योगेंद्र यादव को थी किसानों के टेंट में हुई सामूहिक बलात्कार की जानकारी, लेकिन मुँह कर लिया बंद
किसान आंदोलन की सच्चाई क्या यही है? आंदोलन का समर्थन करने आई लड़की के साथ हुआ सामूहिक रूप से शारीरिक शोषण
टिकरी बॉर्डर। दिल्ली और हरियाणा के बीच की सीमा। जहां पर किसान नए कृषि कानून के विरोध में नवंबर 2020 से डेरा जमाएं हुए हैं। जब तक ये प्रदर्शनकारी किसान “कृषि क़ानून” का विरोध कर रहे थे। वहां तक बात ठीक थी , लेकिन अब जो मामला निकलकर सामने आ रहा। वह प्रदर्शनकारियों के नियत पर सवाल खड़ें कर रहा है। जी हां दिल्ली के टिकरी बॉर्डर स्थित किसानों के प्रदर्शन स्थल पर बंगाल से आई युवती की कोरोना से मौत के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। युवती के पिता ने पुलिस केस दर्ज कराते हुए कहा है कि उन्हें उनकी बेटी का फ़ोन आया था जिस दौरान उसने शारीरिक शोषण की बात कही थी। ऐसे में मृतक लड़की के पिता ने किसान आंदोलन में शामिल 6 लोगों के खिलाफ यौन-शोषण के मामले में एफआईआर दर्ज कराई है। इन आरोपियों में दो महिलाएं भी शामिल है।
अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या इन प्रदर्शनकारियों की नीयत ठीक है? जो प्रदर्शनकारी अपने समूह में आई महिला के साथ दुर्व्यवहार कर सकते, वह देश और समाज के बारे में क्या सोचेंगे? यह भी एक बड़ा सवाल है। जानकारी के लिए बता दें कि इस गैंगरेप मामले में छह आरोपियों में से दो आम आदमी पार्टी से तालुक रखते हैं। इतना ही नहीं, एक राष्ट्रीय दैनिक अख़बार की मानें तो योगेंद्र यादव को किसानों के टेंट में हुई घटना की जानकारी थी। ऐसे में सवाल तो सामाजिक सरोकार का दम्भ भरने वाले योगेंद्र यादव पर भी उठना लाज़िमी है कि आख़िर जब उन्हें इस बात की भनक थी फ़िर भी अभी तक उन्होंने चुप्पी क्यों साधे रखी? आख़िर क्यों संयुक्त किसान मोर्चा के योगेंद्र यादव ने 24 अप्रैल से लेकर अब तक इस मामले को दबाकर रखा? क्या वे इस मामले में बीच-बचाव करके उसे आंदोलनकारियों के टेंट में ही दफ़्न कर देना चाहते थे? या बात कुछ और थी? अब पुलिस को शिनाख्त तो इस बात की भी करनी चाहिए।
वही रिपोर्ट्स के अनुसार जिन दो आप नेताओं को आरोपित बनाया गया है। उनमें से एक हिसार क्षेत्र का सक्रिय आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता अनूप सिंह है। तो वही दूसरा आरोपित अनिल मलिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है। वही अभी तक इस मामले में पुलिस के द्वारा उठाए गए क़दम की बात करें तो पुलिस ने 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 365, 342, 354, 376 और 120- बी के तहत रेप, अपहरण, ब्लैकमेलिंग और बंधक बनाकर रखने का मामला दर्ज किया है।
Jhajjar | An activist from West Bengal, who came to participate in farmers’ protest at Delhi-Haryana Tikri border was allegedly raped
“As per her father,she was raped. The victim was hospitalised for COVID &succumbed to it on Apr30. Case registered, probe on,”said Police (9.05) pic.twitter.com/IeSsnGWuP6
— ANI (@ANI) May 10, 2021
इतना ही नहीं इस मामले में विक्टिम के पिता ने एफआईआर में लिखा है कि “बेटी की मौत के बाद, मुझ पर यह दबाव बनाया गया कि अगर मुझे उसकी बॉडी चाहिए तो ये स्टेटमेंट देना होगा कि उसकी मौत कोविड-19 से हुई थी। मैं इमोशनली टूटा हुआ था। चाहता था कि बेटी का शव मुझे मिल जाए। इसलिए पुलिस में बयान दिया कि मेरी बेटी की मौत कोविड 19 से हुई। ऐसे में पुलिस को इस तथ्य की भी तलाश करनी चाहिए कि मृतक के पिता पर दबाव किसके कहने पर डाला जा रहा था?
इस दर्दनाक हादसे के बाद सवाल कई उठ रहे हैं, लेकिन इसके सभी जवाब अभी तक कहीं न कहीं उस टेंट और कोविड-19 की भेंट चढ़ चुके हैं। जिससे शारीरिक शोषण का शिकार हुई लड़की की मौत हुई। लेकिन किसान नेताओं और कृषि क़ानून का विरोध कर रहें प्रदर्शनकारियों का सच अब देश के सामने आ रहा। योगेंद्र यादव जैसी शख्सियत अगर इतने बड़े कांड को अपने पेट मे पचा सकता? फ़िर इन राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं से सामाजिक शुचिता की उम्मीद करना नाकाफ़ी समझ आता है। साथ ही साथ किसान आंदोलन की आड़ में क्या चल रहा और कौन कर रहा। यह देश जितना जल्दी समझ सकें उतना बेहतर है, क्योंकि यह कोई यौन उत्पीड़न का पहला मामला किसान आंदोलन के बीच से निकलकर नहीं आया है। इससे पहले मोहम्मद जुबेर, वरुण चौहान, अंतरप्रीत सिंह और मनीष कुमार का नाम भी यौन उत्पीड़न केस में उछला था।