अध्यात्म

ये है चिंतामण गणेशजी का चमत्कारिक मंदिर, जहां दर्शन मात्र से सभी दु:ख-तकलीफें हो जाती हैं दूर

भगवान गणेश जी सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूजनीय माने गए हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के ऊपर भगवान गणेश जी की कृपा दृष्टि हो तो उस व्यक्ति के जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं। आपको बता दें कि बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि अगर व्यक्ति बुधवार के दिन विधि-विधान पूर्वक भगवान गणेश जी की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना से मनुष्य के जीवन के सारे दु:ख, तकलीफ और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश जी अपने भक्तों के जीवन में खुशियां लाते हैं। वैसे देखा जाए तो देश भर में ऐसे बहुत से गणेश मंदिर है जहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। दूर-दराज से भक्त भगवान गणेश जी के मंदिरों में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसे चमत्कारिक और प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां पर दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। भगवान गणेश जी के इस मंदिर में भगवान अपने आने वाले भक्तों की दुख तकलीफ दूर करते हैं।

हम आपको भगवान गणेश जी के जिस प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं, उस मंदिर का नाम चिंतामन गणेश मंदिर है। भगवान गणेश जी का यह मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है और यह मंदिर अपने आप में अनोखा भी बताया जाता है। आपको बता दें कि भारत में चिंतामन गणेश मंदिर कुल चार हैं। एक भोपाल के पास सिरोही में है, दूसरा मंदिर उज्जैन में तीसरा राजस्थान के रणथंभौर में और चौथा गुजरात के सिद्धपुर में है। इन चारों ही मंदिरों की मूर्तियां स्वयं-भू बताई जाती है। स्वयं-भू का मतलब होता है कि यहां पर जो मूर्ति मौजूद है, वह जमीन से खुद प्रकट हुई थी।

भोपाल के सिरोही स्थित चिंतामण गणेश मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि यहां मंदिर में स्थापित मूर्ति भगवान गणेश जी ने स्वयं राजा को दी थी। एक बार भगवान गणेश जी राजा के स्वप्न में आए थे और उन्होंने बताया था कि पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में मेरी मूर्ति है और उसे स्थापित करो। जब राजा उठकर नदी तट पर पहुंचे तो उन्हें पुष्प मिला था और उसे लेकर वह लौटने लगे थे। तभी रास्ते में रात हो गई थी और उनका पुष्प अचानक ही गिर गया था और गणेश जी की मूर्ति में परिवर्तित हो गया।

भगवान गणेश जी की मूर्ति जमीन में धंस गई थी राजा ने उसे निकालने का बहुत प्रयत्न किया परंतु उसके द्वारा की गई कोशिश सफल नहीं हो पाई, तब वहीं पर मंदिर का निर्माण कराया गया था। तभी से इस मंदिर का नाम चिंतामण गणेश मंदिर पड़ा है।

आपको बता दें कि उज्जैन में भी चिंतामण गणेश जी का एक मंदिर स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रतिमाएं गणेश जी के तीन रूपों (चिंतामण, इच्छामन और सिद्धिविनायक) में विराजमान हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऐसा बताया जाता है कि वनवास के दौरान स्वयं भगवान श्री राम जी ने इस मंदिर की स्थापना की थी। ऐसा माना जाता है कि अगर मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाया जाए तो इससे भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

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