18 इंच -18 किलो के ये संत हैं दुनिया के सबसे छोटे नागा सन्यासी, बावन भगवान कहकर पुकारते हैं लोग
हरिद्वार में एक अप्रैल से महाकुम्भ मेला शुरू होने जा रहा है। कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार यह कुंभ मेला सिर्फ एक माह यानि 30 अप्रैल तक ही चलेगा। इस बीच कुंभ में शामिल होने हजारों साधु संत अभी से वहां अपना डेरा जमाने लग गए हैं।
कुंभ मेले की ये खासियत होती है कि हमे देशभर के भिन्न भिन्न प्रकार के साधु संत एक ही जगह देखने को मिल जाते हैं। इस दौरान कुछ संत महात्मा इतने अलग होते हैं कि उन्हें देखने के लिए भक्तों की कतारें लगी रहती है। इस साल हरिद्वार में भी एक ऐसे नागा संन्यासी आए हैं जो सबके आकर्षण का केंद्रा बने हुए हैं।
हम यहां जिस नाग संन्यासी की बात कर रहे हैं उनकी लंबाई महज 18 इंच है और वजन सिर्फ 18 किलो है। इन अनोखे संत का नाम स्वामी नारायण नंद है। ये जूना अखाड़े के नागा संन्यासी हैं। अखाड़ा यह दावा करता है कि स्वामी नारायण नंद लंबाई के मामले में दुनिया के सबसे छोटे नागा संन्यासी हैं।
18 इंच के इन नागा संन्यासी के पास हमेशा भीड़ देखी जा सकती है। लोग इनकी एक झलक पाने और इनका आशीर्वाद लेने के लिए तरसते हैं। कई तो इनके पास आकार सेल्फ़ी भी लेते हैं। ये हमेशा व्हीलचेयर पर बैठे रहते हैं। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में इनका सहयोगी मदद करता है। यही इन्हें गागा में डुबकी भी लगवाता है।
झांसी के रहने वाले नारायण नंद 15 साल की उम्र में ही अनाथ हो गए थे। 2010 में उन्होंने कुंभ मेले में जूना अखाड़ा ज्वॉइन किया था। इस अखाड़े से जुडने के पहले उनका नाम सत्यनारायण पाठक था। अखाड़े ने उन्हें स्वामी नारायण नंद नाम दिया।
वे 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व के शाही स्नान के लिए बलिया यूपी से आ गए थे। यहां हरकी पैड़ी पर उनके दर्शन पाने के लिए भीड़ उमड़ती रहती है। वे अभी तक उज्जैन, नासिक, प्रयागराज और हरिद्वार के 12 कुंभ में शामिल हो चुके हैं।
मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने अपना पूरा नाम नारायण नंद बावन भगवान बताया। वे बताते हैं कि मैं बलिया जिला में अपने गुरु के पास रहता हूं। मेरे गुरुजी का नाम गंगा नंद दास और उनके गुरु का नाम आनंद गिरी है। इन्हीं से मुझे मेरी पहचान मिली है। मैन शिव भक्त हूँ और उन्हीं की भक्ति में सदैव लीन रहता हूँ। स्वामी नारायण नंद का ख्याल रखने वाला शिष्य उमेश कुमार बताता है कि गुरुजी नारायण नंद गिरी महाराज 2010 के कुंभ में भी हरिद्वार आए थे। मैं तब भी उनके साथ था।