कोरोना: अंतिम समय में रिश्तेदारों ने छोड़ा साथ, पुलिस ने दिया कंधा, नौकर ने दी मुखाग्नि
कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस महामारी के दौर में कई लोगों ने अपनों को खोया है। इस बीच कुछ मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं जहां लोग अपने प्रियजनों की मौत के बाद उनका अंतिम विदाई में साथ छोड़ रहे हैं। कोरोना के डर से वे उन्हें कंधा तक देने नहीं जा रहे हैं।
अब दिल्ली के कैलाश पार्ट वन की इस घटना को ही ले लीजिए। यहां एक बुजुर्ग की मौत हुई तो उसे कंधा देने के लिए कोई भी रिश्तेदार सामने नहीं आया। ऐसे में पुलिसकर्मियों ने अपना फर्ज निभाते हुए वृद्ध को कंधा दिया। इतना ही नहीं बुजुर्ग की चिता को मुखाग्नि उसके नौकर ने दी।
दरअसल 70 वर्षीय सुरेश कुमार बूटा अपनी बेटी और पोती संग रहते थे। कुछ दिनों पहले उनकी पूरी फैमिली कोरोना संक्रमित हो गई। हालांकि सुरेश कुमार बूटा संक्रमित नेगेटिव थे। उनकी बहू को कोरोना ने ऐसा जकड़ा कि वह सिरियस हालत में अस्पताल में एडमिट है।
परिवार के संक्रमित होने के कुछ दिन बाद सुरेश की तबीयत भी बिगड़ने लगी। उनके नौकर ने बताया कि जब मैंने मालिक को बाहर से आवाज दी तो कोई जवाब नहीं आया। फिर मैंने दरवाजा तोड़ा तो देखा कि मालिक की मौत हो गई है। इसके बाद मैंने इस बात की जानकारी उनके बेटे को दी। हालांकि उनका बेटा भी कोरोना पॉजिटिव था इसलिए वह भी पिता के अंतिम संस्कार में नहीं आ सका।
बेटे ने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदारों से मदद भी मांगी थी। हालांकि नेचरल मौत होने के बावजूद कोई भी रिश्तेदार बुजुर्ग की मदद को आगे नहीं आया। वहीं पड़ोसियों ने भी हाथ खड़े कर लिए। ऐसे में पुलिस के जवान ही मृत बुजुर्ग के बेटे बने और शव को कंधे पर उठाया अंतिम संस्कार के लिए ले गए। यहां दिलचस्प बात ये दिखी कि घर के नौकर ने मालिक का विधि विधान से अंतिम संस्कार कर उन्हें मुखाग्नि दी। एक तरह से घर के नौकर ने इस मुश्किल घड़ी में बेटा बन अपना फर्ज निभाया।
ये काफी दुखद है कि कोरोना के चलते व्यक्ति को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नसीब नहीं होता है। कोरोना का प्रकोप इतना ज्यादा है कि लोग डर के मारे संक्रमित व्यक्ति के आसपास भी नहीं जाना चाहते हैं। जबकि उनके साथ इस तरह का व्यवहार करना गलत होता है। आप सेफ़्टी का ध्यान रखते हुए कोरोना मरीजों की मदद कर सकते हैं। वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है कमेंट में जरूर बताना।