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अब और जान नहीं जाएगी मलेरिया की वजह से, मलेरिया की रोकथाम के लिए हुई कारगर उपाय की खोज!

मलेरिया एक बहुत ही खतरनाक बिमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह रोग इतना खतरनाक होता है कि अगर समय पर इसका इलाज ना करवाया जाए तो व्यक्ति की जान भी चली जाती है। इस बिमारी के हो जाने के बाद व्यक्ति बहुत कमजोर भी हो जाता है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत के बाद इस रोग से बचने के तरीके खोज लिए हैं।

भारत में किया गया सफल परिक्षण:

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे स्प्रे का निर्माण किया है, जिससे मलेरिया के मच्छरों को फैलने से रोका जा सकता है। यह स्प्रे केकड़े की खोलो और चांदी के सूक्ष्मकणों को मिलाकर तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों ने इस स्प्रे का भारत में भी सफलता पूर्वक परीक्षण किया है। उनका दावा है कि इससे मलेरिया के मच्छरों को फैलने से रोका जा सकता है।

नेशनल ताइवान ओशान यूनिवर्सिटी के जियांग शियो हवांग ने बताया कि इस घोल की कम मात्रा के इस्तेमाल से मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीस सनडाइकस मच्छरों की बढ़ती आबादी पर रोक लगाई जा सकती है। इस घोल का गोल्डफिश जैसे मच्छरों पर कोई असर नहीं होता है। इस शोध में भारत के तमिलनाडु की भारतियार यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ भी शामिल थे।

कीड़ों के अण्डों में पाया जाता है चीटिन:

वैज्ञानिकों ने गैस विषाक्त पदार्थ चिटोसान या चीटिन लिया। चीटिन जानवरों के ऊतकों जैसे संधिपाद प्राणियों के बही कंकाल, पक्षियों की चोंच और कीड़ों के अण्डों में पाया जाता है। इसे बहुत आसानी से रासायनिक अवस्था में बदला जा सकता है। यह बहुत ही प्रभावशाली होता है और प्रकृति में काफी मात्रा में पाया भी जाता है। इसलिए यह ज्यादा महंगा भी नहीं होगा।

वैज्ञानिकों ने केकड़ों के कंकाल को पीसकर उसका चुरा बनाया। इसके बाद उस चूरे को सुखाकर उसमें से चीटिन निकाला। इसके बाद इसे छानकर सफेद मिले हुए पदार्थ को सिल्वर नाइट्रेट के साथ मिलाया गया। इससे सिल्वर के सूक्ष्मकणों का भूरा-पीला घोल प्राप्त हुआ। इस घोल को टेस्ट के लिए पानी के 6 बांधों पर छिड़का गया। शोधकर्ताओं ने यह पाया कि कम मात्रा में इस्तेमाल के बावजूद भी यह ज्यादा मात्रा में मच्छरों और उनके लार्वा को मारने में सफल रहा।

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