इस बार दो दिन पड़ रही है अपरा एकादशी, जानें 5 व 6 जून में से किस दिन व्रत रखना होगा उत्तम
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष को आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कई लोग तो इसे अचला एकादशी भी कहते हैं। अपरा एकादशी का व्रत करने से दुखों का अंत हो जाता है और भगवान विष्णु की कृपा बन जाती है। इसलिए आप अपरा एकादशी का व्रत जरूर रखें और इस दिन दान पुण्य भी करें। हालांकि साल 2021 में अपरा एकादशी किस दिन आ रही है। इसको लेकर थोड़ी दुविधा है।
दरअसल इस बार एकादशी तिथि दो दिन पड़ रही है। जो कि 5 जून और 6 जून है। ऐसे में शनिवार और रविवार दोनों दिन में से किस दिन एकादशी तिथि का व्रत रखना उत्तम होगा। ये हर कोई जाना चाहता है। वहीं जब इस बारे में पंडितों से पूछा गया। तो उन्होंने कहा कि अपरा एकादशी का व्रत रविवार यानी 6 जून को करना उत्तम होगा। इसलिए आप 6 जून को ही व्रत व पूजा करें।
पंडितों के अनुसार जिस तिथि में सूर्योदय होता है। उस तिथि में ही व्रत करना उत्तम फल देता है। 5 तारीख को एकादशी तिथि सूर्योदय से पहले लग जाएगी और अगले दिन रविवार को सूर्योंदय के बाद तक रहेगी। इसलिए सूर्योदय की तिथि में एकादशी व्रत करना उत्तम रहेगा। वहीं इस व्रत को आप शुभ मुहूर्त के दौरान ही करें।
अपरा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 05 जून 2021 को सुबह 04 बजकर 07 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि 06 जून 2021 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। अपरा एकादशी व्रत पारण शुभ मुहूर्त 07 जून 2021 को सुबह 05 बजकर 12 मिनट से सुबह 07 बजकर 59 मिनट तक होगा। ऐसे में आप 6 जून की सुबह उठकर, पूजा कर व्रत रखने का संकल्प ले सकते हैं। वहीं 7 जून को व्रत पारण के शुभ मुहूर्त के दौरान ये व्रत तोड़ सकते हैं।
इस तरह से करें पूजा
1..एकादशी वाले दिन सुबह जल्दी उठें और खुद को शुद्ध कर लें। हो सके तो नहाने के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे भी मिल लें।
2.शुद्ध होने के बाद मंदिर की सफाई कर लें और पूजा के लिए चौकी सजाएं। चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछा दें और उसपर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर दें।
3.विष्णु जी के सामने एक दीपक जला दें और अपनी पूजा शुरू कर दें। सबसे पहले फूलों की माला आर्पित करें। याद रखें कि भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें पीले फूल ही चढ़ाएं।
4.अब उन्हें चंदन का टीका लगाएं और तुलसी का पत्ता अर्पित कर दें। सुपारी, लौंग, धूप-दीप से पूजा करें और पंचामृत, मिठाई और फलों का भोग भी लगाएं।
5.व्रत संकल्प करें और भगवान की पूजा करते हुए इनसे जुड़े पाठों को भी पढ़ें। हो सके तो ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का का जाप भी करें। पूजा पूरी होने के बाद आरती भी जरूर करें।
6. रात को भी इस तरह से विष्णु जी का पूजन करें।
7. इस दिन भोजन में केवल फलाहार लें और जमीन पर ही सोएं। वहीं अगले दिन नहाने के बाद पूजा करें और कन्या या ब्राह्मण को खाना खिलाएं। उसके बाद खुद भी भोजन ग्रहण कर लें। याद रखें कि व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन छल- कपट और झूठ बोलने से बचना चाहिए।