एक समय था जब नदीम-श्रवण के म्यूजिक के बिना फिल्मे नहीं बनती थी, कोरोना ने लील ली श्रवण की जिंदगी
कोरोना की दूसरी लहर ने देश भर में कोहराम मचा रखा है. कोरोना के इस नए वाले स्ट्रेन से डॉक्टर्स भी परेशान है. कोरोना वायरस न आम आदमी को छोड़ रहा है न ही किसी अमीर आदमी को छोड़ रहा है. न किसी का पैसा काम आ रहा है न ही किसी की जान-पहचान काम आ रही है. इसी कोरोना वायरस ने नदीम-श्रवण फेम संगीतकार श्रवण राठौड़ की जिंदगी ले ली है. हालांकि उनकी मौत हार्ट अटैक और मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से हुई है.
संगीतकार श्रवण राठौड़ कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. उनकी मौत के बाद उनके बेटे संजीव राठौड़ ने कहा कि, पापा कुछ समय पहले हमें छोड़कर चले गये. हार्ट अटैक ने उनकी जान ले ली है. उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. ज्ञात हो कि पिछले कई दिनों से श्रवण राठौर हॉस्पिटल में भर्ती थे. इस दौरान उनकी हालत लगातार बिगड़ी जा रही थी. आईसीयू में भर्ती श्रवण राठौड़ की खराब कंडीशन और किडनियों के काम नहीं करने के बाद डॉक्टर्स की टीम ने उनका डायलिसिस करना शुरू किया था.
गौरतलब है कि संगीतकार श्रवण राठौर को शनिवार को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हॉस्पिटल जाने के बाद उस समय सेक्टर्स ने उनकी हालत को स्थिर बताया था. हालांकि डॉक्टर्स अपनी मेहनत के बावजूद भी श्रवण को नहीं बचा सके. कोरोना होने के बाद उनके शरीर के कई अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया था.
आपको बात दें कि जाने-माने गीतकार समीर अनजान का नाम सबसे ज्यादा गाने लिखने के लिए जाना जाता है. समीर अनजान ने सबसे ज्यादा गीत इसी जोड़ी के लिए लिखे थे. समीर इन दोनों के बेहद ही करीबी दोस्त भी थे. अपने दोस्त की मौत के बाद समीर अनजान ने अफसोस जताते हुए कहा, मैंने उनके जैसा नेक-दिल इंसान कभी नहीं देखा था. वो बेहद ही विनम्र व्यक्ति थे मैंने उन्हें कभी गुस्सा करते हुए भी नहीं देखा था. वह हमेशा से दूसरों की मदद करते थे. कोई भी जरुरत मंद आदमी उनके घर से खाली नहीं लौटा है.
समीर अनजान ने साथ ही यह भी कहा कि, 90 के दशक में नदीम के साथ श्रवण ने जिस तरह का शानदार संगीत दिया था. उन्हें संगीत को कई आने वाली पीढ़ियों द्वारा याद किया जाएगा. उनके गानों को नहीं भुलाया जा सकता है. उनके लिए बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. आपको बता दें कि 1990 के दशक में बॉलीवुड में नदीम-श्रवण के संगीत का एक तरफ़ा जलवा था.
श्रवण राठौर और नदीम सैफी दोनों ही साथ मिलकर काम किया करते थे. फिल्म आशिकी में उनके रोमांटिक गानों की धुन भारत भर में मशहूर हुई थी. इन दोनों की जोड़ी ने ‘आशिकी’, ‘साजन’, ‘सड़क’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘साथी’, ‘दीवाना’, ‘फूल और कांटे’, ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘जान तेरे नाम’ ‘रंग’, ‘राजा’, ‘धड़कन’, ‘परदेस’, ‘दिलवाले’, ‘राज’ जैसी फिल्मों में जबरदस्त संगीत दिया था और देश भर में अपनी पहचान बनाई थी. इन दोनों का नाम गुलशन कुमार की हत्या में सामने आया था. जिसके बाद नदीम और श्रवण की जोड़ी टूट गई.नदीम साल 2000 से भारत से बाहर ही रह रहे है.