इंसानी बच्चे जितना बड़ा है ये विशालकाय मेंढक, देखकर छूट जाएंगे पसीने – Pics
ये दुनिया बहुत बड़ी है। यहां हमे कई तरह के जीव भी देखने को मिलते हैं। अब मेंढकों को ही ले लीजिए। आमतौर पर मेंढक आकार में छोटे होते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे विशालकाय मेंढक (Giant Frog) से मिलाने जा रहे हैं जिसका आकार किसी ‘इंसानी बच्चे’ जैसा है। यह विशाल मेंढक सोलोमन द्वीप (Solomon Islands) में रहने वाले ग्रामीणों को मिला है।
होनियारा (Honiara) के रहने वाले जिमी ह्यूगो (Jimmy Hugo) ने इस विशालकाय मेंढक की एक तस्वीर भी क्लिक की है। इस तस्वीर में एक युवा लड़का अपनी गोद में इस विशालकाय मेंढ़क को लिए खड़ा है। इस मेंढक का साइज़ इतना बड़ा है कि देखने में ऐसा लगा रहा है मानो ये लड़का किसी इंसानी बच्चे को गोद में लिए है।
ये एक अलग ही प्रजाति का मेंढक है जिसकी आबादी अब कम होती जा रही है। टिम्बर मिलिंग ऑपरेशन के मालिक ह्यूगो ने बताया कि कुछ मजदूर जंगली सूअर का शिकार कर रहे थे तभी ये विशालकाय मेंढक उन्हें मिल गया। इस विशालकाय मेंढक को ‘कॉर्नफ़र गुप्पी’ भी कहा जाता है। ह्यूगो बताते हैं कि मैं जहां रहता हूँ वहां इसे बुश चिकन के नाम से भी जाना जाता है।
विशालकाय मेंढक की यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है। इसे हजारों में शेयर और कमेंट्स मिल रहे हैं। एक यूजर ने कमेंट कर लिखा कि ‘वाह! ये तो कमाल का मेंढक है।’ वहीं दूसरे ने कहा ‘यह सोलोमन द्वीप का सबसे बड़ा पानी का मेंढक है और शायद मेलानेशिया का भी।’
ह्यूगो ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतने सारे लोग मेरी खींची तस्वीर को देखेंगे और उस पर अपना रिएक्शन देंगे। इस फोटो की लोकप्रियता देख मैं खुद भी हैरान हूँ। उन्होंने आगे बताया कि सोलोमन द्वीप और पापुआ न्यू गिनी में कॉर्नफ़र गुप्पी नामक यह विशालकाय मेंढक ‘बुश चिकन’ के नाम से मशहूर है। लोकल लोग इसका शिकार कर इसे खाते हैं। इसका मांस बहुत कीमती है।
ह्यूगो आगे बताते हैं कि बुश चिकन का स्वाद चिकन से भी ज्यादा टेस्टी होता है। सिर्फ आमजन ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी इस बड़े मेंढक को देख हैरत में पड़ गए। ऑस्ट्रेलियाई संग्रहालय में उभयचर और सरीसृप संरक्षण जीव विज्ञान के क्यूरेटर जोडी रोले बताते हैं कि मैंने अपनी पूरी लाइफ में इतना बड़ा मेंढक नहीं देखा है। ये जरूर बहुत पुराना होगा।
बेशक ये मेंढक बहुत ही दिलचस्प है, लेकिन इसके निवास स्थान में नुकसान और प्रदूषण के चलते इनकी आबादी लगातार घट रही है।