चाणक्य नीति : यह 3 बातों का माता-पिता रखेंगे ध्यान तो बच्चों का भविष्य बनेगा उज्जवल
आचार्य चाणक्य अपने समय के एक महान अर्थशास्त्री और श्रेष्ठ विज्ञान थे। उन्होंने “चाणक्य नीति” नामक एक पुस्तक लिखी थी, जिसमें मनुष्य के जीवन से जुड़ी हुई बहुत सी बातों का उल्लेख किया गया है। आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे, जिसकी वजह से उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता था। उन्हें राजनीति और कूटनीति में भी महारत हासिल थी।
आचार्य चाणक्य की नीतियां बहुत ज्यादा कठोर हैं परंतु उनकी नीतियां मनुष्य को जीवन की सच्चाई से अवगत कराती हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी कुशाग्र बुद्धि और नीतियों के बलबूते ही अपने शत्रु घनानंद का नाश कर दिया था। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने एक साधारण से बालक जिसका नाम चंद्रगुप्त मौर्य था उसको मौर्य वंश का शासक भी बना दिया।
आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में हर परिस्थिति का सामना किया है और उन्होंने परिस्थितियों से ही ज्ञान प्राप्त कर अपनी नीतियों में इसका जिक्र किया है। नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन के पहलुओं को गहराई से स्पर्श किया है। यही वजह है कि आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। नीतिशास्त्र में जीवन के हर पहलू से संबंधित महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।
आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास भी उसी प्रकार से होता है। चाणक्य का ऐसा कहना है कि यही हर बच्चे के भविष्य की नींव रखता है। इसी वजह से हर माता-पिता को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। तो चलिए जानते हैं आखिर चाणक्य नीति अनुसार माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
चाणक्य नीति अनुसार माता-पिता इन बातों का रखें ध्यान
1. आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि हर माता-पिता को अपने बच्चों को बचपन से ही उत्तम चरित्र और गुण देने चाहिए। अगर माता-पिता ऐसा करते हैं तो उनका बालक उनके साथ-साथ पूरे कुल की शोभा बढ़ाता है। जिस प्रकार से कुम्हार मिट्टी को एक सही आकार प्रदान करता है उसी प्रकार माता-पिता को भी बचपन से ही बच्चे में उत्तम चरित्र का निर्माण करना चाहिए और बच्चों को सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देनी चाहिए।
2. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दी है वह माता-पिता अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान है क्योंकि अशिक्षित व्यक्ति विद्वानों के समूह में खुद को अपमानित महसूस करने लगता है। शिक्षा के बिना जीवन अंधकारमय हो जाता है इसलिए हर माता-पिता का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने बच्चों को उत्तम शिक्षा प्रदान करें।
3. आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों में अनुशासन की भावना लाना चाहिए। बच्चों में अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है। अगर माता-पिता अपने बच्चों को अधिक लाड़ प्यार करेंगे तो बच्चे उद्दंड हो जाएंगे। इतना ही नहीं बल्कि बच्चों में अनेक प्रकार के दोष भी उत्पन्न होने लगते हैं। इसलिए माता-पिता इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों को लाड़ प्यार के साथ-साथ उनको डांट भी लगाएं।