ऐसे थे पंडित जवाहर लाल नेहरू..! नेहरू की 7 ग़लतियों की सजा आज तक भुगत रहा है भारत
आपने नेहरु के बारे में बहुत कुछ पढ़ा सुना होगा आइये जानते हैं नेहरू की वो् गलतियां , जिसे देश आज तक भुगत रहा है
*जवाहरलाल नेहरू की गलतिया*
*1) कोको आईसलैड* –
1950 में नेहरू ने भारत का ‘ कोको द्वीप समुह’ ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बर्मा को गिफ्ट दे दिया. जो कोलकाता से 900 KM दुर अरबी समंदर मे है ।
बाद मे बर्मा ने कोको द्वीप समुह चायना को दे दिया, जहाँ से आज चिन द्वारा भारत पर हेरगिरी एवं निगरानी होती हैं ।
*2) काबू व्हेली मनिपुर -*
पंडित नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मनिपुर प्रांत की काबू व्हेली दोस्ती के तौर पर बर्मा को दे दी. काबू व्हेली लगभग 11000 स्के. किमी है और कहते है के ये कश्मीर से भी खुबसुरत है.
आज बर्मा ने काबू व्हेली का कुछ हिस्सा चिन को दे रखा है जहां से चिन भारत पर हेरगिरी कर रहा हैं ।।
*3) भारत – नेपाल विलय -*
1952 मे नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल को भारत मे विलय कर लेने की बात पंडित नेहरू से कही, लेकिन पंडित नेहरूने ये कहकर ऊनकी बात टाल दी की नेपाल भारत में विलय होने से दोनों देशों का फायदे के बजाय नुकसान ही होगा और नेपाल का टुरिझम भी बंद पडेगा ।।।
*4) UN Permanent Seat*–
नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत से सुरक्षा परिषद ( United Nations ) के स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। इसकी जगह नेहरू ने चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली ।
आज भी चिन ,पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के कई प्रस्ताव UN मे नामंजूर करता है, हाल ही मे दहशतवादी मसुद अजहर को अंतराष्ट्रीय दहशतवादी घोषित करनेका भारत का प्रस्ताव UN मे चिन ने ठुकरा दिया है ।
*5) जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन* –
लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि दोनों के बीच संबंध था. लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे. अब खुद लॉर्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी को एक गैर के साथ खुला क्यूं छोड़ते थे यह एक राज है. लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन जवाहरलाल नेहरू से भारतीय सेना औऱ आर्थिक निति के कई राज निकाले थे.
*6) पंचशील समझौता -*
नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। नेहरूने 1954 को चीन के साथ पंचशील समझौता किया। इस समझौते के साथ ही भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया।
नेहरू ने चीन से दोस्ती की खातिर तिब्बत को भरोसे में लिए बिना उस पर चीन के ‘कब्जे’ को मंजूरी दे दी। बाद मे 1962 मे जब भारत चिन युद्ध हुआ तो चिनी सेना ईसी तिब्बत के मार्ग से भारत के अंदर तक घुस आई.
*7) 1962 भारत चिन युद्ध* –
चीनी सेना ने 1962 मे भारत को हरा दिया, हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले.जनरल हेंडरसन और कमानडेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया.
चिनी सेना अरूणाचल प्रदेश, आसाम, सिक्किम तक अंदर घुस आने के बाद भी नेहरु ने हिंदी चिनी भाई भाई कहते हुए भारतीय सेना को चिन के खिलाफ अँक्शन लेनेसे रोक कर रखा, परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 स्के. किमी भाग पर चिनने कब्जा कर लिया जिसमे कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तिर्थ स्थान आते है.
ऐसे थे पडित पडित जवाहर नेहरू
जानो सही इतिहास