाजा उन्होंने कभी भी व्रत नहीं किया है।
भीमसेन ने व्यास जी से कहा कि वो उन्हें साल में कोई एक ऐसी दिन बताए। जिस दिन व्रत करने से साल भर के व्रतों का फल उन्हें मिल सके। तब व्यास जी ने उन्हें कहा कि वो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत रखें। साथ में ही इन्होंने कहा कि वृषभ और मिथुन की संक्रांति के बीच आने वाली इस एकादशी पर अन्न के साथ-साथ जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें। अगर ये व्रत वो कर लेते हैं तो उन्हें काफी पुण्य मिल जाएगा और हर पाप से मुक्रि मिल जाएगी। जिसके बाद भीमसेन ने ये व्रत रखना शुरू कर दिया।
इस तरह से करें ये व्रत
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर लें। उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा करते हुए व्रत रखने का संकल्प धारण करें।
2. पूजा पूरी करने के बाद आरती जरूर गाएं। दिन भर भगवान का स्मरण करें।
3. शाम को चाहें तो फलाहार कर लें। लेकिन जल ग्रहण न करें।
4.अगले दिन स्नान के पश्चात ब्राह्मण को दान करें और व्रत का पारण करें।
5.ये कठिन व्रत से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
रखें इन बातों का ध्यान
निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें। सुबह के समय इस पेड़ को पानी अर्पित करें और इसके सामने एक दीपक भी जरूर जलाएं। मान्यता है कि पीपल के पेड़ से विष्णु जी का वास होता है।
इस दिन तुलसी का पूजन करना भी गुणकारी माना जाता है। सुबह और शाम को तुलसी की पूजा करते समय उनके सामने पांच दीपक जला दें। याद रहे ही एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना गया है। इसलिए तुलसी के पत्ते तोड़ने की गलती आप न ही करें।
निर्जला एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा करते समय उन्हें तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करें। विष्णु जी को तुलसी का पत्ता अर्पित करने से पूजा सफल हो जाती है। हालांकि आप ये पत्ता एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
इस दिन बिस्तर पर न सोएं। साथ में ही किसी से लड़ाई भी करने से बचें। गलत शब्दों का प्रयोग न करें।