अध्यात्म

इस वजह से की जाती है शिवलिंग की आधी परिक्रमा, जलाधारी को लांघने से लगता है पाप

पूजा करने के दौरान परिक्रमा जरूर की जाती है। कई लोग भगवान की मूर्ति की परिक्रमा करते हैं। जबकि कुछ लोग मंदिर की परिक्रमा करते हैं। मान्यता है कि परिक्रमा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में परिक्रमा का महत्व बताते हुए एक श्लोक के जरिए कहा गया है कि परिक्रमा के एक-एक पद चलने से ज्ञात-अज्ञात अनेकों पापों से मुक्ति मिल जाती है।

परिक्रमा करने के कई सारे नियम भी जुड़े हुए हैं। सभी देवी-देवताओं और मंदिरों की पूरी परिक्रमा की जाती है। जबकि शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही होती है। शिवलिंग की परिक्रमा को शास्त्र संवत माना गया है और इसे चंद्राकार परिक्रमा कहा जाता है।

इस वजह से कहा जाता है चंद्राकार परिक्रमा

Shivling

शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान उनकी जलाधारी तक जाकर वहां से वापस लौटना होता है। ऐसे में ये परिक्रमा अर्द्ध चंद्र का आकार बनाती है। जिसकी वजह से इस परिक्रमा को चंद्राकार परिक्रमा नाम दिया गया है। वहीं इस परिक्रमा से कुछ नियम जुड़े हुए हैं। जो कि इस प्रकार है। शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाई ओर की तरफ की जाती है और जलाधारी से वापस दाईं ओर लौटना होता है।

जब भी शिवलिंग की पूजा की जाती है तो जलाधारी को लांघना नहीं जाता है और जलाधारी तक पहुंचकर ये परिक्रमा पूर्ण हो जाती है। ज्योतिष विशेषज्ञ के अनुसार शिव पुराण में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का जिक्र किया गया है। शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाया जाता है। ये जल बेहद ही पवित्र होता है। जिस मार्ग से जल निकलता है, उसे निर्मली, सोमसूत्र और जलाधारी कहा जाता है।

शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल में शिव और शक्ति की ऊर्जा के अंश मिल जाते हैं। ऐसे में जल को लांघने से ये उर्जा पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश कर लेती है। जिसके कारण वीर्य या रज संबन्धित शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए शास्त्रों में जलाधारी को लांघना वर्जित माना गया है।

जलाधारी को न लांघने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। वैज्ञानिक के अनुसार शिवलिंग ऊर्जा शक्ति का भंडार होता है। इनके आसपास के क्षेत्रों में रेडियो एक्टिव तत्वों के अंश पाए जाते हैं। शोध में पाया गया है कि शिवलिंगों के आसपास के क्षेत्रों में रेडिएशन पाया जाता है। ऐसे में शिवलिंग पर चढ़ाए जल में इतनी ज्यादा ऊर्जा हो जाती है कि इसे लांघने से व्यक्ति के शरीर को हानि पहुंच सकती है और वो बीमार तक हो जाता है।

इस स्थित में कर सकते हैं पूरी परिक्रमा

पंडितों के अनुसार जिन मंदिरों मं शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल सीधे भूमि में चला जाता है। वहां पर पूरी परिक्रमा की जा सकती है। इसके अलावा अगर जलाधारी ढकी हुई होती है। तो ऐसी स्थिति में भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा कर सकते हैं। इस परिक्रमा को करने से जलाधारी को लांघने का दोष नहीं लगता है। अगली बार जब भी आप शिवलिंग की पूजा करें तो इन नियमों का ध्यान जरूर रखें और इनका पालन करें।

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