जज्बे को सलाम! आतंकी हमले में जावेद हो गए दिव्यांग, फिर भी संवार रहे सैकड़ों लोगों की जिंदगी
सच कहा जाता है कि इंसान का जीवन बहुत कठिन होता है। इंसान के जीवन में कब क्या हो जाए, इसके बारे में बता पाना बहुत ही मुश्किल है। कई बार ऐसा होता है कि इंसान अपना जीवन हंसी-खुशी व्यतीत करता है परंतु अचानक से ही जीवन में ऐसी घटना हो जाती है जिसके कारण पूरी जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए बदल जाती है। आज हम आपको दक्षिण कश्मीर के बिजबिहाड़ा के रहने वाले जावेद अहमद टाक की कहानी बताने जा रहे हैं। जावेद अपने काम से पूरे इलाके के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।
वो कहा जाता है ना की इंसान मुश्किलों को पार करते हुए ही अपने जीवन की एक नई राह बनाता है। जो इंसान अपने जीवन की मुश्किलों का डटकर सामना करता है, वह भविष्य में कुछ ऐसा कर जाता है कि सारी दुनिया उसको सलाम करती है। अगर आप जावेद को पहली नजर में देखेंगे तो आपको यही लगेगा कि यह जिंदगी की जंग हार चुका हुआ इंसान है परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
आपको बता दें कि जावेद 1997 में आतंकवादियों की गोली का शिकार हो गए थे. जिसकी वजह से वह हमेशा के लिए दिव्यांग हो गए। अपनी जिंदगी में अपनी शारीरिक कमियों के बाद भी जावेद कुछ कर दिखाने का जज्बा रखते हैं। जावेद दिव्यांग होने के बावजूद भी सैकड़ों लोगों की जिंदगी संवार रहे हैं।
आपको बता दें कि जावेद के ऊपर जब आतंकवादियों ने गोली चलाई तो गोलियों ने उनकी रीढ़ की हड्डी, जिगर, किडनी, पित्ताशय सब कुछ जख्मी कर दिया था। जावेद पर यह हमला उस समय हुआ था जब वह अपनी मौसी के घर गए हुए थे। 21-22 मार्च की आधी रात को उनके ऊपर यह हमला हुआ था। घर में सब कुछ सही चल रहा था परंतु अचानक से ही कुछ बंदूकधारी उनके मौसेरे भाई को ढूंढते हुए आए और जबरन ले जाने लगे। उस समय के दौरान घर में कोहराम मच गया।
जब जावेद ने इसका विरोध किया तब आतंकवादी ने उन पर गोली चला दी। आतंकवादी को लगा कि जावेद मर चुके हैं और वह उन्हें मरा हुआ समझकर छोड़ कर चले गए परंतु जावेद की किस्मत थी कि उनकी जान बच गई। जावेद की जान ऑपरेशन के बाद बचाई गई परंतु चलने फिरने के वह लायक नहीं रहे। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि कमर के नीचे का अंग बेकार हो चुका है। अब वह हमेशा व्हील चेयर पर रहेंगे। जब यह बात जावेद ने सुनी तो वह सन्न रह गए।
Children with disabilities are full of capacities. We need yo provide equal opportunity and protect their rights
Zaiba Aapa Institute of inclusive Education Bijbehara J&K working under Humanity welfare organisation HELPLine Bijbehara empowering children with disabilities @MSJEGOI pic.twitter.com/uNPmZG8kT0— Javed Ahmad Tak (@jsocialactivist) March 25, 2021
वो समय जावेद के लिए मनहूस था। इस आतंकी हमले के बाद जावेद की जिंदगी बुरी तरह से बिखर गई थी परंतु इस कठिन समय में भी उन्होंने अपना हौसला बनाए रखा और उन्होंने यह तय किया कि वह अपने जैसे दिव्यांगों और आतंक पीड़ितों की सहायता करेंगे। आपको बता दें कि जावेद ने जेबा आपा इंस्टिट्यूट खोला, जहां पर वर्तमान समय में वह आठवीं कक्षा तक के 100 से अधिक दिव्यांग, मूक-बधिर, नेत्रहीन, गरीब और आतंक पीड़ित बच्चों को फ्री में शिक्षा देते हैं।
आपको बता दें कि जावेद अहमद के द्वारा किए जा रहे इस नेक कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2020 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। जावेद का ऐसा कहना है कि उन्हें इस कार्य से बेहद खुशी मिलती है।