राक्षसों के नाम पर रखें गए हैं इन जगहों के नाम, जानिए कौन कौन से शहर हैं इसमें शामिल…
वे शहर जिनके नाम राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं, जानिए उनसे जुड़े अनसुने तथ्य...
अक्सर लोगों के मुंह से यह कहते हुए सुना होगा कि नाम मे क्या रखा है, लेकिन सच पूछें तो नाम मे ही बहुत कुछ समाहित होता है। किसी भी व्यक्ति, वस्तु और स्थान की पहचान उसके नाम से ही होती है। उसके द्वारा किए गए कार्य ही यह निर्धारित करते हैं कि वह नाम कितना लोकप्रिय होगा। किसी भी व्यक्ति के नामकरण की बात हो तो यह उसके परिजन द्वारा किया जाता वही जगहों के नाम आमतौर पर देवताओं या महापुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं, लेकिन हम कहें कि कुछ जगहें ऐसी भी हैं जिनके नाम राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं तो? आप मानेंगे?
मानिए तो भला वरना इन जगहों के बारे में पढ़िए। पर हम बता दें ये तमाम कहानियां जनश्रुतियों पर आधारित हैं। आप खोजें तो कुछ और किस्से भी हाथ लग सकते हैं। कुछ और तथ्य भी सामने आ सकते हैं। ऋग्वेद में भी लिख है कि, “एकम सत्य विप्र बहुधा वदन्ति।” जिसका मतलब यह हुआ कि सत्य एक है, लेकिन ज्ञानीजन उसे अपने-अपने हिसाब से बताते हैं। आइए फ़िर जानते हैं कुछ ऐसे ही शहरों के बारे में। जिनके नाम राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं…
मैसूर…
कनार्टक का एक मशहूर शहर है। इसकी लोकप्रियता पूरे देश में है। इस शहर का नाम महिषासुर राक्षस के नाम पर पड़ा है। महिषासुर के समय इस शहर को “महिषा- ऊरु” कहा जाता था। इसके बाद महिषुरु और अंत में इसे कन्नड़ भाषा में “मैसुरु” कहा गया। जो अब मैसूर के नाम से जाना जाता है।
गया…
गया बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इस शहर का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। ऐसा मानते हैं कि गयासुर को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था जिसके चलते वह देवताओं से भी ज्यादा पवित्र हो गया। उसे देखने और छूने से ही लोगों के पाप दूर हो जाते और वो स्वर्ग चले जाते थे। ऐसे में हुआ कुछ यूं कि असुर भी स्वर्ग पहुंचने लगे। इसे रोकने के लिए भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी के जरिए यज्ञ के लिए गयासुर से उसकी देह मांग ली। गयासुर देहदान कर गया। ये जो गया नाम की जगह है। ऐसी मान्यता है कि वो गयासुर का ही पांच कोस का शरीर है। जहां लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पहुंचते हैं।
जालंधर…
पंजाब, जो पांच नदियों के किनारे बसा है। यहां एक शहर जालंधर है। जिसका नाम जालंधर राक्षस के नाम पर पड़ा है। कहते हैं कि पुराने समय में यह शहर जलंधर राक्षस की राजधानी हुआ करता था। कहते यह भी है कि जालंधर पंजाब का सबसे पुराना शहर है और अपने चमड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है। पुराने समय में जालंधर, जलंधर राक्षस की राजधानी हुआ करता था। जलंधर का जन्म भगवान् शिव के अपनी तीसरी आंख खोल उसका तेज समुद्र में डाल देने से हुआ था। तेज समझते हैं न? जलंधर की पत्नी वृंदा के पतिव्रत के कारण उसे कोई नहीं मार सकता था। बाद में भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत भंग किया जिससे जलंधर मारा गया। कुछ जगहों पर कहा गया है जलंधर भगवान राम के बेटे लव की राजधानी थी।
पलवल…
हरियाणा का एक प्रमुख शहर है पलवल। प्रचीन काल में इस शहर का नाम पलंबासुर राक्षस के नाम पर पड़ा है। प्राचीन काल में इस शहर को पलंबरपुर भी कहा जाता था। समय के साथ इस शहर का नाम बदल गया और इस शहर को अब “पलवल” के नाम से जान जाने लगा।
तमिलनाडु…
तमिलनाडु अपने आप में ही एक जाना माना नाम है। इसके शहर तिरुचिरापल्ली का नाम “थिरिसिरन राक्षस” के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है कि इसी शहर में थिरिसिरन राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की थी। यही कारण है कि इस शहर का नाम थिरिसिकरपुरम पड़ा, जो बाद में थिरिसिपुरम हुआ और अब इसे तिरुचिरापल्ली के नाम से जाना जाता है।
कुल्लू घाटी…
यह घाटी हिमाचल प्रदेश में है। जिसे देवों की भूमि कहा जाता है। पहले कभी कुल्लू घाटी का नाम हुआ करता था कुलंथपीठ, जिसका अर्थ हुआ रहने लायक दुनिया का अंत। एक कहानी ऐसी है कि इस जगह पर कुलान्त नाम का एक राक्षस रहता था। जो एक बार अजगर बनकर कुंडली मार ब्यास नदी के रास्ते में बैठ गया। ऐसा कर वो पानी में डुबाकर दुनिया का अंत करना चाहता था। इस बारे में जब भगवान शिव को पता चला तो वो उस जगह पहुंचे और राक्षस से कहने लगे कि, “देखो तुम्हारी पूंछ में आग लगी है। वो जैसे ही पीछे मुड़ा भगवान ने त्रिशूल से उसका सिर काट दिया।” उस राक्षस के मरने के बाद उसका पूरा शरीर पहाड़ में बदल गया जो आज कुल्लू घाटी कहलाया।
ये कुछ जगहों के नाम है जिनका नाम राक्षसों के नाम पर पड़ा। इतना ही नहीं ऐसा भी हो सकता कि कई जगह इन नामों के पीछे कोई और कारण भी पढ़ने को मिल जाएं, लेकिन जो भी हो इन नामों के पीछे की कहानी काफ़ी दिलचस्प लगी। उम्मीद करते हैं यह कहानी आप सभी को भी अच्छी लगेंगी।