मोबाईल बना 11 महीने की मासूम की जान का दुश्मन, इस एक गलती से थम गई सांसें
छोटे बच्चे बहुत मासूम होते हैं। उन्हें एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। उनका पल पल पर ध्यान रखना होता है। आपकी एक छोटी सी गलती आपको भारी पड़ सकती है। बस एक लापरवाही और आपके मासूम बच्चे की जान जा सकती है। अब हरियाणा के जींद शहर का ये मामला ही ले लीजिए। यहां पिता की एक गलती और मोबाईल इन दोनों ने मिलकर 11 महीने की मासूम की जान ले ली। हम अधिकतर देखते हैं कि आजकल के पेरेंट्स मोबाईल में इतने खो जाते हैं कि कई बार बच्चे की सुध ही नहीं लेते हैं। ऐसे में ये छोटे और नाजुक बच्चे किसी बड़े खतरे का शिकार हो जाते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुन आपका कलेजा भी फट जाएगा। आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ऐसी गलती मुझ से भी न हो जाए। यह घटना सभी पेरेंट्स के लिए बड़ी सिख बनने वाली है। क्योंकि जींद शहर की इंप्लाइज कॉलोनी में रहने वाले एक परिवार को ये सबक अपनी 11 माह की बच्ची की सांसे थमने के बाद सीखने को मिला। अब उनके पास पछताने और रोने के सिवाय कोई चारा नहीं है। जिस घर में कभी बच्ची की किलकारी गुंजा करती थी, वहां अब मातम की चीखें गूंज रही है। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझाते हैं।
दरअसल जींद शहर की इंप्लाइज कॉलोनी में रहने वाले विक्रम अपनी 11 महीने की बेटी को नहलाने के लिए बाथरूम में ले गए थे। यहां उन्होंने बेटी को नल के नीचे एक खाली टब में बैठा दिया। हालांकि इस बीच विक्रम के मोबाईल पर किसी का कॉल आ गया। ऐसे में वह कॉल अटेंड करने के लिए बाथरूम छोड़ कमरे में चले गए। इस दौरान उनका 4 साल का बेटा बाथरूम में आया और नल चालू कर चला गया। इसके कुछ देर बाद विक्रम की पत्नी रेखा बाथरूम में घुसी तो वहां का नजारा देख उसकी चीख निकल पड़ी। उसने जो देखा वह बहुत हैरान करने वाला था।
रेखा ने देखा कि उसकी 11 साल की मासूम पानी से भरे टब में डूब चुकी है। बेटी की ये हालत देख उसने तुरंत उसे टब से बाहर निकाला। फिर परिजन बेटी को आनन फानन में नजदीकी अस्पताल ले गए। लेकिन अफसोस की तब तक बहुत देर हो चुकी थी। टब में डूबने के कारण 11 महीने की मासूम की सांसे हमेशा के लिए थम चुकी थी। डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। ये खबर सुन पूरे परिवार में दुख की लहर सी दौड़ गई। हर किसी का रो रो कर बुरा हाल है। आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
इस घटना का सबसे ज्यादा दुख पिता को है। उनकी आंखें लगातार नम है। वह बार बार रो रोकर बोल रहे हैं कि ये सब मेरी गलती से हुआ। मुझे अपनी फूल सी नाजुक बेटी को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था। ये घटना उन सभी लापरवाह पेरेंट्स के लिए भी सबक है जो अपने बच्चों का ज्यादा ध्यान नहीं रखते हैं। इसलिए अपने बच्चों पर से नजर न हटाएं तो ही बेहतर होगा।